मोटे अनाजों की विशेषताओं से परिचित कराने के लिए जागरूकता अभियान चलाएगी योगी सरकार
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लखनऊ। आने वाले समय में जहरीली खेती परंपरा हमारे पूरे परिस्थितिक संतुलन को गड़बड़ कर सकती है। जबकि सहअस्तित्व के लिए यह संतुलन जरूरी है। इसका एक मात्र तरीका है कि हम उस खेती की ओर लौटें जो रोगों एवं कीटों के प्रति प्रतिरोधी हों।
प्रदेश की योगी सरकार अन्तरराष्ट्रीय मिलेट वर्ष 2023 में मोटे अनाजों को लोकप्रिय बनाने पर खासा जोर दे रही है। इकोसिस्टम के संतुलन के अलावा इसकी और भी वजहें हैं। मसलन मोटे अनाज पैदा करने वाले प्रमुख देश भारत, नाइजर, सूडान हैं। इनके उत्पादन में भारत की हिस्सेदारी करीब 41 फीसद है। थोड़ा प्रयास करके इसे 50 फीसद तक करना संभव है। सर्वाधिक उत्पादन के बावजूद निर्यात में भारत का नंबर पांचवां है। पहले तीन नंबर पर क्रमशः नेपाल, संयुक्त अरब अमीरात, संयुक्त अरब आते हैं।
अगर भारत उपज एवं हिस्सेदारी बढ़ा ले तो उत्पादन के साथ निर्यात में भी यह दुनिया में नंबर एक हो सकता है। प्रमुख बाजरा उत्पादक राज्य के नाते इसका लाभ उत्तर प्रदेश और इसके किसानों को भी मिलेगा।
जागरूकता अभियान चलाएगी योगी सरकार
योगी सरकार मोटा खाएं निरोग रहें के थीम पर प्रदेश के 51 जिलों में मिलेट की खूबियों के प्रति किसानों को एवं आम आदमी को जागरूक करने के लिए 2023 में आक्रामक प्रचार अभियान भी चलाएगी।
मोटे अनाज की खूबियां
अमूमन मोटे अनाजों की खेती कम बारिश वाले इलाकों के अनुपजाऊ जमीन पर की जाती है। इनका रकबा और उपज बढ़ाने के लिए सरकार का प्रयास होगा कि वर्षा आधारित क्षेत्रों में उर्वर भूमि पर भी किसान इन अनाजों की खेती करें।फसल चक्र आधारित खेती के प्रशिक्षण में मोटे अनाजों की खूबियों एवं फसल चक्र में शामिल करने से होने वाले लाभ के बारे में किसानों को जानकारी दी जाएगी। पोषण की दृष्टि से विशेष पोषक तत्व – प्रोटीन, जिंक, आयरन, विटामिन्स से भरपूर पौष्टिक प्रजातियों के विकास के लिए संबंधित संस्थाओं को प्रोत्साहित किया जाएगा। राज्य एवं जिला स्तर पर दो-दो दिन की गोष्ठियां होंगी।
उत्पादन में गुणवत्तापूर्ण बीज के महत्व के मद्देजर सरकार ने किसानों को बाजरा, ज्वार, कोदो एवं सावां के क्रमशः 5000, 7000 एवं 200-200 कुन्तल बीज उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा है। बोने वाले हर किसान को बेहतर बीज उपलब्ध कराने के साथ प्रगतिशील किसानों को प्रदर्शन के लिए निःशुल्क मिनीकिट भी दिए जाएंगे। अधिक से अधिक किसान इनकी खेती करें इसके लिए इनकी खूबियों पर फोकस करते हुए आक्रामक अभियान (रोड शो, होर्डिंग्स, वाल पेंटिग्स) भी चलाया जाएगा।
राज्य, जिला एवं ब्लॉक स्तर पर राष्ट्रीय मिलेट्स दिवस, प्रमुख उत्पादक जिलों में एमएसपी न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद, सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) में मिलेट्स को बढ़ावा, समेकित बाल विकास एवं पुष्टाहार योजना एवं आश्रम पद्धति विद्यालयों में मिलेट्स को खाद्य पदार्थों में शामिल किया जाएगा। मूल्य संवर्धन के लिए बिस्कुट, बेकरी, केक, ब्रेड, नूडल्स एवं कुकीज आदि बनाने वाली इकाइयों की भी सरकार हर संभव मदद करेगी।
एनएफएसएम की योजनाओं से लाभान्वित होंगे यूपी के 24 जिले
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन-न्यूट्री सीरियल्स घटक में अलग फसलों के लिए यूपी कुल 24 जिले शामिल हैं। मसलन ज्वार के लिए जिन पांच जिलों को चुना गया है उनमें बांदा, चित्रकूट, हमीरपुर, कानपुर देहात एवं कानपुर नगर शामिल हैं। बाजरा के लिए जिन 19 जिलों को चुना गया है उनमें आगरा, अलीगढ़, प्रयागराज, औरैया, बदायूं, बुलंदशहर, एटा, इटावा, फिरोजाबाद, गाजीपुर, हाथरस, जालौन, कानपुर देहात, कासगंज, मैनपुरी, मथुरा, मीरजापुर, प्रतापगढ़ एवं संभल शामिल हैं। सांवा एवं कोदो के लिए एनएफएसए योजना के तहत सिर्फ एक जिला सोनभद्र को चुना गया है। केंद्र की इस योजना का लाभ इन जिले के किसानों को भी मिलेगा।
प्रति हेक्टेयर बाजरा उत्पादन में यूपी आगे
उल्लेखनीय है कि बाजरा एवं ज्वार भारत के दो प्रमुख मोटे अनाज हैं। भारत में तीन प्रमुख (राजस्थान, उत्तर प्रदेश एवं महाराष्ट्र ( बाजरा उत्पादक राज्य हैं। रकबे के हिसाब से राजस्थान (43.48 लाख हेक्टेयर) के बाद उत्तर प्रदेश दूसरे नंबर (9.04 लाख हेक्टेयर) पर है।
लक्ष्य हासिल करने को क्लस्टर में खेती पर फोकस
दरअसल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पहल पर भारत द्वारा 2018 में मिलेट वर्ष मनाने के बाद से ही योगी सरकार मोटे अनाजों को लोकप्रिय बनाने की पहल कर चुकी थी। नतीजतन इन फसलों का रकबा, उत्पादन एवं उत्पादकता में वृद्धि हुई है। इन नतीजों से उत्साहित होकर सरकार ने अंतरराष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष के लिए खुद के सामने चुनौतीपूर्ण लक्ष्य भी रखा है। इसे हासिल करने के लिए क्लस्टर में खेती पर खास फोकस होगा।
भारत की पहल पर दुनियां मना रही मिलेट ईयर
दरअसल 2018 में देश में मिलेट वर्ष के आयोजन के बाद से योगी सरकार इनको लोकप्रिय बनाने का काम शुरू कर चुकी थी। इसी क्रम में पहली बार सरकार 18 जिलों में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर बाजरे की खरीद भी कर रही है।