भारत का औद्योगिक उत्पादन (IIP) दिसंबर 2021 में 0.4 फीसदी की दर से बढ़ा है. शुक्रवार को जारी आधिकारिक डेटा से यह जानकारी मिली है. राष्ट्रीय सांख्यिकी ब्यूरो (NSO) द्वारा जारी इंडैक्स ऑफ इंडस्ट्रीयल प्रोडक्शन (IIP) डेटा के मुताबिक, मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर का आउटपुट दिसंबर 2021 में 0.1 फीसदी की दर से गिरा है. डेटा के मुताबिक, खनन का आउटपुट 2.6 फीसदी बढ़ा है. जबकि, ऊर्जा उत्पादन में 2.8 फीसदी की बढ़ोतरी देखी गई है. दिसंबर 2020 में आईआईपी में 2.2 फीसदी की ग्रोथ देखी गई थी.
इस तिमाही में अप्रैल-दिसंबर की अवधि के दौरान, आईआईपी 15.2 फीसदी की दर से बढ़ा था. इसके मुकाबले पिछले साल की समान अवधि में 13.3 फीसदी की गिरावट देखी गई थी. औद्योगिक उत्पादन में मार्च 2020 से कोरोना वायरस महामारी की वजह से असर देखा गया है.
मार्च 2020 में इसमें 18.7 फीसदी की गिरावट आई थी. अप्रैल 2020 में इसमें 57.3 फीसदी की गिरावट देखी गई थी, जिसके पीछे वजह कोरोना वायरस संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए लगाया गया लॉकडाउन रहा था.
इसके अलावा प्राइमरी गुड्स के उत्पादन में दिसंबर 2021 में 2.8 फीसदी की ग्रोथ देखी गई है. वहीं, दिसंबर में कैपिटल गुड्स के प्रोडक्शन में 4.6 फीसदी की गिरावट आई है. जबकि, कंज्यूमर ड्यूरेबल्स के उत्पादन में पिछले साल के दिसंबर महीने के दौरान 2.7 फीसदी की गिरावट देखी गई है.
क्या होता है IIP?
आपको बता दें कि औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) का किसी भी देश की अर्थव्यवस्था में खास महत्व होता है. इससे पता चलता है कि उस देश की अर्थव्यवस्था में औद्योगिक वृद्धि किस गति से हो रही है. आईआईपी के अनुमान के लिए 15 एजेंसियों से आंकड़े जुटाए जाते हैं. इनमें डिपार्टमेंट ऑफ इंडस्ट्रियल पॉलिसी एंड प्रमोशन, इंडियन ब्यूरो ऑफ माइंस, सेंट्रल स्टेटिस्टिकल आर्गेनाइजेशन और सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी अथॉरिटी शामिल हैं.
सांख्यिकी मंत्रालय द्वारा जारी किए गए ताजा मानकों के मुताबिक किसी उत्पाद के इसमें शामिल किए जाने के लिए प्रमुख शर्त यह है कि वस्तु के उत्पादन के स्तर पर उसके उत्पादन का कुल मूल्य कम से कम 80 करोड़ रुपए होना चाहिए.
इसके अलावा यह भी शर्त है कि वस्तु के उत्पादन के मासिक आंकड़े लगातार उपलब्ध होने चाहिए.इंडेक्स में शामिल वस्तुओं को तीन समूहों-माइनिंग, मैन्युफैक्चरिंग और इलेक्ट्रिसिटी में बांटा जाता है. फिर इन्हें बेसिक गुड्स, कैपिटल गुड्स, इंटरमीडिएट गुड्स, कंज्यूमर ड्यूरेबल्स और कंज्यूमर नॉन-ड्यूरेबल्स जैसी उप-श्रेणियों में बांटा जाता है.