
चावल की बढ़ती कीमतों पर काबू पाने के लिए केंद्र सरकार ने एहतियातन कदम उठाने शुरु कर दिए हैं। इसके तहत सरकार ने चावल पर निर्यात शुल्क बढ़ाने से लेकर कुछ किस्मों का निर्यात पूरी तरह से प्रतिबंधित करने का भी फैसला कर लिया है। इस फैसले पर अमल करते हुए सरकार ने आज से टूटे चावलों के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है। केंद्र अब केवल उन्हीं कंसाइंमेंट के निर्यात की इजाजत देगा जिनकी लोडिंग और बिलिंग हो गई है।
केंद्रीय खाद्य सचिव सुधांशु पांडे ने शुक्रवार को इस बारे में जानकारी देते हुए कहा कि वर्ष 2022-23 में चावल की उपज 7-8 मिलियन टन कम हो सकती है। बहुत खराब स्थिति होने पर यह बढ़कर 12 मिलियन टन तक जा सकती है। चावल की कम उपज के लिए सूखा को कारण बताया गया। उन्होंने कहा कि चार राज्यों में सूखे की वजह से 25 लाख हेक्टेयर जमीन प्रभावित हुई।
इससे उपज में 7-8 मिलियन टन की कमी आने की संभावना है। केंद्र सरकार के मुताबिक देश में इस वर्ष चावल की खेती 38.06 लाख हेक्टेयर में की गई। भारत अनाज का बहुत बड़ा निर्यातक देश है। चावल के उत्पादन को प्रभावित होता देख भारत ने इसके विभिन्न वेराइटी के निर्यात पर 20 प्रतिशत शुल्क लगाया गया। इतना ही नहीं टूटे हुए चावल के निर्यात को पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दिया गया। ताकि देश के अंदर चावल की आपूर्ति प्रभावित न होने पाए।