रायबरेली सदर सीट से कमल खिलाना अदिति सिंह के लिए आसान नहीं, कई हैं चुनौतियों
रायबरेली: यूपी के विधानसभा चुनाव में रायबरेली सदर सीट पर वोटों की जंग देखने लायक होगी। अदिति सिंह इस बार यहां से बीजेपी के टिकट पर मैदान में हैं। पांच बार कांग्रेस के विधायक रहे अखिलेश सिंह की ‘फॉरेन रिटर्न’ बेटी के लिए 2022 का ये चुनाव आसान नहीं रहने वाला है। उनकी मुश्किलें बढ़ाने के लिए कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और बहुजन समाजवादी पार्टी ने कमर कस रखी है।
अदिति सिंह ने 2017 के विधानसभा चुनाव में अपने पिता अखिलेश सिंह की विरासत को आगे बढ़ाते हुए भारी मतों से जीत हासिल की थी। उस समय कांग्रेस-सपा का गठबंधन था। अदिति को 1,28,319 वोट मिले थे. सपा दूसरे नंबर पर रही थी. बसपा प्रत्याशी को 39 हजार वोट हासिल हुए थे। बीजेपी महज 28 हजार वोट ले पाई थी।
अखिलेश सिंह को लोग प्यार से ‘रॉबिनहुड ऑफ रायबरेली’ बुलाते थे। स्थानीय लोग कहा करते थे कि अखिलेश सिंह ने रायबरेली सदर सीट पर जिस किसी के ऊपर हाथ रख दिया, उसकी जीत निश्चित है। पिछले कुछ चुनावों में ये नारा भी खूब चला था- अखिलेश सिंह की बेटी पे, मोहर लगेगी हाथ पे. लेकिन 2019 में अखिलेश सिंह के गुजरने के बाद बाकी दल मौका भुनाने में जुट गए।
इस बार अदिति सिंह के लिए दो चीजें तो साफ तौर पर बदल गई हैं। एक तो उनके पास पिता का साथ नहीं है। दूसरा, वह पाला बदलकर बीजेपी के टिकट पर मैदान में हैं। उन्होंने विधानसभा चुनाव से पहले पाला बदला है। लेकिन इससे अदिति के जोश पर फर्क नहीं है। जोश इतना है कि वह कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी को रायबरेली सदर सीट से चुनाव लड़ने की चुनौती दे चुकी हैं। अदिति को अपने पिता की विरासत और पिछले पांच साल में बतौर विधायक किए गए काम पर भरोसा है।
यहां यह जानना दिलचस्प होगा कि रायबरेली सदर सीट पर बीजेपी कभी मजबूत स्थिति में नहीं रही। एक आकलन के मुताबिक, इस विधानसभा क्षेत्र के शहरी इलाकों में ठाकुर वोटों का वर्चस्व है। जबकि ग्रामीण इलाकों में यादव, मुस्लिम, मौर्य और कुर्मी वोटों का दबदबा माना जाता है।
यादव-मुस्लिम के इसी गणित को देखते हुए सपा ने राम प्रताप यादव को प्रत्याशी बनाया है। राम प्रताप यादव 22 महीने जेल में रहे हैं और कुछ महीने पहले ही जमानत पर छूटे हैं। उन्हें एक मजबूत प्रत्याशी माना जा रहा है। आरपी यादव का कहना है कि अगर अदिति कांग्रेस में होतीं तो वह अच्छी चुनौती पेश कर सकती थीं, लेकिन बीजेपी में जाने के बाद उनके लिए ये सीट निकाल पाना नामुमकिन हो गया है। कांग्रेस के प्रत्याशी को आरपी यादव सिर्फ वोट काटने वाला मानते हैं।
कांग्रेस ने सदर सीट से डॉ. मनीष सिंह चौहान को टिकट दिया है। उनकी फैमिली का गांधी परिवार से लंबा नाता रहा है। मनीष इस इलाके का गांधी परिवार से भावनात्मक लगाव होने का दावा करते हुए इसका फायदा मिलने की बात कहते हैं। वह कहते हैं कि गांधी परिवार के लिए रायबरेली एक फैमिली जैसी है। मैं भी विदेश से पढ़ाई करने के बाद बरसों से यहां लोगों की सेवा कर रहा हूं। अदिति सिंह के बारे में चौहान दावा करते हैं कि कांग्रेस टिकट के बिना उनके जीतने की इस बार कोई संभावना नहीं है। बसपा ने सदर सीट पर मोहम्मद अशरफ को उम्मीदवार बनाया है।