
जमीयत उलेमा-ए-हिंद (एएम समूह) के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने प्रसिद्ध जैन मुनि आचार्य लोकेश मुनि की मौजूदगी में ओम और अल्लाह तथा मनु और पैगंबर आदम को एक बताते हुए रविवार को दावा किया कि बहुसंख्यक समाज के पूर्वज हिंदू नहीं थे, बल्कि मनु थे, जो एक ओम यानी अल्लाह की इबादत करने वाले थे।
आरएसएस के प्रमुख मोहन भागवत के घर वापसी संबंधी बयान पर मदनी ने कहा कि इस्लाम भारत के लिए कोई नया मज़हब नहीं है, बल्कि अल्लाह ने पैगंबर आदम यानी मनु को यहीं उतारा, उनकी पत्नी हव्वा को उतारा, जिन्हें वे (हिंदू) हमवती कहते हैं और वे सारे नबियों, मुसलमानों, हिंदुओं, ईसाइयों के पूर्वज हैं। उन्होंने ये बयान जमीयत उलेमा-ए-हिंद के 34वें अधिवेशन में दिया है।
मौलाना मदनी के बयान पर आचार्य लोकेश मुनि (जैन मुनि) ने असहमति जताते हुए कहा कि भगवान ऋषभदेव पहले तीर्थंकर थे, जिनके पुत्र भरत के नाम पर इस भारत देश का नाम पड़ा है और मदनी को शास्त्रार्थ के लिए आमंत्रित करते हुए जमीयत के 36वें अधिवेशन से चले गए। बता दें कि इस मामले पर अब काफी बहस होने लगी है।
बीजेपी सांसद ने किया पलटवार
मौलाना अरशद मदनी के बयान पर अब भारतीय जनता पार्टी ने भी पलटवार किया है। भाजपा सांसद हरनाथ सिंह यादव ने कहा कि मदनी जैसे लोग देश को तोड़ने में जुटे है। उन्होंने पलटवार करते हुए कहा कि सनातन धर्म दुनिया का सबसे पुराना धर्म है। उन्होंने कहा कि मोहन भागवत का कहना है कि सब एक डीएनए के है। सभी के पूर्वज एक है। उन्होंने कहा कि मौलाना अरशद मदनी को बयान देने से पहले समझना चाहिए कि देश में एक कानून और एक संविधान चलेगा। ये हिंदुओं-मुसलमानों पर लागू होता है और किसी के लिए नए व अलग नियम लागू नहीं होंगे।
ये है मामला
बता दें कि मदनी ने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के लिए आपत्तिजनक शब्दों का उपयोग किया था। उन्होंने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के खिलाफ जहर उगला था। उन्होंने कहा था कि अल्लाह ने धरती पर आदमी को उतारा है। उन्होंने सवाल किया कि हमारे मजहब में दखल क्यों दिया जाता है। सबसे पहला आदमी नबी मनु था, जो कि हिंदू नहीं था। ये सिर्फ हिंदु ही नहीं बल्कि मुस्लिम, सिख, ईसाई सबके पूर्वज हैं। बता दें कि मदनी के इस बयान का जैन गुरु लोकश मुनि भी विरोध कर चुके है। लोकेश मुनि ने मदनी के बयान पर विरोध जताते हुए अधिवेशन में मंच छोड़ दिया था।