पाकिस्तान और चीन सीमा पर पैनी निगाह रखने के लिए रक्षा मंत्रालय ने मंगलवार को सर्विलांस सैटेलाइट के लिए 4000 करोड़ रुपये के प्रस्ताव को मंजूरी दी. इस सैटेलाइट से भारतीय सेना को सीमा पर निगरानी रखने में सहूलियत होगी. रक्षा अधिग्रहण परिषद की बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी दी गई. सरकारी सूत्रों ने समाचार एजेंसी एएनआई को बताया, ‘रक्षा अधिग्रहण परिषद की बैठक ने भारतीय सेना के लिए भारत में समर्पित उपग्रह के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी. उपग्रह जीसैट 7बी के लिए परियोजना को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के साथ साझेदारी में अंजाम दिया जाएगा और इससे भारतीय सेना को मदद मिलेगी. सेना ने सीमावर्ती क्षेत्रों में अपनी निगरानी बढ़ाई है.
भारतीय नौसेना और वायु सेना के पास पहले से ही अपने स्वयं के समर्पित उपग्रह हैं और इसके अनुमोदन से भारतीय सेना को क्षमता हासिल करने में मदद मिलेगी. अप्रैल-मई 2020 से चीन के साथ सैन्य गतिरोध के बाद, भारतीय सेना चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर ड्रोन सहित अपनी निगरानी संपत्तियों को मजबूत करने के साथ-साथ क्षमताओं को उन्नत करने की दिशा में काम कर रही है. रक्षा अधिकारियों ने कहा कि इसरो द्वारा निर्मित उपग्रह देश में स्वदेशी उद्योग विकसित करने के लिए प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू किए गए मेक इन इंडिया कार्यक्रम में भी मदद करेगा.
380.43 करोड़ रुपये की 14 वस्तुओं की खरीद को मंजूरी
बता दें कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में रक्षा अधिग्रहण परिषद की बैठक हुई. इस बैठक में देश के सशस्त्र बलों को बढ़ावा देने के लिए 8,357 करोड़ रुपये के पूंजी अधिग्रहण प्रस्तावों को मंजूरी दी गई. एक बयान में कहा गया है कि ‘भारतीय खरीदें’ श्रेणी के तहत सभी प्रस्तावों को मंजूरी दी गई है. रक्षा अधिग्रहण परिषद ने आज रक्षा उत्कृष्टता स्टार्टअप्स/एमएसएमई के लिए नवाचारों से 380.43 करोड़ रुपये की 14 वस्तुओं की खरीद को मंजूरी दी.
रक्षा मंत्रालय ने बताया कि इन वस्तुओं की खरीद सेना, नौसेना, वायु सेना द्वारा की जाएगी. रक्षा मंत्रालय ने बताया कि अधिग्रहण परिषद ने रक्षा उत्कृष्टता स्टार्टअप्स/एमएसएमई के लिए नई सरलीकृत प्रक्रिया को भी मंजूरी दी. यह स्टार्टअप्स/एमएसएमई से खरीद को तेजी से ट्रैक करेगा. नई प्रक्रिया के अनुसार एओएन से अनुबंध पर हस्ताक्षर करने के लिए खरीद चक्र लगभग 22 सप्ताह का होगा.