उप्र में बनेंगे 20 नए हाईटेक कारागार, मुख्यमंत्री के निर्देश पर कार्यवाही हुई तेज

- -प्रदेश के 19 जिलों में बनेंगे जिला जेल और एक जनपद में केंद्रीय कारागार
- -जेलों में क्षमता से अधिक बंदियों की संख्या देखते हुए योगी सरकार ने लिया फैसला
लखनऊ। उत्तर प्रदेश की जेलों में क्षमता से अधिक बंदियों की संख्या को देखते हुए योगी आदित्यनाथ सरकार ने प्रदेश के कई जिलों में नई जेलों के निर्माण का निर्णय लिया है, जिसमें प्रदेश के 11 ऐसे जिले चिह्नित किए गए हैं, जहां पर अभी कोई जेल नहीं है। फिलहाल प्रदेश में एक केंद्रीय कारागार और नौ जिलों में दूसरी जेल के निर्माण की कार्रवाई शुरू कर दी गई है। वहीं कुछ जेलों में बैरकों की संख्या बढ़ाई जा रही है।
राज्य सरकार के एक प्रवक्ता ने बताया कि शासन ने कारागारों के निर्माण के लिए भारी भरकम बजट जारी कर दिया है। इन जेलों को वर्तमान परिदृश्य को देखते हुए हाईटेक टेक्नोलॉजी का यूज करते हुए बनाया जाएगा। इसके साथ ही नई जेलों के निर्माण का लक्ष्य 2 से 5 साल का निर्धारित किया गया है।
मुख्यमंत्री योगी ने प्रस्ताव को दी हरी झंडी
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को एक उच्च स्तरीय बैठक में कारागार प्रशासन एवं सुधार विभाग ने अवगत कराया था कि वर्तमान में प्रदेश की केंद्रीय और जिला कारागार समेत कई कारागार में क्षमता से अधिक बंदी हैं। ऐसे में जेल मैनुअल द्वारा प्रदत्त सुविधाएं उपलब्ध कराने और बंदियों के मानवाधिकारों के संरक्षण को देखते हुए नई जेलों की आवश्यकता है। विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने सीएम योगी को बताया कि वर्तमान में 7 केंद्रीय कारागार में 13,669 बंदियों की क्षमता है, जबकि यहां पर 15,201 बंदी निरुद्ध हैं, जिसका अनुपात 111 प्रतिशत है। इसी तरह 62 जिला कारागार में 49,107 बंदियों की क्षमता है, जिसके सापेक्ष 95,597 बंदी निरुद्ध हैं, जिसका अनुपात 194 प्रतिशत है।
वहीं 2 उप कारागार में 306 बंदियों की क्षमता है, जिसके सापेक्ष 664 बंदी निरुद्ध हैं, जिसका अनुपात 216 प्रतिशत है। महिला केंद्रीय कारागार में 120 बंदियों की क्षमता है, जिसके सापेक्ष 148 बंदी निरुद्ध हैं, जिसका अनुपात 123 प्रतिशत है। इस पर मुख्यमंत्री योगी ने कारागार प्रशासन एवं सुधार विभाग को जल्द से जल्द नई जेलों के निर्माण के संबंध में प्रस्ताव बनाकर प्रस्तुत करने के निर्देश दिये थे, जिसके बाद विभाग ने प्रदेश के 11 जिलों में नई जेलों के निर्माण का प्रस्ताव बनाकर शासन को सौंपा था। इस संबंध में मुख्यमंत्री योगी के समक्ष दोबारा बैठक होने पर शासन ने नई जेलों के निर्माण का प्रस्ताव रखा, जिसे सीएम ने हरी झंडी दे दी। सीएम योगी का अप्रूवल मिलते ही शासन ने कारागार विभाग को नई जेलों के निर्माण के लिए भारीभरकम बजट जारी कर दिया।
इन जिलों में नई जेल के निर्माण की कार्यवाही हुई तेज
शासन से नई जेलों के निर्माण का बजट जारी होते ही प्रदेश के उन जिलों में इनके निर्माण का रास्ता साफ हो गया, जहां पर अभी तक कोई जेल नहीं है। प्रदेश के 11 जिलों क्रमशः अमेठी, महोबा में 990-990 बंदी क्षमता और कुशीनगर, चंदौली, औरेया, हापुड़, संभल, अमरोहा, भदोही में एक-एक हजार बंदी क्षमता, हाथरस में 1026 बंदी क्षमता, शामली में 2 हजार बंदी क्षमता की जेलों को निर्माण की कार्रवाई शुरू कर दी गई है।
इसी तरह ललितपुर में एक नये केंद्रीय कारागार के निर्माण की कार्रवाई तेज कर दी गई है, जिसकी बंदी क्षमता दो हजार होगी। ललिपुर में एक हजार बंदी क्षमता की दूसरी जिला कारागार के निर्माण की भी कार्यवाही शुरू कर दी गई है। इसी तरह बरेली की पुरानी जेल के मरम्मत एवं नवीनीकरण के लिए धनराशि स्वीकृत कर दी गई है, जिसका बंदी क्षमता 2579 होगी।
इसके अलावा मुरादाबाद, मुजफ्फनगर में तीन-तीन हजार, शाहजहांपुर, बदायूं, वाराणसी में दो-दो हजार, जौनपुर, रामपुर में एक-एक हजार और कानपुर नगर में 5 हजार बंदी क्षमता के जिला कारगार के निर्माण की कार्रवाई चल रही है। वहीं मार्च के आखिर में श्रावस्ती में 502 और प्रयागराज में 2688 बंदी क्षमता का जिला कारागार बनकर तैयार हो जाएगा।
साथ ही गोरखुपर जिला कारागार में 30 बंदी क्षमता की एक बैरक, केंद्रीय कारागार वाराणसी में 30 क्षमता की सात बैरक और जिला कारागार मथुरा में 30 बंदी क्षमता की चार बैरक का निर्माण कार्य किया जा रहा है। ऐसे में नई जेलों के निर्माण, कुछ जेलों की मरम्मत और जेलों में बैरक की क्षमता बढ़ाने से 35 हजार से अधिक बंदियों को जिन जेलों में क्षमता से अधिक रखा गया है उन्हे यहां शिफ्ट किया जा सकेगा।