अयोध्या में प्रभु श्री राम का भव्य मंदिर बनने को लेकर कठिन तपस्या एवं साधना करने वाले अमेठी के इकलौते संत को अभी तक आमंत्रित न करने से हो रही है अत्यधिक पीड़ा।
आगामी 22 जनवरी को अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा की जाएगी। इस कार्यक्रम को भव्य बनाने के लिए देश ही नहीं बल्कि विदेश के तमाम नेताओं और हस्तियों को आमंत्रित किया जा रहा है। इसी के साथ-साथ स्थानीय स्तर पर भी साधु संतों को इस कार्यक्रम हेतु निमंत्रण पत्र भेज कर बुलाया जा रहा है ऐसे में अमेठी जनपद के स्वामी परमहंस आश्रम सागर बाबूगंज के पीठाधीश्वर मौनी जी महाराज इकलौते संत जिन्होंने अयोध्या में भव्य श्री राम मंदिर बनने के लिए बहुत ही कठिन तपस्या और साधना किया लेकिन आज जब वह पावन दिन सन्निकट है ऐसे में उनको इस रामकाज से उपेक्षित रखा गया है। जिसके चलते मौनी जी महाराज को अत्यंत दुख एवं कष्ट है। मौनी स्वामी ने कहा कि मुझे अगाध पीड़ा है कि मेरे जीवन की अंतिम इच्छा श्रीराम मंदिर निर्माण है जो पूर्ण हो रहा है। जिसका लोकार्पण होने जा रहा है जिसमें संत महात्मा तमाम नेता अभिनेता व्यवसाई जनप्रतिनिधियों को आमंत्रित किया गया है। लेकिन मुझे वंचित कर मेरी आस्था का अपमान किया गया । जिससे मुझे अपार खेद है। दरअसल आपको बता दें कि श्रीधाम अयोध्या में भव्य मंदिर निर्माण हेतु योगसम्राट शिवयोगी बालयोगी बालब्रह्मचारी स्वामी अभयचैतन्य फलाहारी मौनी जी महाराज राष्ट्रीय अध्यक्ष हिंदू संरक्षण समिति भारत के पीठाधीश्वर बाबूगंज सगरा गौरीगंज जनपद अमेठी अवध उत्तर प्रदेश द्वारा 1981 से लेकर 2023 तक लगातार संपूर्ण भारत वर्ष एवं धार्मिक स्थलों पर श्रीधाम अयोध्या में भव्य मंदिर निर्माण हेतु यज्ञ अनुष्ठान पूजा पाठ जप तप उपवास लेटकर चक्रवर्ती दंडवत परिक्रमा जलसमाधि भू-समाधि 1989 से 2002 तक मौनव्रत 46 वर्षों से नमक मीठा अन्न का परित्याग दिन में जल आदि का सेवन न करना भिक्षा का फलाहार करना वर्ष के बारहों महीना जमीन पर शयन करना विगत 37वर्षों से आतंकवाद विनाश,गौ हत्या बंद हेतु, राष्ट्र रक्षा वंदेमातरम का सम्मान कश्मीर से धारा 370 समाप्त हेतु, हिन्दू राष्ट्र भारत बने इसके लिए निरंतर महायज्ञ, अनुष्ठान दीप प्रज्वलन,सर्वजातीय हिंदुओ के साथ पूजा पाठ कलशयात्रा आदि प्रतिवर्ष शारदीय नवरात्रि एवं हिन्दुओं के नववर्ष चैत्र नवरात्रि पर महायज्ञ करते चले आ रहे हैं।मौनी जी महाराज द्वारा 37 वर्षों में लगभग 5400 किलोमीटर लेटकर चक्रवर्ती दंडवत परिक्रमा, तीर्थराज प्रयाग की कड़कड़ाती ठंड में भी लोहे की चकप्लेटों पर लेटकर अपने शिविर से संगम तट तक पूरे कल्पवास में सात बार लेटकर परिक्रमा करते रहे। 41 दिन की भू-समाधि हिन्दू राष्ट्र नेपाल में लिया था। जब वहां के महाराजधिराज महाराज वीरेंद्र विक्रमशाह ने एंव उनकी धर्मज्ञ पत्नी ने रुद्राक्षों का मुकुट एवं चंद्रमा भेंट किया था।