नये विधायकों का होगा दो दिवसीय प्रबोधन कार्यक्रम, लोकसभा अध्यक्ष रहेंगे मौजूद

- कार्यक्रम का उद्घाटन करेंगे लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला
- विधान सभा की कार्यवाही से लेकर परम्पराओं के बारे में जानेंगे विधायक
- वर्ष 1989 से नये विधायकों के लिए आयोजित किया जा रहा प्रबोधन कार्यक्रम
लखनऊ। उत्तर प्रदेश की 18वीं विधान सभा के नये सदस्यों के लिए शुक्रवार को दो दिवसीय प्रबोधन कार्यक्रम की शुरुआत होगी। कार्यक्रम का उद्घाटन लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला करेंगे। इस मौके पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एवं विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना उपस्थित रहेंगे। कार्यक्रम में हर दिन चर्चा में विधानसभा के वर्तमान एवं पूर्व अध्यक्ष, अनुभवी मंत्री, वरिष्ठ विधायक समेत अन्य विशेषज्ञ भाग लेंगे।
कार्यक्रम के दौरान चर्चा के लिए निर्धारित विषयों के बारे में सदस्यों को अध्ययन सामग्री प्रदान की जाएगी। प्रयास यह होगा कि सभी सत्रों में विधायकों को सदन की कार्यवाही, प्रक्रिया एवं परंपराओं की व्यावहारिक जानकारी हो सके। वक्ता के भाषण समाप्त होने के उपरांत सदस्य अपनी जिज्ञासा को शांत करने के लिए सवाल कर सकेंगे। उत्तर प्रदेश विधान सभा सचिवालय के वरिष्ठ अधिकारी पैनल के सदस्यों की सहायता के लिए वहां उपलब्ध रहेंगे।
प्रबोधन कार्यक्रम दो दिनों तक चलेगा। पहले दिन 20 मई को विधायकों को सुबह 10:30 बजे विधान सभा मंडप में पहुंचना है। कार्यक्रम का उद्घाटन सुबह 11 बजे होगा। इसके बाद दोपहर दो बजे से तिलक हाल, नवीन भवन में कार्य सत्र होगा। अगले दिन कार्य सत्र सुबह 10:30 बजे से शुरू होंगे। इसके बाद दो बजे विधान सभा मंडप में सभी सदस्यों को एनआईसी की विशेषज्ञ टीम प्रशिक्षण देगी।
1989 से प्रबोधन की रही है परम्परा
उत्तर प्रदेश विधान सभा सचिवालय की तरफ से विधानसभा के नये सदस्यों को प्रशिक्षण दिए जाने की तीन दशक पुरानी व्यवस्था है। वर्ष 1989 से प्रबोधन कार्यक्रम चलाया जा रहा है। इसी क्रम में उत्तर प्रदेश की 18वीं विधानसभा के लिए पहली बार चुने गए सदस्यों के लिए दो दिवसीय प्रबोधन कार्यक्रम तिलक हाल, नवीन भवन में आयोजित किया गया है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य सदस्यों को संसदीय परंपराओं, कार्यविधियों और प्रक्रियाओं के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा करने और उनका विश्लेषण करने, संसदीय व्यवस्थाओं के परिचालन तंत्र की जानकारी प्राप्त करने का अवसर प्रदान करना है। प्रबोधन कार्यक्रम का उद्देश्य सदस्यों को अपने संसदीय दायित्व का प्रभावी ढंग से निर्वहन करने हेतु सजग एवं उनके प्रति संवेदनशील बनाए जाने का भी है।