ओपिनियन

वक्फ़ के आतंक और लूट से मिली गरीब मुसलमानों को मुक्ति

मृत्युंजय दीक्षित


स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद संसदीय इतिहास में हुई सबसे लंबी बहस के बाद ऐतिहासिक वक्फ़ संशोधन विधेयक -2025 पारित हुआ, राष्ट्रपति के हस्ताक्षर और अधिसूचना जारी होने के बाद अब यह कानून बन चुका है। कुछ लोग इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट गए हैं जहाँ केंद्र सरकार ने एक कैविएट दाखिल करते हुए कहा है कि बिना उसकी बात सुने कोर्ट कोई फैसला न सुनाए। वक्फ़ संशोधन कानून बन जाने के बाद भी उस पर पक्ष और विपक्ष की राजनीति का दौर जारी है। संसद में बहस व संसदीय गणित में हार जाने के बाद मुस्लिम तुष्टिकरण में संलिप्त ऐसे -ऐसे संगठन याचिकाएं लेकर जा रहे हैं जो राष्ट्रद्रोह के अंतर्गत प्रतिबंधित हैं या उनके खिलाफ राष्ट्रविरोधी गतिविधियों के तहत मुकदमे चल रहे हैं।

यह समाचार पुष्ट होने के साथ ही कि सरकार संसद के बजट सत्र में ही वक्फ़ विधेयक पारित कराने जा रही है इन संगठनों ने काली पट्टी बांधने जैसे प्रदर्शन आरम्भ कर दिए थे। अब कानून पारित हो जाने के बाद ये सड़कों पर अराजकता और हिंसक प्रदर्शन पर उतर आए हैं।बंगाल के मुर्शिदाबाद में मुस्लिम संगठनों के प्रदर्शन के दौरान व्यापक हिंसा फ़ैल गई। सूत्रों की मानें तो हिंसा फैलाने में बंगाल की सत्ताधारी पार्टी के कार्यकर्ताओं का ही हाथ रहा है। वहां आयोजित विरोध प्रदर्शन में प्रधानमंत्री मोदी विरोधी ही नहीं अपितु संविधान विरोधी नारे भी लगाये जा रहे थे।

संसद द्वारा पारित कानून के विरोध में जम्मू कश्मीर विधानसभा में भी भरपूर हंगामा देखने को मिल रहा है जो पूरी तरह से औचित्यहीन और संविधानविरोधी कृत्य है। यह देश के इतिहास में पहली बार हुआ है कि संसद द्वारा पारित विधेयक के विरोध में किसी राज्य की विधानसभा में केवल मुस्लिम तुष्टीकरण को और अधिक पुष्ट करने के लिए हंगामा हुआ हो। तमिलनाडु विधानसभा भी संविधान के दायरे से बाहर जाकर वक्फ़ कानून के खिलाफ प्रस्ताव पारित कर चुकी है।

विधेयक के पक्ष व विपक्ष में सभी प्रकार के संगठनों ने अपना कैलेंडर घोषित कर दिया है। अब इस कानून का चाहे जितना विरोध हो यह सुनिश्चित हो गया है कि संसद से पारित यह कानून लागू होगा और सभी नागरिकों पर बाध्यकारी होगा। भाजपा व राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने जनता के मध्य अपने विचार रखने के लिए कमर कस ली है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का समवैचारिक संगठन राष्ट्रीय मुस्लिम मंच मुसलमानों के मध्य में जाकर संगोष्ठियां करने जा रहा है। जिनमें बताया जायेगा कि नया वक्फ़ कानून किस प्रकार गरीब मुसलमनों के हक़ में है।

सदन में बहस के दौरान सांसदों ने वक्फ़ व उससे संबंधित राजनीति को बेनकाब करते हुए बहस की थी, वहीं विपक्ष ने इसे संविधान विरोधी संशोधन बताया था। कट्टरपंथी मौलानाओं सहित तमाम मुस्लिम संगठन व विरोधी दल अभी भी लगातार जहर उगल रहे हें जबकि वास्तविकता यह है कि इस विधेयक के कानून बन जाने से अब देशभर में वक्फ़ के नाम पर संपत्ति लूटने व कब्जाने का जो आतंक चल रहा था वह समाप्त हो जाने की संभावना बलवती हो गई है। साथ ही वक्फ़ के नाम पर जितने भी घोटाले व उनकी आड़ में जो अनैतिक कृत्य चल रहे थे उनका आतंक भी समाप्त हो जायेगा।

संसद के दोनो सदनों में वक्फ़ कानून पर बहस के दौरान गांधी परिवार ने मौन साध लिया था लेकिन अब वह लोग मुस्लिम तुष्टीकरण के लिए कट्टरपंथी मौलानाओं को भड़काने के लिए अनर्गल प्रलाप कर रहे है। राहुल गांधी ने कांग्रेस कार्यकारिणी की बैठक में कहा कि सरकार ने जनता से जुड़े विभिन्न मुद्दों से ध्यान हटाने के लिए ढाई दिन तक ढोंग और नाटकबाजी करी। गांधी परिवार के बयानों के फलस्वरूप देशभर के कट्टरपंथी तत्व वक्फ़ विरोध के नाम पर देशभर में अराजकता फैला रहे हैं। यह तत्व प्रदर्शन के दौरान संविधान विरोधी बयानबाजी के साथ संसद भवन का घेराव करने की भी धमकी दे रहे हैं किंतु इस बार केंद्र व राज्य सरकारें पूरी तरह से सतर्क हैं। समस्या उन राज्यों में है जिनमें भाजपा विरोधी सरकारें हैं।

