International Yoga Day 2025: इन आसनों से कम होगा बीमारियों का जोखिम, नहीं होंगी परेशानियां

पंकज द्विवेदी, लखनऊ,अनियमित जीवनशैली के कारण लोग बीमारी की चपेट में आ रहे हैं। मधुमेह उच्च रक्तचाप और बढ़ते कोलेस्ट्रॉल के कारण हृदयाघात की घटनाएं बढ़ रही हैं। कैंसर रोगियों की संख्या में भी दिन प्रतिदिन इजाफा हो रहा है। पाचन संबंधित परेशानियां भी बढ़ी हैं। हर कोई मोटापे से परेशान है। नॉन एल्कोहलिक फैटी लिवर और जोड़ों में दर्द भी लोगों में एक बड़ी समस्या उभर कर सामने आई है। रोगियों को जीवनभर दवा पर निर्भर रहना पड़ रहा है। योग विशेषज्ञों का कहना है कि जीवनशैली में योग अपनाकर हम स्वस्थ जीवन जी सकते हैं। लोगों को योग के प्रति जागरूक करने के लिए ही 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाता है। ”अमृत विचार” बातचीत में भारतीय योग संस्थान के चिकित्सक शिवराम वर्मा और वेगराज सिंह से जीवन में योगासन के महत्व पर महत्वपूर्ण योगासन और सूक्ष्म क्रियाओं की जानकारी साझा की। इन्हें जीवनशैली में अपनाकर स्वस्थ जीवन जिया जा सकता है।
वज्रासन से नियंत्रित करें मधुमेह, उच्च रक्तचाप
वज्रासन एक सरल और शक्तिशाली योग आसन है। ये पाचन में सुधार, तनाव व पीठ दर्द से राहत खासकर साइटिका के दर्द में और मन को शांत करने जैसे कई स्वास्थ्य लाभ प्रदान करता है। मधुमेह और उच्च रक्तचाप को नियंत्रित कर हृदय घात से बचाता है।
कैसे करें : भोजन करने के बाद इसे करना चाहिए। घुटनों के बल बैठें, पैर के अंगूठे एक दूसरे को छूते हुए हों। पीठ को सीधा रखें और हाथों को घुटनों पर रखें। गहरी सांस लें और छोड़ें। कुछ मिनटों के लिए इस स्थिति में बैठें, धीरे-धीरे समय बढ़ाएं।
सावधानियां: घुटने या टखने में चोट लगने पर वज्रासन न करें। यदि आपको कोई स्वास्थ्य समस्या है, तो वज्रासन करने से पहले डॉक्टर से सलाह लें।
ताड़ासन से मिटाएं थकान, बढ़ाएं एनर्जी
ताड़ासन तेजी से हाइट बढ़ाने, शरीर का पोस्चर सही रखने, थकान को दूर करके एनर्जी बढ़ाने, मांसपेशियों को आराम देने, रक्त प्रवाह में सुधार के लिए, जांघों, घुटनों और टखनों को मजबूत और रीढ़ की हड्डी में खिंचाव लाकर उसके विकारों को दूर करने के लिए इसका अभ्यास किया जा सकता है।
कैसे करें : इस आसन के अभ्यास के लिए दोनों पंजों को थोड़ा खोलकर सीधे खड़े हो जाएं। अब हाथों को नमस्ते की मुद्रा में जोड़कर सिर के ऊपर ले जाएं। ध्यान रखें कि दोनों हाथ दोनों कानों के पास से गुजर रहे हों। फिर हाथ की उंगलियों और धड़ को आसमान की तरफ खींचे, इस दौरान पैर को न उठाएं। शरीर के खिंचाव के साथ ही सांस लेते रहें और थोड़ी देर खिंचाव बनाए रखने की कोशिश करें। अंत में धीरे-धीरे हाथों को नीचे लाते हुए सामान्य स्थिति में आ जाएं। इस आसन को दिन में 2 से 3 बार दोहरा सकते हैं।
सावधानियां : अभ्यास के दौरान कूल्हों को आगे की तरफ न धकेलें। छाती को अंदर की तरफ न समेटें। कंधों को बराबर रखें, नीचे की ओर न गिरने देना चाहिए। अभ्यास के दौरान सांस रोकने की गलती न करें।
कटिचक्रासन से कम करें कमर पर जमा फैट
