मुंबई। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की मुंबई में हुई दशहरा रैली पर हुए खर्च की जांच का आदेश देने के लिए शुक्रवार को बांबे हाई कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की गई है। यह जनहित याचिका वकील नितिन सातपुते ने दाखिल की है लेकिन कोर्ट ने इसकी सुनवाई का समय अब तक तय नहीं किया है। इस याचिका में कहा गया है कि दशहरा रैली के लिए बेहिसाब पैसे खर्च किए गए जबकि शिंदे समूह अभी तक किसी भी राजनीतिक दल के रूप में पंजीकृत नहीं है। इसलिए इस बात का पता लगाया जाना जरूरी है कि इन पैसों का श्रोत क्या है। इसकी जांच सेंट्रल इंवेस्टिगेशन ब्यूरो (सीबीआई), प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) सहित अन्य जांच एजेंसियों से करवाए जाने का आदेश हाई कोर्ट को देने की मांग की गई है।
शिंदे गुट ने करीब सत्रह सौ बसें आरक्षित की थी, जिस पर 51-51 हजार रुपये खर्च किए गए। इसके लिए शिंदे समूह ने दस करोड़ रुपये जमा करवाया था। इससे दशहरा रैली के समय आम नागरिकों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। याचिका में यह भी दावा किया गया है कि किसी भी राजनीतिक कारण से सरकारी बसों को इस तरह किराए पर नहीं किया जा सकता है। इस याचिका में मुख्यमंत्री शिंदे के साथ आयकर विभाग, प्रत्यक्ष कर विभाग, पुलिस मुख्यालय, राज्य परिवहन विभाग को प्रतिवादी बनाया गया ह। यह याचिका सामाजिक कार्यकर्ता दीपक जगदेव की ओर से वकील नितिन सतपुते ने दाखिल की है।
याचिका में यह भी आरोप लगाया गया है कि जिन जांच एजेंसियों ने शिवसेना सांसद संजय राउत और राकांपा नेता नवाब मलिक पर वित्तीय हेराफेरी का आरोप लगाया और उन्हें जेल में डाल दिया, उन्होंने अभी तक खर्च की जांच के लिए कोई कार्रवाई नहीं की है। इसके साथ ही याचिका में कहा गया है कि मुंबई-नागपुर समृद्धि हाईवे अभी यात्रा के लिए नहीं खुला है, लेकिन इसे दशहरा रैली के लिए खोल दिया गया था। इससे समृद्धि हाईवे पर दस बसों का एक्सीडेंट हो गया था।
याचिका में कहा गया है कि सीएम एकनाथ शिंदे की दशहरा रैली के लिए औरंगाबाद और बीड से 450, उत्तरी महाराष्ट्र से 686, नासिक से 686 बसों का इस्तेमाल किया गया। इस याचिका में यह भी कहा गया है कि विज्ञापन, बैनर, ऑनलाइन टीजर, गाने, खाने के पैकेट आदि पर लाखों रुपये खर्च किए गए। इन सभी की जांच का आदेश संबंधित जांच एजेंसियों को दिए जाने मांग याचिका में की गई है।