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रूसी सैनिकों का खतरनाक मंसूबा, खिलौने जैसे दिखने वाले लैंडमाइंस का कर रहे इस्तेमाल

रूस और यूक्रेन के बीच छिड़ी जंग में भारी तबाही हुई है. युद्ध महीनेभर से चल रहा है और अभी इसके खत्म होने के आसार नहीं दिख रहे हैं. रूस की ओर से इस लड़ाई में कई खतरनाक हथियारों का इस्तेमाल किया गया है. अब दावा किया जा रहा है कि रूसी सैनिकों की ओर से ऐसे हथियारों को बारूदी सुरंगों के रूप में लगा रहे जो दिखने में खिलौने लगते हैं. हालांकि यूक्रेन की सेना की ओर से रूसी आक्रमणकारियों को माकूल जवाब भी दिया जा रहा है.

डेली स्टार ने सैन्य विशेषज्ञों के हवाले से लिखा है, रूसी सैनिक पूरे यूक्रेन में भारी तबाही मचाने की योजना के तहत खिलौनों की तरह दिखने वाले घातक हथियारों को बारूदी सुरंगों में लगा रहे हैं. सैन्य विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि यूक्रेनी सशस्त्र बलों ने न केवल व्लादिमीर पुतिन के आक्रमणकारियों को कई जगहों से खदेड़ दिया है, बल्कि उन्हें पीछे भी धकेल रहे हैं.

कई जगह बिछा रहे बारूदी सुरंगे

रूसी सैनिक अब भीषण गोलीबारी में हासिल की गई जमीनों पर कब्जा करने की कोशिश करने के लिए बारूदी सुरंग लगा रहे हैं. हालांकि उनका यह कदम भविष्य के लिए विनाशकारी साबित हो सकता है क्योंकि इसके कभी भी फूटने की संभावना बनी रहेगी. कई बारूदी सुरंग तो खिलौनों की तरह दिखती हैं जो बच्चों को उन्हें लेने के लिए प्रोत्साहित करती हैं, ऐसे में इसका खतरा हमेशा बना रहेगा.

अमेरिकी थिंक-टैंक द इंस्टीट्यूट फॉर द स्टडी ऑफ वॉर ने कहा कि रूसी सैनिक यूक्रेन की राजधानी कीव के आसपास और देश के अन्य हिस्सों में अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए बारूदी सुरंग का इस्तेमाल कर रहे हैं. सैटेलाइट इमेज में सैनिकों को शहर के उत्तर-पश्चिम में सैन्य उपकरणों के आसपास गड्ढे और गहरे खाई को खोदते हुए दिखाया गया है.

चेर्निहाइव के पास बिछाई जा रहीं बारूदी सुरंगे

इंस्टीट्यूट ने कहा कि रूसी सैनिकों ने अनिश्चित काल के लिए अपने कब्जे वाले जगहों पर बने रहने के लिए शर्तें निर्धारित करना शुरू कर दिया है. उत्तरी शहर चेर्निहाइव के पास और अधिक बारूदी सुरंगे बिछाई जा रही हैं. एक सैन्य सूत्र ने कहा कि उन्हें तैनात करने से पता चलता है कि रूस एक नया रक्षात्मक रुख अपना रहा है. इस बीच रूस ने मंगलवार को स्वीकार किया कि उसने आक्रमण के दौरान 9,861 सैनिकों को गंवा दिया है जबकि 16,153 घायल हो गए हैं. वास्तविक मौत का आंकड़ा सरकार समर्थक एक वेबसाइट द्वारा प्रकाशित किया गया था, लेकिन जल्दी ही इसे हटा लिया गया.

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