बाल विवाह जैसी कुरीतियों के विरुद्ध लड़ीं थीं रखमाबाई : ब्रजेश पाठक

- उपमुख्यमंत्री पाठक ने रखमाबाई को किया नमन
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने रखमाबाई राउत की जयंती पर उन्हें नमन किया। उप मुख्यमंत्री ने मंगलवार को ट्विट कर कहा कि बाल विवाह जैसी कुरीतियों के विरुद्ध लड़ने वाली एवं देश की पहली अभ्यासरत महिला रखमाबाई राउत जी की जयंती पर सादर नमन।
समाज के लिए कार्य करने लिए रखमाबाई का नाम हमेशा लिया जाता रहेगा। बालगांगधर तिलक ने केसरी में लिखा था कि रखमाबाई की अवज्ञा एक अंग्रेजी शिक्षा का परिणाम था और घोषित किया कि हिंदू धर्म खतरे में है। मैक्स मुलर ने लिखा है कि कानूनी मार्ग रखमाबाई के मामले में दिखाई गई समस्या का समाधान नहीं था और कहा कि यह रखमाबाई की शिक्षा थी जिसने उन्हें अपने विकल्पों का सर्वश्रेष्ठ न्यायाधीश बना दिया था।
कामा अस्पताल में डा. एडिथ पेचेे ने रखमाबाई को प्रोत्साहित किया जिन्होंने उसकी शिक्षा के लिए धन जुटाने में मदद की। रखमाबाई 1889 में इंग्लैंड गई थीं। ताकि वह लंदन स्कूल ऑफ़ मेडिसिन फॉर विमेन में अध्ययन कर सकें। रखमाबाई को मताधिकार कार्यकर्ता ईवा मैकलेरन और वाल्टर मैकलेरन और भारत की महिलाओं को चिकित्सा सहायता प्रदान करने के लिए डफ़रिन के फंड की काउंटेस द्वारा सहायता दी गई थी।