
न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पीठ ने शुक्रवार को चारधाम परियोजना के लिए हाई पॉवर कमेटी के अध्यक्ष रवि चोपड़ा का इस्तीफा स्वीकार कर लिया है. उन्होंने जनवरी में पत्र लिखकर यह पद छोड़ने की इच्छा जताई थी. सुप्रीम कोर्ट ने अपने पूर्व न्यायाधीश ए. के. सीकरी को उच्चाधिकार प्राप्त उस समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया, जो पूरी हिमालयी घाटी पर चारधाम परियोजना के प्रभाव के बारे में विचार करेगी. पिछली बार सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को परियोजना के एक हिस्से के रूप में 10 मीटर चौड़ाई की सभी मौसम-सड़कों के निर्माण की अनुमति दी थी.
केंद्र सरकार ने तब इंडो चाइना सीमा की ओर जाने वाली सड़क को चौड़ा करने की मांग की थी. सुप्रीम कोर्ट ने परियोजना पर सीधे रिपोर्ट करने के लिए पूर्व न्यायमूर्ति एके सीकरी की अध्यक्षता में एक निरीक्षण समिति का गठन भी किया था. सुप्रीम कोर्ट ने रक्षाा मंत्रालय, सड़क परिवहन मंत्रालय, उत्तराखंड सरकार व सभी जिलाधिकारियों को आदेश दिया था कि वह निगरानी समिति को पूरा सहयोग करेंगे.
सीमाओं पर सुरक्षा के लिए गंभीर चुनौतियां सामने आई हैं- सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि हाल के दिनों में सीमाओं पर सुरक्षा के लिए गंभीर चुनौतियां सामने आई हैं, यह अदालत सशस्त्र बलों की ढांचागत जरूरतों का दूसरा अनुमान नहीं लगा सकती है. केंद्र की ओर से पेश हुए अटॉर्नी जनरल के.के. वेणुगोपाल ने कहा कि चूंकि यह अदालत न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) सीकरी को चारधाम परियोजना से जुड़ी पर्यावरण संबंधी चिंताओं और अन्य मुद्दों पर विचार करने के लिए गठित निगरानी समिति का अध्यक्ष नियुक्त कर चुकी है तो यह बेहतर होगा कि उन्हें उच्चाधिकार प्राप्त समिति के अध्यक्ष के तौर पर नियुक्त कर दिया जाए.
रवि चोपड़ा आठ अगस्त 2019 को नियुक्त हुए थे एचपीसी के अध्यक्ष
पीठ इस सुझाव पर राजी हो गई और न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) सीकरी को एचपीसी का अध्यक्ष नियुक्त कर दिया. चोपड़ा को शीर्ष न्यायालय ने आठ अगस्त 2019 को एचपीसी का अध्यक्ष नियुक्त किया था. न्यायालय ने पिछले साल 14 दिसंबर को उत्तराखंड में सामरिक रूप से महत्वपूर्ण चारधाम राजमार्ग परियोजना के दोहरी लेन चौड़ीकरण की मंजूरी दी थी और कहा था कि देश की सुरक्षा चिंताएं वक्त के साथ बदल सकती हैं और हाल फिलहाल में देश की गंभीर सुरक्षा चुनौतियां सामने आई हैं.
शीर्ष न्यायालय ने न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) सीकरी की अध्यक्षता में निगरानी समिति गठित करते हुए कहा था, ‘न्यायिक समीक्षा की इस कवायद में अदालत सशस्त्र बलों की ढांचागत आवश्यकताओं का अनुमान नहीं लगा सकती.’ यह समिति चीन के साथ लगने वाली सीमा पर इस महत्वाकांक्षी 900 किलोमीटर की परियोजना पर सीधे न्यायालय को जानकारी देगी.