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उप्र में 100 दिनों में 1.71 लाख हेक्टेयर भूमि खेती योग्य बनाई जाएगी

  • भूमि सुधार की दिशा में बड़ा कदम, प्राकृतिक खेती मिशन को 35 जिलों में लागू करने की तैयारी

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में आगामी 100 दिनों में कुल एक लाख 71 हजार 186 हेक्टेयर भूमि को सुधार कर कृषि योग्य बनाया जाएगा। इससे बड़ी संख्या में किसानों को लाभ होगा। कृषि विभाग ने कृषि उत्पादन क्षेत्र में आगामी 100 दिनों, छह महीनों एवं दो वर्षों में किये जाने वाले कार्यों का मुख्यमंत्री के समक्ष अपने प्रस्तुतीकरण में यह बताया।

भूमि सुधार के लिए चलाई जा रही पंडित दीनदयाल उपाध्याय किसान समृद्धि योजना के अंतर्गत आगामी 100 दिनों में 477.33 रुपये करोड़ का खर्च प्रस्तावित है। इस योजना में पिछले पांच वर्षों में एक लाख 41 हजार 840 हेक्टेयर भूमि उपजाऊ कृषि योग्य भूमि में परिवर्तित की गई है। इस योजना पर लगभग 291.70 करोड़ रुपये का खर्च आया। एक सर्वेक्षण के आधार पर परियोजना क्षेत्रों में 8.58 क्विंटल प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन में वृद्धि हुई है। लगभग 48.53 प्रतिशत आय में वृद्धि देखी गई और भूगर्भ जल स्तर में 1.42 मीटर की वृद्धि परिलक्षित हुई।

जैविक क्लस्टर को बढ़ावा देने की नीति के अंतर्गत, वर्ष 2021-22 तक 4784 क्लस्टरों (95,680 हेक्टेयर) से 1.75 लाख किसानों को जोड़ा गया है। इनमें, नमामि गंगे योजना के तहत 3309 क्लस्टर, पीकेवीवाई में 1195 क्लस्टर एवं हमीरपुर जैविक खेती योजना में 280 क्लस्टर हैं। इनमें योजना के अंतर्गत भूमि का क्षेत्रफल लगभग 95 हजार 680 हेक्टेयर है। इस नीति में तीन-वर्षीय कार्यक्रम के अंतर्गत, एक क्लस्टर में लगभग 50 किसान जोड़े जाते हैं और प्रति क्लस्टर तीन वित्तीय वर्ष के लिए 10 लाख रुपये का प्रावधान है।

आगामी 100 दिनों की कार्ययोजना के अंतर्गत, केंद्र द्वारा संवर्धित मिशन प्राकृतिक खेती के अंतर्गत भारतीय प्राकृतिक कृषि पद्धति योजना को प्रदेश के 35 जिलों में लागू किया जाएगा, जिसके लिए विकास खंड स्तर पर 500 से 1000 हेक्टेयर क्षेत्रफल के क्लस्टर का गठन होगा। यह योजना खरीफ 2022 से शुरू की जाएगी। इस पर 82.83 करोड़ रुपये (केंद्र पोषित) खर्च किये जाएंगे। बुंदेलखंड के समस्त जिलों में गौ आधारित प्राकृतिक खेती का क्रियान्वयन भी तेज किया जाने का लक्ष्य रखा गया है और मई माह में राज्यस्तरीय प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया जाएगा।

पराली प्रबंधन में उल्लेखनीय कार्य

पराली प्रबंधन के क्षेत्र में भी उत्तर प्रदेश में उल्लेखनीय काम किया गया है। किसानों को इससे राहत देने के लिए सरकार ने कई कदम उठाये। पिछले पांच वर्षों में प्रति लाख हेक्टेयर धान क्षेत्रफल में पराली जलाने की औसत घटनाओं की संख्या उत्तर प्रदेश में मात्र 71 और उप्र/एनसीआर में 132 दर्ज की गईं। इसके अपेक्षा, पंजाब में यह संख्या 2264 एवं हरियाणा में 452 दर्ज की गई थी। उत्तर प्रदेश में पराली को गौशालाओं में चारे के रूप में आपूर्ति किये जाने के लिए पराली दो, खाद लो अभियान भी सफलतापूर्वक चलाया जा रहा है।

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