अमेठी में अवधी साहित्य संस्थान के तत्वाधान में आयोजित हुई काव्य गोष्ठी।आयोजित हुई काव्य गोष्ठी
आज 28 जनवरी 2024 को अमेठी नगर के प्रतापगढ़ रोड स्थित ओम् नगर में अवधी साहित्य संस्थान अमेठी की ओर से लेबर वाला कंस्ट्रक्शन ऑफिस अभीष्ट काम्प्लेक्स अन्तू रोड पर कवि एवं विचार गोष्ठी का शुभारंभ अतिथियों द्वारा मां सरस्वती जी की प्रतिमा पर माल्यार्पण एवं पूजा अर्चना से हुआ। गद्य के विना कविता के भाव को समझा नही जा सकता। हिन्दी साहित्य का सम्वर्द्धन गद्य एवं पद्य दोनों विधाओं द्वारा ही सम्भव है। उक्त वक्तव्य अवधी साहित्य संस्थान के अध्यक्ष डॉ अर्जुन पाण्डेय ने अपने स्वागत भाषण में कहा। कार्यक्रम के अध्यक्ष रामेश्वर सिंह निराश ने पढ़ा कि घासो की रोटी खाकर जिसने वतन बचाया , राणा प्रताप की तो था शमशीर तिरंगा। डॉ अर्जुन पाण्डेय ने कहा गुरू की बगिया मा तो प्रकाश ही प्रकाश बा । वहीं पर ओज कवि अनिरुद्ध मिश्र ने पढ़ा कि-जो समर्पित किए देशहित जिंदगी ,उनकी यादों का दीपक बुझाना नहीं । जबकि युवा कवि शायर और गजलकार विवेक मिश्र ने गा कर सुनाया कि- दिन -गिन दिन -गिन गुजारे अखियन पुतरी , राजारामजी पधारे अवध नगरी ।
कवि सुरेश शुक्ल नवीन ने पढ़ा कि- ये गीत नहीं मेरे दिल के अफ़साने हैं , अपने ही शहर में हम कितने बेगाने हैं । कवि दिवस प्रताप सिंह ने पढ़ा कि- सब सदन में गरजते हैं, कहां चंबल में रहते हैं । साहित्यकार जगदम्बा तिवारी मधुर ने पढ़ा कि -कल तक फूल गुलाब थे अब हम पतझड़ बहार हो गए , बीते दिन का प्यार हो गए अब रद्दी अखबार हो गए। कवि रामबदन शुक्ल पथिक ने पढ़ा कि – आ गए हैं मेरे राम जी जब से घर में ,खुशी की लहर हर नगर हर शहर में। जबकि कवि आशुतोष गुप्ता ने पढ़ा कि – भारत मां को आजाद करने थे निकल पड़े दीवाने । कवियित्री राम कुमारी संसृति ने पढ़ा कि – तुम्हारी मोहिनी सूरत को हम भुला नहीं सकते तुम्हारी धड़कनों को हम सहज हीं सुना करते । कार्यक्रम का संचालन ओज कवि अनिरुद्ध मिश्र ने किया।
कार्यक्रम में अतिथि के रूप में डॉ अरुण कुमार मिश्रा , गुंजन मिश्रा , कैलाश नाथ शर्मा , सूरी साहब , सत्येंद्र नाथ शुक्ला , लोकेश कुमार त्रिपाठी , अंबरीश मिश्रा , शेषनारायण त्रिपाठी , अनुभव मिश्रा आदि मान्य अतिथियों की उपस्थिति रहीं ।