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भारत के साथ रूसी लड़ाकू योद्धा मिग-21 ने पूरे किये 60 साल, अब विदाई की तैयारी

  • वायु सेना प्रमुख ने मिग-29 में उड़ान भरकर सुपरसोनिक विमान की हीरक जयंती मनाई
  • विंग कमांडर अभिनंदन इसी रूसी विमान से कूदकर बने थे पाकिस्तान के ‘बंधक मेहमान’

नई दिल्ली। भारत के लिए पाकिस्तान के साथ तीन युद्ध जीतने वाले रूसी लड़ाकू योद्धा मिग-21 ने भारतीय वायु सेना के साथ 60 साल पूरे कर लिए हैं। वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी ने गुरुवार को 14 मिग-29 विमानों के फॉर्मेशन में उड़ान भरकर सुपरसोनिक विमान की हीरक जयंती मनाई। अपने आखिरी कारनामे में इसी रूसी विमान ने बालाकोट स्ट्राइक के दौरान पाकिस्तानी एफ-16 को मार गिराया था और विंग कमांडर अभिनंदन इसी विमान से कूदकर पाकिस्तान के ‘बंधक मेहमान’ बने थे। साठ साल की उम्र पूरी करने के बाद अब भारतीय वायुसेना से रूसी लड़ाकू विमान मिग वेरिएंट की विदाई का वक्त करीब आ गया है।

भारतीय वायु सेना के बेड़े में मार्च, 1963 में शामिल हुआ पहला सुपरसोनिक विमान मिग-21 अब 60 साल पूरे कर चुका है। 1971 के युद्ध के नायक और कई लड़ाकू भूमिका निभाने के लिए वर्षों में अपग्रेड किए गए विमान आज भी देश की सेवा कर रहे हैं। वायु सेना की 28 स्क्वाड्रन ‘फर्स्ट सुपरसोनिक्स’ के 60 साल पूरे पर वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी और वेस्टर्न एयर कमांड के कमांडिंग-इन-चीफ एयर मार्शल पीएम सिन्हा ने 14 मिग-29 विमानों के फॉर्मेशन में उड़ान भरकर हीरक जयंती मनाई। एयर चीफ मार्शल चौधरी ने 2001 से 2003 तक ‘फर्स्ट सुपरसोनिक्स’ स्क्वाड्रन की कमान संभाली थी। कई लड़ाकू भूमिका निभाने के लिए वर्षों में अपग्रेड किए गए यह रूसी विमान आज भी देश की सेवा कर रहे हैं।

भारतीय वायुसेना ने 1960 में कई अन्य पश्चिमी प्रतिस्पर्धियों के बीच मिग-21 खरीदने का विकल्प चुना। इस सौदे के बदले में सोवियत संघ ने भारत को प्रौद्योगिकी हस्तांतरण की। 1963 तक वायुसेना ने अपने बेड़े में 1,200 से अधिक विमानों को अपनी सेवा में लिया। 1964 में मिग-21 भारतीय वायुसेना के साथ पहला सुपरसोनिक फाइटर जेट बन गया। रूसी कंपनी ने कुल 11,496 मिग-21 का निर्माण किया, जिसमें से 840 विमान भारत में बनाये गए। भारत ने इस विमान का पहली बार 1965 में पाकिस्तान के साथ युद्ध में इस्तेमाल किया। हालांकि इस युद्ध में मिग-21 ने इसलिए सीमित भूमिका निभाई, क्योंकि उस समय तक वायुसेना में इनकी संख्या सीमित थी और प्रशिक्षित पायलट भी नहीं थे।

