नई दिल्ली : पिछले दिनों बिहार और उत्तर प्रदेश में रेलवे की भर्ती परीक्षा (rrb ntpc exam irregularities) प्रक्रिया में कथित अनियमितताओं को लेकर हुए प्रदर्शनों का मुद्दा राज्य सभा में उठाया गया. सदस्यों ने भर्ती प्रक्रिया में खामियों को दुरुस्त करने, प्रदर्शन के दौरान छात्रों पर दर्ज की गई प्राथिमकी वापस लेने और बढ़ती बेरोजगारी के मद्देनजर छात्रों के साथ न्याय करने की मांग की.
बुधवार को राज्य सभा में शून्यकाल के दौरान यह मुद्दा उठाते हुए राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) की फौजिया खान ने कहा कि हाल ही में रेलवे की भर्ती परीक्षा ने बेरोजगारी की गंभीर समस्या और असफल शिक्षा व्यवस्था को उजागर किया है, खासकर बिहार ओर उत्तर प्रदेश में. उन्होंने कहा कि कई छात्र संगठनों ने इसके खिलाफ पिछले दिनों प्रदर्शन किया, रेलगाड़ियों को नुकसान पहुंचाया और गया में तो एक सवारी रेलगाड़ी को आग के हवाले कर दिया. उन्होंने कहा, ‘कुल मिलाकर बिहार में बेरोजगारी की समस्या पर ध्यान दिया जाना चाहिए. साथ ही छात्रों ने भर्ती परीक्षा में अनियमितता के जो आरोप लगाए हैं, उनकी समीक्षा होनी चाहिए और खामियों को दुरुस्त किया जाना चाहिए.’
फौजिया खान द्वारा उठाए गए इस मुद्दे पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सुशील कुमार मोदी ने सुझाव दिया कि ग्रुप डी में भर्ती दो चरणों के बजाय एक ही चरण में होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि साथ ही एनटीपीसी की परीक्षा के 3.5 लाख अतिरिक्त परिणाम भी घोषित किए जाने चाहिए. उन्होंने कहा, ‘मेरा आग्रह है ग्रुप डी की एक ही परीक्षा होनी चाहिए. दो परीक्षाओं की कोई आवश्यकता नहीं है. यह आईएएस या आईपीएस की परीक्षा नहीं है.’ उन्होंने रेल मंत्रालय से आग्रह किया कि इस मामले की जांच के लिए गठित समिति की रिपोर्ट का इंतजार किए बगैर ही दोनों मांगों को पूरा किया जाना चाहिए.
आम आदमी पार्टी के संजय सिंह ने कहा भर्ती में अनियमितमाओं की निश्चित तौर पर जांच कराई जानी चाहिए. उन्होंने कहा कि सफल उम्मीदवारों की जारी की गई सूची में कई छात्रों के रोल नंबर एक से अधिक पदों के लिए हैं. उन्होंने कहा, ‘इससे ज्यादा गड़बड़ी तो कुछ भी नहीं हो सकती.’
छात्रों पर हुई पुलिस कार्रवाई का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा, ‘छात्रों के साथ दुश्मनों की तरह व्यवहार नहीं किया जाना चाहिए. छात्रों की समस्याओं को सुनना चाहिए, पुलिस कार्रवाई और मुकदमों से काम नहीं चलेगा.’ उन्होंने कहा कि प्रदर्शन के दौरान करीब 1000 छात्रों पर मुकदमे दर्ज किए गए हैं और सरकार को इन मुकदमों को वापस लेना चाहिए. विभिन्न दलों के सदस्यों ने इस मुद्दे से स्वयं को संबद्ध किया.
(इनपुट-पीटीआई-भाषा)