नई दिल्ली। दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार को निर्देश दिया है कि वो यौन उत्पीड़न के पीड़ितों को मुआवजा देने के लिए दिल्ली राज्य विधिक सेवा प्राधिकार (डीएसएलएसए) को 15 करोड़ 50 लाख रुपये दस दिनों के अंदर जारी करे। जस्टिस जसमीत सिंह की बेंच ने ये आदेश जारी किया। नौ सितंबर को सुनवाई के दौरान कोर्ट ने इस बात पर गौर किया था कि यौन उत्पीड़न के पीड़ितों को मुआवजा देने के लिए कोष खत्म हो गया है। उसके पहले 4 मई को कोर्ट ने दिल्ली राज्य विधिक सेवा प्राधिकार से यौन उत्पीड़न से जुड़े एफआईआर के मामलों में पीड़ितों को मुआवजा देने के मामले पर स्टेटस रिपोर्ट तलब किया था।
सुनवाई के दौरान दिल्ली राज्य विधिक सेवा प्राधिकार के सचिव कंवलजीत अरोड़ा ने कोर्ट को बताया था कि जनवरी 2012 से लेकर दिसंबर 2017 के बीच 87405 एफआईआर की पहचान की गई थी। इसके बावजूद दिल्ली पुलिस ने उन एफआईआर को दिल्ली राज्य विधिक सेवा प्राधिकार के पास नहीं भेजा। अरोड़ा ने कहा था कि इन एफआईआर में से कुछ ऐसे हो सकते हैं, जिनमें अपराध होना नहीं पाया गया हो और कुछ में मुआवजा भी दिया गया होगा। उसके बाद कोर्ट ने दिल्ली विधिक सेवा प्राधिकार को स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया था।
पहले की सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस ने कोर्ट को सूचित किया था कि सभी जिलों के डीसीपी को इस बारे में जागरूक किया गया है कि वे यौन उत्पीड़न से जुड़े मामलों को दिल्ली विधिक सेवा प्राधिकार से साझा करें। कोर्ट ने कहा था कि कोई भी पीड़ित मुआवजा पाने से न छूटे, इसके लिए उपाय किए जाएं। सुनवाई के दौरान दिल्ली विधिक सेवा प्राधिकर ने कहा था कि उसने डिस्ट्रिक्ट जज, मुख्यालय को पत्र लिखकर पॉक्सो के मामलों की सुनवाई कर रहे स्पेशल जजों से उन मामलों को साझा करने को कहा था, जिनमें अभी तक पीड़ितों को मुआवजा नहीं मिला है।