पुरानी पेंशन बहाली का रथ प्रयागराज से पहुंचा अमेठी आगामी 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले सरकार को दिया अल्टीमेटम।
पुरानी पेंशन बहाली को लेकर एकत्रित हुआ राजकीय कर्मचारी संयुक्त परिषद का रथ समूचे उत्तर प्रदेश में घूम घूम कर समस्त विभागों के कर्मचारियों को एकत्रित करते हुए बैठक कर सरकार से आर-पार की लड़ाई लड़ने के लिए तैयार कर रहा है। पुरानी पेंशन बहाली के लिए राजकीय कर्मचारी संयुक्त परिषद के प्रदेश अध्यक्ष हरि किशोर तिवारी के नेतृत्व में यह रथ प्रयागराज से चलकर आज अमेठी जनपद के रोडवेज बस अड्डे पर पहुंचा जहां पर लगभग 34 विभागों के कर्मचारियों के साथ बैठक की गई। इस मौके पर मीडिया से बात करते हुए प्रदेश अध्यक्ष ने बताया कि पुरानी पेंशन व्यवस्था समाप्त कर सरकार द्वारा हमारे ऊपर नई पेंशन व्यवस्था लाद दी गई है। हम लोग पिछले कई सालों से आंदोलनरत हैं इसके बाद भी सरकार सुन नहीं रही है। सरकार बराबर कहती है कि हम आपको ज्यादा पैसा देंगे लेकिन हमारा कहना है कि हम को कम पैसा दीजिए लेकिन मुझे सुरक्षित कीजिए। हमारे वेतन से जो पैसा काटा जा रहा है वह शेयर मार्केट में लगाया जा रहा है। जिसके बाद वह लोग अपने रिश्तेदारों और दोस्तों को बांट रहे हैं और लोग पैसे लेकर यहां से भाग जा रहे हैं। जिससे हमारे पैसे का नुकसान हो रहा है। जिस का रिजल्ट हम लोगों ने देखा है जो हमारे कर्मचारी रिटायर हो रहे हैं उनको 200, 500 और 1000 रुपए पेंशन मिल रही है। ऐसे में हमारा पैसा कहां जा रहा है? यह जानकारी हम लोगों को नहीं हो पा रही है। आईएएस हर जगह पर हैं हिमाचल और राजस्थान के आईएएस को समझ में आ गया लेकिन हमारे यहां के आईएएस को समझ में नहीं आ रहा है। यह राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी है जिसके कारण पुरानी पेंशन बहाली नहीं हो पा रही है। हमारी बातें लगातार नहीं मानी जा रही है जिसके कारण हम लोग आंदोलन पर हैं। इस बार हमारे साथ रेलवे से लेकर केंद्र सरकार के सभी विभाग आंदोलन में शामिल है। आगामी 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले आर पार की लड़ाई होगी। सरकार ने चुनाव से पहले यदि मेरी बात नहीं मानी तो हम लोग राजनीतिक निर्णय लेंगे। हम उन पार्टियों का नुकसान करेंगे जो हमारी बात को नहीं समझोगे। पहले के समय में हम लोग काला फीता बांधकर विरोध करते थे तब भी बात सुनी जाती थी लेकिन आज के समय में सरकार अधिकारियों एवं समाज में आज असंवेदनशीलता की स्थिति उत्पन्न हो गई है जिसके कारण सड़कों पर आने के बावजूद कोई सुनने वाला नहीं है। यदि हमारी बात नहीं मानी जाती है तो संयुक्त कर्मचारी परिषद के लाखों-करोड़ों सदस्य हैं और उनके परिजन भी है जो निश्चित रूप से 2024 के चुनाव में बड़ी अहम भूमिका अदा करेंगे।