
कर्नाटक। बीजेपी को बहुत ही जल्द नया प्रदेश अध्यक्ष मिल जाएगा. विधानसभा चुनाव में हार के बाद बीजेपी आलाकमान ने कर्नाटक में प्रदेश की कमान अब किसी और नेता को देने का मन बना लिया है. इसके साथ ही बीजेपी विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष के नाम का भी जल्द ही ऐलान करेगी. बीजेपी की कोशिश है कि प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष के लिए ऐसे नाम पर मुहर लगाई जाए जो मजबूत हो, सामाजिक और राजनीतिक समीकरण में फिट बैठें और अगले साल के लोकसभा चुनाव में कर्नाटक से ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतकर बीजेपी की झोली में डालें.
कर्नाटक बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष पद से नलिन कुमार कतील की जल्द विदाई होगी. कर्नाटक विधानसभा चुनाव में बीजेपी की हार के बाद से ही बीजेपी नेताओं के बयानों ने साफ कर दिया था कि बीजेपी नलिन कुमार कतील का विकल्प ढूढ रही है. वैसे भी बतौर अध्यक्ष नलिन कुमार कतील का तीन साल का कार्य पिछले साल ही पूरा हो चुका है.
बीजेपी ने प्रदेश अध्यक्ष के लिए जिन नामों पर विचार किया है उसमें बीएस येदियुरप्पा के बेटे विजयेंद्र, आर अशोक, अरविंद लिंबावली, सुनील कुमार और केंद्रीय मंत्री शोभा करांदलाजे का नाम शामिल हैं. इसके साथ ही सीएन अश्वथ नारायण और सीटी रवि के नाम पर भी बीजेपी आलाकमान ने विचार किया. इन नामों में विजयेंद्र लिंगायत, अरविंद लिंबावली एससी , सुनील कुमार ओबीसी से आते हैं. तो वहीं आर अशोक, सीएन अश्वथ नारायण, शोभा करांदलाजे और सीटी रवि वोक्कालिगा से आते हैं.
वहीं बीजेपी सूत्रों के मुताबिक़ नेता प्रतिपक्ष के लिए पूर्व सीएम बसवराज बोम्मई, वरिष्ठ नेता बसनगौड़ा पाटिल और अरविंद बेलाड के नाम पर चर्चा हो चुकी है. इसके अलावा सीएन अश्वथ नारायण ,वी. सुनील कुमार और आर अशोक के नाम पर पार्टी ने प्रदेश अध्यक्ष के साथ साथ विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष के तौर पर भी विचार किया था. अब जल्द ही नेता प्रतिपक्ष के नाम का बीजेपी ऐलान करेगी क्योकि अगले महीने जुलाई में कर्नाटक विधानसभा का सत्र प्रस्तावित है.
बीजेपी सूत्रों का कहना है कि बीजेपी आलाकमान इन दोनों पदों के जरिए लिंगायत और वोक्कालिगा वोटरों के बीच सामंजस्य बनाना चाहता है क्योंकि विधानसभा चुनाव के नतीजे बताते हैं कि जहां लिंगायत वोट बीजेपी से खिसके हैं तो वहीं वोक्कालिगा वोट जेडीएस से कांग्रेस में शिफ्ट हुए हैं. बीजेपी चाहती है कि प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष के चयन के जरिए लिंगायत, वोक्कालिगा, ओबीसी और दलित समेत राज्य के सभी समुदायों को प्रतिनिधित्व देने का संदेश दिया जा सके.
हालांकि बीजेपी के लिए प्रदेश अध्यक्ष और नेता विपक्ष चुनने में एक पेंच भी है जिसके चलते भी फैसले में देरी हो रही है. वो वजह है जेडीएस के साथ संभावित गठबंधन. बीजेपी सूत्रों का कहना है कि अगर जेडीएस के साथ गठबंधन जल्द होता है तो फिर प्रदेश में पार्टी की कमान किसी ओबीसी नेता को भी दी जा सकती है.