भारत वर्ष के महानगरों तथा धार्मिक स्थलों में पूज्य मौनी महाराज ने भू-समाधि एंव जलसमाधि ली। नासिक कुंभ क्षेत्र परमहंस हरिधाम साधना आश्रम गोदावरी तट नासिक महाराष्ट्र में 11 दिवसीय जलसमाधि एवं 9 दिवसीय भू-समाधि महाराष्ट्र के गृहराज्य मंत्री रहे कृपाशंकर सिंह उपस्थिति में दोनों समाधियां सम्पन्न हुई थी। पश्चिम बंगाल की राजधानी कलकत्ता में कालीघाट के निकट राधा कृष्ण मंदिर के परिसर में 9 दिवसीय भू-समाधि लिया। नई दिल्ली मंगोरपुरी सी ब्लाक शिव मंदिर परिसर में भी 9 दिवसीय भू-समाधि संपन्न हुई।चेन्नई में भी राष्ट्र रक्षा हेतु 41 दिवसीय मात्र जलाहार कर राष्ट्र रक्षा हेतु साधना एवं कालिकांबा मंदिर तक चक्रवर्ती दंडवत परिक्रमा की गई। पूना पिंपरी चिंच्वड में भी हुई भू-समाधि।प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग उत्तराखंड जहां स्वयं शंभु विराजमान रहते हैं उनकी महती कृपा से वर्षों मां गंगा की गोद में साधना उपवास जप तप और भू-समाधि लेने का सौभाग्य है । पहली भू-समाधि उत्तराखंड देवभूमि से प्रारंभ हुई जहां अलौकिक साधकों का मार्ग दर्शन प्राप्त हुआ। अयोध्या, काशी, मथुरा, उज्जैन, विठूर, नैमिषारण्य, चित्रकूट, प्रयागराज, मैहर, बिंध्यांचल, कडेमानिकपुर,शीतलन, रामेश्वरम, कन्याकुमारी, बद्रीनाथ, केदारनाथ आदि धार्मिक तीर्थों पर यज्ञ अनुष्ठान और परिक्रमा तथा गुप्त भू-समाधि लेकर राममंदिर निर्माण राष्ट्र रक्षा हेतु भू-समाधि जलसमाधि लेकर साधना की इस साधना काल में पूज्य संत महादेवानंद शिवानंद, मृत्युंजयानंद, रामेश्वरानंद तथा स्वामी विश्वनाथानंद परिव्राजक संतों का समाधि से निकालने में आशीर्वाद प्राप्त होता रहा। उत्तरप्रदेश की पावनधरा अयोध्या में भी चौदह कोशीय परिक्रमा के मार्ग पर भू-समाधि लिया।राम मंदिर निर्माण हेतु जहां सपा सरकार समाधि के अंदर से समाधि तोड़वा कर बाहर निकलवाया गया था। यहा भू-समाधि 11 दिवसीय थी। उत्तर प्रदेश की बड़ी समाधियों में परमहंस सेवाश्रम बाबूगंज सगरा गौरीगंज जनपद अमेठी में एक एक महीने की तीन समाधियां रही है। सगरा आश्रम पर 13 समाधियां हुई है जिसमें 3 जलसमाधि हुई है। इसके अतिरिक्त आजमगढ़ प्रतापगढ़ रायबरेली लखनऊ जौनपुर सुल्तानपुर अंबेडकर नगर काशी मोक्षदायिनी नगरी वृंदावन के दंडकारण्य में नैमिषारण्य के दंडकारण्य में भगवान ब्रह्मा की भूमि विठूर में, मंदाकिनी के पावन तट चित्रकूट में आदि तीर्थों में गुप्त भू-समाधि हुई है। टीकरमाफी आश्रम में एक वर्ष का अज्ञातवास 45 दिन तक चंद्रायन कृष्णायन व्रत 11 दिवसीय भू-समाधि राममंदिर निर्माण हेतु हुई। 