पाकिस्तान के साथ युद्ध के दौरान मिग-21 का संचालन करते हुए भारतीय वायुसेना को काफी बहुमूल्य अनुभव मिले। मिग-21 की क्षमताओं को एक बार फिर 1971 के बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के दौरान परखा गया। 1971 के इस युद्ध में उपमहाद्वीप में पहली सुपरसोनिक हवाई लड़ाई देखी गई, जब भारतीय मिग-21 ने पाकिस्तानी 104ए स्टार फाइटर का मुकाबला किया। इस दौरान पूर्वी क्षेत्र में मिग-21 ने डक्का में गवर्नर हाउस पर अंतिम हमला करके सैनिकों को आत्मसमर्पण करने के लिए मजबूर किया। इस युद्ध में भारत के मिग-21 का प्रदर्शन इस कदर शानदार रहा कि बाद में इराक सहित कई राष्ट्रों ने मिग-21 पायलट प्रशिक्षण के लिए भारत से संपर्क किया। 1970 के दशक तक भारत ने 120 से अधिक इराकी पायलटों को प्रशिक्षित किया।

हालांकि 1970 के बाद से मिग-21 सुरक्षा के मुद्दों से इस कदर त्रस्त हो चुका था कि दुर्घटनाओं में 170 से अधिक भारतीय पायलट और 40 नागरिक मारे गए। 1966 से 1984 के बीच 840 विमानों में से लगभग आधे दुर्घटनाओं में क्रैश हो गए। इन विमानों में से अधिकांश के इंजनों में आग लग गई या फिर छोटे पक्षियों से टकराकर नष्ट हुए। मिग-21 के लगातार दुर्घटनाग्रस्त होने पर इसे ‘उड़ता ताबूत’ कहा जाने लगा था। कारगिल युद्ध के दौरान एक मिग-21 पाकिस्तानी सैनिक की ‘कन्धा मिसाइल’ से मारा गया। 10 अगस्त, 1999 को भारतीय वायुसेना के दो मिग-21 विमानों ने पाकिस्तानी नौसेना के अटलांटिक समुद्री गश्ती विमान को उस समय मार गिराया, जब उसने आर-60 मिसाइल के साथ भारतीय हवाई क्षेत्र में प्रवेश किया था।

आखिरकार 50 वर्षों तक वायुसेना की सेवा में रहने के बाद 11 दिसम्बर, 2013 को इसे रिटायर कर दिया गया। उस समय तक भारत के पास 110 से अधिक मिग-21 बचे थे। इसके बाद मिग-21 तब सुर्ख़ियों में आया जब भारतीय वायु सेना के विंग कमांडर अभिनंदन वर्थमान ने 27 फरवरी, 2019 को बालाकोट स्ट्राइक के दौरान इसी विमान से पाकिस्तानी एफ-16 को मार गिराया, लेकिन पाकिस्तान इससे इनकार करता है। हालांकि, इसी दौरान उनके मिग-21 को भी गोली मार दी गई, जिसकी वजह से विंग कमांडर अभिनंदन वर्थमान पैराशूट से नीचे उतरे। पाकिस्तानी क्षेत्र में लैंड करने के कारण पाकिस्तानी सेना ने उन्हें बंदी बना लिया, लेकिन कूटनीतिक दबावों के बाद उन्हें चंद दिन बाद रिहा करना पड़ा।

मिग-21 बाइसन

रूसी कंपनी ने 11,496 मिग-21 विमानों का निर्माण करने के बाद अपने आखिरी मिग-21 को मिग बाइसन के रूप में 1985 में अपग्रेड किया था। इस परिष्कृत मॉडल में पहले वाले मिग-21 वेरिएंट की कई कमियों को दूर किया गया था। इसके बाद रूसी कंपनी ने भारतीय वायुसेना के पास बचे 54 मिग-21 विमानों को भी मिग-21 बाइसन के रूप में अपग्रेड किया। इसलिए भारतीय वायु सेना का मिग-21 अपग्रेड होकर ‘मिग-21 बाइसन’ हो गया। कई अन्य संशोधनों ने हवाई जहाज की क्षमता में चार गुना वृद्धि की और इसे अपग्रेड करके एफ-16 वेरिएंट के स्तर तक लाया गया। इस समय भारतीय वायुसेना के पास 54 मिग-21 बाइसन हैं, जो आज भी देश की सेवा कर रहे हैं।

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