वक्फ़ कानून के विरोध में सेक्युलर जिहादी गठजोड़ की ओर से देश को दंगों की आग में जलाने की तैयारी चल रही है । वक्फ़ कानून का जिस प्रकार विरोध हो रहा है उससे पता चलता है कि संविधन की किताब हाथ में लेकर चलने वालों को न देश के संविधानन की चिंता है और न ही न्यायपालिका के सम्मान की। वक्फ़ बोर्ड के नाम पर चल रहे जमीन माफिया और मुस्लिम वोटों पर अपना एकाधिकार मानने वाले सेक्युलर माफिया को केवल अपने निहित स्वार्थ की चिंता है ।वह केवल इसलिए घबराकर वक्फ़ कानून का विरोध कर रहे हैं कि कहीं गरीब मुसलमानों का वोट भारतीय जनता पार्टी की ओर न मुड़ जाए।

इस विधेयक के पारित होते समय देश के गरीब मुसलमनों ने भी जश्न मनाया था। यह कानून देश की राजनीति में व्यापक बदलाव लाने वाला कानून हो सकता है । यह नया कानून सामाजिक-आर्थिक न्याय, पारदर्शिता, और समावेशी विकास की प्रतिबद्धता सुनिश्चित करने वाला है। यह विशेष रूप से उन लोगों के लिए लाभदायक है जो लंबे समय से हाशिये पर हैं। दशकों से चली आ रही वक्फ़ व्यवस्था में जो गरीब और पसमांदा मुसलमान हितों से वंचित थे अब उनको लाभ मिलने जा रहा है। वक्फ़ कानून का पसमांदा,वोहरा व अहमदिया आदि ने समर्थन किया है।

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का कहना है कि वक्फ़ संशोधन कानून, वक्फ़ संपत्तियों के प्रबंधन से से जुड़ी समस्याओं के समाधान के साथ ही वक्फ़ संपत्तियों को अवैध कब्जों और भ्रष्टाचार से मुक्ति दिलाने में कारगर साबित होगा। योगी ने वक्फ़ बोर्ड को सबसे बड़ा भू -माफिया बोर्ड बताते हुए घोषणा की है कि अब वक्फ़ की जमीन के नाम पर माफियागिरी नहीं चलने चाली है। वक्फ़ के नाम पर इतना आतंक मचा हुआ था कि महाकुंभ की पवित्र भूमि को भी इन लोगों ने वक्फ़ की जमीन बता दिया था।वक्फ़ के नाम पर इतना अधिक आतंक मचा दिया था कि संसद भवन की जमीन तक को वक्फ़ की जमीन बताने लग गये थे।

वक्फ़ के नाम पर हजारों गैर मुस्लिम संपत्तियों को वक्फ़ की बता दिया गया। वक्फ़ के नाम पर सबसे अधिक आतंक दक्षिण भारत में मचाया गया क्यांकि वहां कांग्रेस व इंडी गठबंधन की सरकारों का संरक्षण रहा। अभी तक यह लोग जहां की जमीन पर अपना दावा ठोक देते थे वह जमीन उनकी हो जाती थी और उसे किसी प्रकार से भी किसी भी अदालत में चुनौती नहीं दी जा सकती थी किंतु अब दी जा सकेगी। वक्फ़ कानून में जो सुधार किये गये हैं वह गरीब मुसलमानों के पक्ष में किये गये हैं। वक्फ़ की 8.72 लाख संपत्तियां अपनी क्षमता का पूरा उपयोग नहीं कर पा रही थीं क्योंकि उन पर चंद लोगों का कब्ज़ा था। दूसरी तरफ वक्फ़ का आतंक इतना अधिक हो गया था कि केरल के ईसाई संगठन भी बहुत परेशान हो गए थे यह कानून उन्हें भी संरक्षण प्रदान कर रहा है और यही कारण है कि ईसाई समाज के संगठनों ने नये वक्फ़ संशोधन का समर्थन किया है।

आज जो लोग वक्फ़ कानून का विरोध कर रहे है वे सभी संविधान विरोधी व छद्म मुस्लिम हितैषी हैं। ये लोग अराजकता फैला कर विदेशों में भारत की छवि मुस्लिम विरोधी दिखाकर अपना स्वार्थ सिद्ध करना चाहते हैं। सच तो यह है कि यह भविष्य की नींव मजबूत करने वाला संशोधन है इससे अब वह हर मुसलमान लाभान्वित होगा जो अभी तक विकास से अछूता रहा है।

Khabri Adda

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