वाराणसी जिला प्रशासन पर स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद नाराज, भेजा नोटिस
- आरोप: सुप्रीम कोर्ट के आदेश की गलत व्याख्या करके जिला प्रशासन उन्हें गुमराह कर रहा, मेरे ही मठ में किया कैद, स्वास्थ्य खराब होने का आरोप भी मढ़ा
वाराणसी। ज्ञानवापी परिसर में पूजा की अनुमति को लेकर रोके जाने से नाराज अनशनरत स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने वाराणसी जिला प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश की गलत व्याख्या करके वाराणसी जिला प्रशासन उन्हें गुमराह कर रहा है। जिला प्रशासन का यह कार्य सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवमानना है। मंगलवार शाम केदारघाट स्थित श्री विद्यामठ में पत्रकारों से बातचीत के दौरान स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद का गुस्सा जिला प्रशासन के प्रति साफ दिखा। उन्होंने सवाल किया कि किस अदालत के आदेश के आधार पर उन्हें विद्या मठ में रोका गया है।
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने बताया कि इस मामले में उन्होंने वाराणसी जिला अधिकारी को नोटिस भेजकर जबाब मांगा है। उन्होंने कहा कि यदि निर्धारित समय सीमा के भीतर नोटिस का जवाब जिलाधिकारी ने नहीं दिया तो मैं अवमानना का केस दायर करूंगा। स्वामी अमिुक्तेश्वरानंद ने उम्मीद जताई कि नोटिस का जवाब उन्हें समय से मिल जाएगा। उन्होंने दो टूक कहा कि उनका अनशन जारी रहेगा। अपने गिरते स्वास्थ्य का जिक्र कर उन्होंने बताया कि चार दिनों में उनका वजन 5 किलो से ज्यादा कम हो चुका है।
यूरिन में कीटोन की मात्रा प्लस थ्री हो चुकी है। यदि मुझे कुछ भी होता है तो इसकी पूरी जिम्मेदारी वाराणसी जिला प्रशासन और स्थानीय पुलिस अफसरों की होगी। उन्होंने कहा कि बातचीत से समस्या का समाधान निकलता नहीं दिखेगा तो विवश होकर हमें परम धर्म सेना का आह्वान करना पड़ेगा। इस आह्वान पर पूरे देश भर से 11 लाख से अधिक लोग काशी में जुटेंगे। उन्होंने कहा कि वजूखाने में मिली मछलियों के दाने की चिंता की गई। लेकिन शिवलिंग के राग-भोग की चिंता क्यों नहीं की जा रही है। क्या शिवलिंग का महत्व मछलियों से कम है?।
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि सिर्फ ताला लगा देने और पूजा करने से रोक लगाने को संरक्षण करना नहीं कहा जाता। जिला प्रशासन वाराणसी सिर्फ मुस्लिम पक्षकारों से बात कर उनके नमाज की व्यवस्था करा रहा है, पर हिन्दू पक्षकारों से वो बात नहीं किया जा रहा है। जिला प्रशासन की ओर से उच्चतम न्यायालय के आदेश का पालन नहीं किया जा रहा है। एक अन्य सवाल के जबाब में स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने बताया कि 16 मई को सुप्रीम कोर्ट ने जो आदेश वाराणसी के जिलाधिकारी को दिया है उसमें ड्यूली प्रोटेक्टेड और एप्रोप्रियेट अरेंजमेंट जैसे शब्दों का उल्लेख है। इसका अभिप्राय है कि जो शिवलिंग प्राप्त हुआ है उसकी विधिवत देखभाल और धार्मिक दृष्टिकोण से सभी व्यवस्थाएं सुनिश्चित की जाएं।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी कहा है कि इस प्रकरण में जितने भी पक्षकार हैं उनसे वार्ता करके जिलाधिकारी दोनों पक्षों के धार्मिक क्रियाकलापों को किया जाना सुनिश्चित करें। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के उलट जिलाधिकारी ने सभी पक्षकारों से बातचीत करने के बजाय सिर्फ मुस्लिम पक्षकारों से बातचीत की। स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि काशी के महात्मा को पूजन करने से रोक दिया गया। लेकिन उसी स्थान पर अयोध्या से आए संत द्वारा पूजा कराई गई, ऐसा जिला प्रशासन ने कहा। बताते चले,ज्ञानवापी परिसर में पूजा की मांग को लेकर स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद बीते शनिवार की सुबह 8:30 बजे से ही श्री विद्या मठ के मुख्य गेट पर अनशन पर बैठे हुए हैं। चार दिनों से उन्होंने अन्न और जल ग्रहण नहीं किया है।