उत्तर प्रदेशलखनऊ

बिना सहमति बदले गए 35 लाख से अधिक लोगों के मीटर, उपभोक्ता परिषद ने प्रीपेड मीटर को लेकर उठाए गंभीर सवाल

उत्तर प्रदेश में बिजली उपभोक्ताओं के बीच स्मार्ट प्रीपेड मीटरों को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। वहीं प्रदेश में 14 नवंबर तक कुल 49,95,001 स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाए जा चुके हैं। इसी बीच यह गंभीर आरोप सामने आया है कि 35,06,349 उपभोक्ताओं के मीटर बिना उनकी सहमति के ही प्रीपेड मोड में बदल दिए गए, जिससे उपभोक्ताओं में व्यापक आक्रोश फैल गया है। उपभोक्ता परिषद ने इस कार्रवाई को विद्युत अधिनियम 2003 का खुला उल्लंघन बताया है।

परिषद का कहना है कि विद्युत नियामक आयोग अपने टैरिफ आदेश में साफ कर चुका है कि धारा 47 (5) उपभोक्ता को पोस्टपेड या प्रीपेड में से किसी एक विकल्प का अधिकार देता है। ऐसे में उपभोक्ता की अनुमति के बिना मीटर को प्रीपेड मोड में बदलना नियम के विपरीत है। उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने सवाल उठाया है कि जब पड़ोसी राज्यों ने उपभोक्ता हित में कदम उठाए हैं, तो उत्तर प्रदेश में ऐसा क्यों नहीं किया जा रहा है।

उन्होंने बताया किउत्तराखंड में स्मार्ट प्रीपेड मीटरों का व्यापक विरोध होने के बाद पावर कॉरपोरेशन ने अग्रिम आदेश तक मीटर लगाने पर रोक लगा दी है। मध्य प्रदेश के विद्युत नियामक आयोग ने स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने की अनिवार्य समय सीमा बढ़ाकर 31 मार्च 2028 कर दी है। राजस्थान सरकार ने नए कनेक्शन पर केवल स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने की अनिवार्यता समाप्त कर दी है।

उन्होंने आगे आरोप लगाया कि उपभोक्ता हितों को नजरअंदाज करते हुए पावर कॉरपोरेशन आयोग के आदेशों के विपरीत जाकर नए कनेक्शन पर 6016 रुपए की वसूली कर रहा है, जिससे सरकार की छवि खराब हो रही है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि नियमों का पालन नहीं किया गया और उपभोक्ताओं को उनके अधिकारों से वंचित किया जाता रहा, तो इस मुद्दे को राष्ट्रीय स्तर पर उठाया जाएगा।

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