विदेश से MBA के बाद मिली JOB छोड़ शुरू की सब्जी की खेती, अब घर बैठे हो रही लाखों रुपये की कमाई
उत्तर प्रदेश के जनपद इटावा के एक छोटे से गांव फूफई की रहने वाली पूर्वी ने विदेश की पढ़ाई का सही इस्तेमाल अपने गांव में कर रही हैं. वह घर बैठे हाइड्रोपोनिक तरीके से सब्जी तैयार कर अच्छे दाम में बेंच रही हैं और दूसरों को भी इस काम के लिए प्रेरित कर रही हैं. पूर्वी मिश्रा के पिता का बचपन में ही स्वर्गवास हो गया था, जिसके बाद उनकी परवरिश उनकी मां सरस्वती मिश्रा ने की. उन्होंने प्राथमिक शिक्षा जनपद के सेंट मेरी स्कूल से की. इसके बाद वह आगे की पढ़ाई के लिए देहरादून चली गई थीं. उन्होंने यूके से एमबीए की मास्टर डिग्री हासिल की है.
लाखों का पैकेज छोड़कर की खेती
जहां एक तरफ घाटे का सौदा बन चुकी खेती से युवाओं का मोह भंग हो रहा है. वहीं विदेश से एमबीए और बीटेक डिग्री हासिल करने वाली पूर्वी मिश्रा ने लाखों का पैकेज छोड़कर अपने गांव में नई तकनीक के माध्यम से हाईटेक खेती कर रही हैं. उन्होंने हाइड्रोपोनिक खेती (बिना मिट्टी की खेती) शुरू कर नई मिसाल कायम की है. उनका कहना है लोगों को सस्ते फल और सब्जियां उपलब्ध कराना हमारा लक्ष्य तो है ही, उसके साथ ही महिलाओं को आत्मनिर्भर भी बनाना है.
बिना मिट्टी वाली खेती
शहर से करीब 8 किलोमीटर दूर नेशनल हाईवे के किनारे स्थित फूफई गांव की निवासी पूर्वी मिश्रा लॉकडाउन से पहले एक बाइक बनाने वाली कंपनी में मार्केटिंग की नौकरी करती थीं. कोरोना के चलते मार्च 2020 में लॉकडाउन लग गया था. इसके बाद वह अपने घर अपने गांव फूफई आ गई थीं. यहीं पर कुछ नया करने की ठानी और उन्होंने अपनी पढ़ाई का सही उपयोग अपने गांव में किया. पूर्वी ने बताया कि स्वास्थ्य और पोषण दोनों का महत्व जन-जन ने समझा. उसी समय मैंने हाइड्रोपोनिक खेती (Hydroponic Farming) करने का मन बना लिया था. इसके लिए अपने गांव में ऑटोमेटिक फार्म बैक टू रूट्स तैयार किया और बिना मिट्टी वाली खेती करने लगी.
होटलों में सब्जियों की सबसे ज्यादा डिमांड
उन्होंने बताया कि फार्म में लेट्यूस, ब्रोकली, पाकचाय, चेरी टोमैटो, बेल पेपर और वेसल की खेती कर रही हैं. यहां पैदा होने वाली सब्जियों की सबसे ज्यादा डिमांड होटलों में है. यहां की सब्जियां पर्यटक भी खूब पसंद करते हैं. उन्होंने कहा कि मेरा उद्देश्य महिला किसान के रूप में जिले के लोगों को स्वास्थ्यवर्धक फल और सब्जियां सस्ते दामों पर घर बैठे उपलब्ध कराना है.
5 हजार स्क्वायर फीट में तैयार है पॉलीहाउस
पूर्वी ने हाइड्रोपोनिक पद्धति से खेती करने के लिए 5 हजार स्क्वायर फीट जगह में सब्जियां उगाने के लिए अपना पॉलीहाउस तैयार किया. जिसमें करीब 25 लाख रुपए की लागत आई है. हाइड्रोपोनिक फार्मिंग के लिए पूरा सेटअप बाहर से मंगवा कर यहां बिना मिट्टी यूरिया और खाद की खेती शुरू की है. खेती में मिट्टी का कोई प्रयोग नहीं होता है. केवल पानी और नारियल का स्क्रैप बुरादा का प्रयोग होता है. इसको लोग साइलस फार्मिंग भी बोलते हैं. इसमें एनएफटी टेबल लगाई गई है, जिसमें पानी का किलो होता है. फिर वह पानी वापस जाकर दोबारा से रिसाइकिल होता है. इस तकनीक से उगने वाली सब्जियों का सेवन करने से इम्यूनिटी भी मजबूत होती है.
खेती सबसे बड़ा रोजगार
इटावा में खेती ही सबसे बड़ा रोजगार है. यहां आलू की पैदावार भी अधिक होती है. साथ ही गेहूं, धान, सरसों की भी अच्छी पैदावार होती है. जिले में कई किसान ऐसे हैं, जो पॉलीहाउस में वैज्ञानिक विधि से विभिन्न प्रकार की खेती कर रहे हैं. पूर्वी मिश्रा ने बताया कि इस पद्धति की खेती कर जो सब्जियां उगती हैं. उसमें और आम सब्जियों में काफी अंतर होता है. इन ऑर्गेनिक सब्जियों की मार्केट में अच्छी डिमांड है. मार्केटिंग से इन सब्जियों की अच्छी डिमांड होने लगी है और अब धीरे- धीरे मुनाफा हो रहा है. पूर्वी के मुताबिक आज आगरा और कानपुर के बड़े होटल रेस्टोरेंट और इटावा के कुछ जगहों से आर्डर पर सब्जियों की पैदावार कर रही हैं. अभी मुनाफा तो खास नहीं मिल रहा है लेकिन उनकी मार्केट अच्छी बन रही है.