56वीं भू-समाधि भगवान राम के सुपुत्र भगवान कुश की पावन नगरी कुशभवनपुर जयमहाकाल आश्रम आदिगंगा गोमतीतट सुल्तानपुर में सम्पन्न हुई। इसके बाद ऐतिहासिक फैसला उच्चतम न्यायालय का आया जिसके बाद श्रीराम मंदिर का निर्माण हुआ। जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी श्रीधाम अयोध्या में श्रीराम मंदिर का भूमि पूजन कर रहे थे। तब मां सरयू में जल समाधि लेकर साधना कर रहा था। अतिविशेष कार्यों के क्रम में पिछले 37 वर्षों में 1अरब 86 करोड़ 72 लाख 9सौ 99 आहुति महायज्ञ राममंदिर निर्माण काशी मथुरा में मंदिर निर्माण राष्ट्र रक्षा आतंकवाद विनाश गौरक्षा हेतु करते चले आए हैं। 579 महायज्ञों का अनुष्ठान 37 वर्षों में किया।वंदेमातरम पदयात्रा सगराश्रम से श्रीधाम अयोध्या तक हजारों राम भक्तों के साथ आतंकवाद बंद करो पदयात्रा सगराश्रम से बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी तक हजारों शिव भक्तों के साथ किया। विगत 37 वर्षों से लगातार प्रत्येक श्रावण मास अधिक मास शारदीय नवरात्रि चैत्र नवरात्रि में रात दिन भगवान महाकाल का सहस्त्रार्चन चावल इंत्र अष्टगंध चंदन चमेली के तेल से राममंदिर सहित काशी मथुरा में मंदिर निर्माण हेतु करते चले आ रहे हैं।कल्पवास के समय तीर्थराज प्रयाग में नित्य प्रति मकर संक्रांति से लेकर महाशिवरात्रि तक सवआ11 लाख रुद्राक्षों की शिवलिंग बनाकर 54सौ त्रिशूलों की स्थापना कर लाखों दीपों का प्रज्वलन करते चले आ रहे।सगराश्रम पर 21सौ कुंडीय 11सौ कुंडीय 151 कुंडीय एवं हर वर्ष 108 कुण्डीय महायज्ञ करते चले आ रहे हैं। राम मंदिर निर्माण हेतु संतो महंतों माताओं बेटियों बच्चों के साथ सामूहिक रूप से अनसन आमरण अनशन कई बार राम लला के लिए किये है। विगत 37 वर्षों में 6करोड़ 84लाख से भी अधिक दीपों का प्रज्वलन राममंदिर निर्माण हेतु पूज्य मौनी महाराज के द्वारा कराया गया। 37 वर्षों में हजारों भंडारे कर करोड़ों लोगों को भोजन प्रसाद कर अयोध्या में मंदिर निर्माण के लिए प्रेरित किया गया। देश में राजसत्ता का परिवर्तन हो रामलला की सरकार बने राम मंदिर का निर्माण हो हिन्दू राष्ट्र बने काशी मथुरा में भी भव्य मंदिर का निर्माण हो गांव गांव गलियारों में जाकर शोभायात्रा यात्राएं निकालकर समाज को जगाया और राजनैतिक विरोध का दंश भी झेला। आतंकवादियों का पत्र आया मार डालने की धमकी मिली सगराश्रम पर बमबारी हुई कई बार कट्टर पंथियों ने हमला किया फिर भी महाकाल की कृपा से जीवन सुरक्षित रहा। अमेठी जो कांग्रेस गढ़ मानी जाती है वहां पर मैने सत्ता के विरोध में सदैव राष्ट्रवादी सोंच का विस्तार किया जिसकी उपेक्षा आज भी आश्रम झेलता है। अति बाहुल्य मुश्लिम क्षेत्र होने बाद भी सैकड़ों मंदिर का जीर्णोद्धार कराया धर्मांतरण को रोका और अपने जीवन को हथेली पर लेकर सामूहिक रूप से 13 मुश्लिम लड़कियों का विवाह सगरा आश्रम पर कराया। पूरा जीवन इसी देश धर्म के लिए समर्पित रहा।