क्या राजनीति के तहत कांग्रेस संजय गांधी अस्पताल को बंद करना चाहती है?

अमेठी जिले के संजय गांधी अस्पताल में मृतक हुई 22 वर्षीय दिव्या शुक्ला के मामले को लेकर आज अमेठी कस्बे में निकल गया मसाल जुलूस। यह मसाल जुलूस गौरीगंज रोड से चलकर सगरा तिराहा होते हुए गांधी चौक पर समाप्त हुआ। आज का यह मसाल जुलूस जिला पंचायत अध्यक्ष एवं प्रसिद्ध उद्योगपति राजेश कुमार अग्रहरी उर्फ राजेश मसाला के नेतृत्व में निकल गया। इस दौरान भाजपा नेता राजेश अग्रहरि ने बताया कि भारतीय जनता पार्टी किसी भी कीमत पर अस्पताल को बंद करने के पक्ष में नहीं है। यह कांग्रेस केवल राजनीति कर रही है। कांग्रेस पार्टी के द्वारा भारतीय जनता पार्टी को सिर्फ बदनाम किया जा रहा है। क्योंकि कांग्रेस पार्टी स्वयं संजय गांधी अस्पताल को बंद करना चाहती है। यह इसी बात से स्पष्ट होता है कि अस्पताल की इस जमीन को मेडिकल कॉलेज खोलने के लिए लिया गया था। जबकि 2014 तक केंद्र में कांग्रेस पार्टी की सरकार रही। यही नहीं इस बीच में कांग्रेस पार्टी की सरकार केंद्र के साथ-साथ उत्तर प्रदेश में भी थी। लेकिन तब भी इनके द्वारा मेडिकल कॉलेज को खोलने का प्रयास नहीं किया गया। मायावती सरकार में मेडिकल कॉलेज को खोलने के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र प्राप्त हो चुका था और अस्पताल प्रशासन द्वारा इस मेडिकल कॉलेज का नाम राजीव गांधी मेडिकल कॉलेज रख दिया गया था। यही नहीं उसे समय स्वास्थ्य महानिदेशक पद पर रहे डॉक्टर आरके श्रीवास्तव को इस मेडिकल कॉलेज का प्रिंसिपल भी बनाया गया था। लेकिन उसके आगे कोई कार्य नहीं किए जाने के कारण प्रिंसिपल ने भी अपने पद से इस्तीफा दे दिया और चले गए। अमेठी संसदीय क्षेत्र में कांग्रेस पार्टी के द्वारा लाइफ लाइन एक्सप्रेस ट्रेन प्रतिवर्ष चलाई जाती थी । इस ट्रेन पर दवा इलाज के साथ-साथ भारत के उत्कृष्ट डॉक्टर के द्वारा बड़े-बड़े ऑपरेशन किए जाते थे। इसमें होंठ कटे का ऑपरेशन पथरी का ऑपरेशन, आंखों का ऑपरेशन सहित बहुत सारे ऑपरेशन होते थे। जरूरतमंदों को ट्राई साइकिल, कैलिबर बैसाखी के साथ-साथ आंखों के चश्मा और कान की मशीन इत्यादि भी निशुल्क दिए जाते थे। इससे 1 साल में लगभग 50,000 से अधिक लोगों का निशुल्क इलाज होता था। लेकिन कांग्रेस पार्टी के द्वारा इसको बंद कर दिया गया। यही नहीं कांग्रेस पार्टी ने लंबे समय से गांव-गांव पहुंचकर अमेठी की जनता को स्वास्थ्य सेवाएं मुहैय्या करने वाले उन सभी एंबुलेंस को भी बंद करने का काम किया जो राजीव गांधी सचल स्वास्थ्य सेवा के नाम से जानी जाती थी। अमेठी संसदीय क्षेत्र में कुल 14 एम्बुलेंस चलती थी। सबसे बड़ी बात तो यह है कि यह एंबुलेंस तत्कालीन सांसद रहे कैप्टन सतीश शर्मा के सांसद निधि से खरीदी गई थी। एक एंबुलेंस में फार्मासिस्ट , ड्राइवर , लैब टेक्नीशियन के साथ-साथ एक वार्ड बॉय काम करता था। यह एंबुलेंस अमेठी संसदीय क्षेत्र के गांव-गांव में पहुंचकर मुफ्त में ही लोगों के रोगों की जांच और इलाज करती थी। इन सभी एंबुलेंस में तैनात सैकड़ो की संख्या में कर्मचारी अचानक सड़क पर आ गए और सबकी रोजी-रोटी बंद हो गई। इन पर आश्रितों का पूरा परिवार आज भुखमरी के कगार पर है। कांग्रेस ने कभी इन सबके विषय में नहीं सोचा। इन एंबुलेंस को बंद करते समय यह कहा गया था कि आप लोगों को नियोजित किया जाएगा। लेकिन आज तक वह लोग दर-दर भटक रहे हैं और सैकड़ो बार दिल्ली तक जा चुके हैं। लेकिन कहीं कुछ भी नहीं हुआ। यही नहीं इसी संजय गांधी अस्पताल में दो एंबुलेंस वैन काम करती थी। जो गांव-गांव पहुंचकर इलाज करती थी उनको भी बंद करने का काम कांग्रेस पार्टी ने किया है। कांग्रेस पार्टी स्वयं सारी सेवाएं बंद करती है और नाम दूसरे का लगती है। इस संजय गांधी अस्पताल को खोलते समय शपथ पत्र देकर यह कहा गया था कि यह मेडिकल कॉलेज होगा और अमेठी की जनता का मुफ्त इलाज किया जाएगा। ना तो यह मेडिकल कॉलेज बनाया गया और ना ही अब अमेठी की जनता का मुफ्त इलाज हो रहा है। 1996 के बाद लगातार इसकी फीस बढ़ती गई इसके खर्च बढ़ते गए बाहर जिसका ऑपरेशन 20 से 25000 में हो जाएगा संजय गांधी अस्पताल में वही ऑपरेशन का खर्च 70 से 75 हजार रुपए लगता है। कांग्रेस पार्टी ने जो कुछ अपने शपथ पत्र में लिख कर दिया है अगर वही सुविधा अमेठी की जनता को उपलब्ध कराती है तो निश्चित रूप से अस्पताल को चलाने में कोई भी कठिनाई नहीं आएगी। लेकिन यह अस्पताल तो अब लूट का अड्डा बन चुका है। यह कर्मचारियों के नाम पर घूम-घूम कर लोगों की संवेदनाएं हासिल करने का काम कर रहे हैं। जबकि वास्तविकता कुछ और ही है।