नई दिल्ली। कोरोना महामारी के बाद लोगों के घर की तलाश में तेजी से लगने के कारण चालू वर्ष की मार्च में समाप्त पहली तिमाही में पूरे देश में आवासीय संपत्तियों की कीमतों में औसतन सात प्रतिशत की बढोतरी दर्ज की गयी है। प्रोपर्टी खरीद फरोख्त प्लेटफार्म प्रोपटाइग डॉटकॉम की एक नयी रिपोर्ट में यह दावा किया गया है। इस संबंध में आज जारी बयान में कहा गया है कि 2023 की पहली तिमाही में भारत में आवास की कीमतें बढ़ी हैं और सभी प्रमुख रियल्टी बाजारों में औसत कीमतें लगभग 7 प्रतिशत दर से बढ़ी हैं।
रिपोर्ट में पता चला है कि पिछले एक साल में बेंगलुरु में संपत्तियों का औसत मूल्य 10 प्रतिशत बढ़ा है, जो उसे संपत्ति की कीमतों की सबसे ज्यादा बढ़त वाला बाजार बनाता है। पुणे और अहमदाबाद ने संपत्ति की औसत कीमतों में क्रमश: 8 प्रतिशत और 7 प्रतिशत बढ़त के साथ दाम बढ़े हैं। कंपनी ने कहा कि रियल एस्टेट लंबी अवधि में लगातार सबसे बढि़या प्रदर्शन वाली संपदा श्रेणियों में से एक रहा है और कीमतें बढ़ने की अपेक्षा के साथ यह लोगों के लिये आगे आने और अपने सपनों का घर खरीदने के लिये एक अच्छा समय हो सकता है।
इसके साथ ही यह ध्यान रखना होगा कि घर खरीदना आमतौर पर एक परिवार के लिये खरीदारी का सबसे महंगा फैसला होता है। इसलिये अंतिम फैसला करने से पहले हर पहलू को समझना महत्वपूर्ण है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में घर खरीदने की लागत कई कारकों से लगातार बढ़ रही है, जैसे कि कच्चे माल और मजदूरी की लागत में लगातार बढ़त, कोविड के बाद से घरों की बढ़ती मांग और इस साल मार्च में सरकार द्वारा वित्त पोषित सब्सिडी योजनाओं का खत्म होना आदि शामिल है।
इसके अलावा रिजर्व बैंक ने अभी के लिये दरें बढ़ाना रोक रखा है, लेकिन महंगाई एक चिंता है और अगली बार रिजर्व बैंक ऋण की मानक दर को बढ़ा सकती है, जिससे खरीदार के लिये कीमत बढ़ सकती है, क्योंकि होम लोन महंगा हो जायेगा। खरीदारी के रुझानों पर शोध प्रमुख अंकिता सूद ने कहा: “भारत के शहरों में घर का मालिक बनने पर नये जोर के साथ पिछले साल से संपत्तियों की कीमतें 6-7 प्रतिशत की तेज गति से बढ़ रही हैं।
इनपुट की लागत में बढ़त के अलावा, अंतिम यूजर के लिये सही उत्पाद और रहने के लिये तैयार परियोजनाओं की सीमित आपूर्ति ने कीमतें बढ़ाई हैं। दिलचस्प तरीके से, मार्च की तिमाही में औसत कीमतें सालाना 6 फीसदी बढ़ी हैं, लेकिन गुरुग्राम और बेंगलुरु के प्रमुख बाजारों ने सालाना क्रमश: 13 फीसदी और 10 फीसदी बढ़त दर्ज की है। मांग और आपूर्ति के बीच असंतुलन वाले बाजार के मौजूदा रुझानों को देखते हुए, हमें उम्मीद है कि संपत्ति के दाम बढ़ते रहेंगे, लेकिन कम सीमा में, जहाँ अच्छी गुणवत्ता का और रहने के लिये तैयार सेगमेंट बाजी मारेगा।”