कटिचक्रासन कमर पर जमे फैट को कम कर उसे लचीला बनाता है। रीढ़ की अकड़न दूर होती है जो अक्सर देर तक सीट पर बैठकर काम करने की वजह से होती है। साथ ही यह आसन कब्ज से राहत दिलाने में भी असरदार है। कमर के साथ हाथों और पैरों की भी अच्छी एक्सरसाइज हो जाती है। गर्दन, कंधे, पेट और पीठ की मसल्स मजबूत होती है।
कैसे करें : पैरों को जोड़ कर सीधे खड़े हो जाएं। सांस भरते हुए हथेलियां सामने रखते हुए हाथों को अपने सामने जमीन के समानांतर करें। हाथों के बीच कंधे जितनी दूरी होनी चाहिए। सांस छोड़ते हुए कमर को पहले दाहिनी ओर घुमाएं और सिर को भी ज्यादा से ज्यादा दाहिनी ओर घुमाने की कोशिश करें। ध्यान रहे पैरों को अपनी जगह पर ही रखना है उन्हें नहीं हिलाना। बाईं हथेली को दाएं कंधे पर टिकाएं और दाएं हाथ भी कमर घूमने की दिशा में ही घूमेगा यानी पीछे जाएगा। इस स्थिति में कुछ देर बने रहें। सांस लेते हुए सामने की ओर आ जाएं। इसके बाद यही प्रक्रिया बाई ओर से दोहराना है। दोनों ओर से करने पर एक चक्र पूरा होता है, तो आपको कम से कम 5 से 7 बार इसे करना है।
सावधानियां : खाली पेट ही इस आसन को करें। जोर- जबरदस्ती न करें वरना मसल्स इंजरी हो सकती है। कमर या गर्दन में दर्द हो तो इस आसन को न करें।
मंडूकासन से कम करें तोंद की चर्बी
मंडूकासन पेट की चर्बी को जलाकर तोंद को कम करता है। पेट की समस्याओं को दूर करता है। सही ढंग से अभ्यास करने से पैंक्रिया से इंसुलिन का स्राव में मदद मिलती है। इससे मधुमेह के रोगियों को बहुत लाभ मिलता है। एंजाइम और हार्मोन का स्राव ठीक से होने लगता है। भोजन को पचाने में मदद करता है और कब्ज एवं अपच को दूर करता है।मंडूकासन करने से हमारे पेट में तरह-तरह के टॉक्सिन एवं जहरीली गैसें होते हैं, जो आसानी से निकल जाते हैं।
कैसे करें : सबसे पहले वज्रासन में बैठकर अपनी मुठ्ठी बंद करके अंगूठे बाहर की तरफ रखें। अब मुठ्ठी को नाभि चक्र और जांघ के पास ले जाकर इस तरह दबाव बनाएं कि मुठ्ठी खड़ी हो और अंगूठे अंदर की तरफ हों। अब अपनी सांस बाहर की ओर छोड़ते हुए पेट को अंदर की तरफ खींचें। ऐसा करते हुए धीरे-धीरे आगे की तरफ झुकें। आगे की ओर झुकते हुए आपकी छाती जांघ से टच करें। आगे झुकते समय यह भी ध्यान रखें कि नाभि पर ज्यादा दबाव पड़े। अपना सिर और गर्दन उठाए रखें और एक आंख खोलकर मेंढक की तरह सामने की ओर देखते रहें। जब तक आप इस मुद्रा में बने रह सकते हैं, बने रहें। ऐसा करते हुए धीरे-धीरे सांस लें और धीरे-धीरे ही सांस छोड़ें। इसी अवस्था में बने रहते हुए सांस धीमी करें और वापस अपनी पोजीशन में आ जाएं। शुरूआती दौर में इसे 3 से 5 बार करें और फिर धीरे-धीरे इसकी संख्या बढ़ा दें।
सावधानियां : अगर आपको पीठ में दर्द हो तो इस आसन को करने से परहेज करना चाहिए। पेट में अगर कोई बीमारी है या ऑपरेशन हुआ हो तो इस आसन को न करें। नाभि की समस्या हो तो भी इस योग को न करें।
ये सूक्ष्म क्रियाएं भी लाभकारी
गर्दन घुमाना: गर्दन को धीरे-धीरे दाईं और बाईं ओर घुमाना, फिर ऊपर और नीचे।
कंधे घुमाना: हाथों को कंधों पर रखकर, कोहनी से वृत्त बनाना।
कलाई और उंगलियों को घुमाना: हाथों को आगे-पीछे और गोल-गोल घुमाना।
कमर घुमाना: कमर को दाईं और बाईं ओर घुमाना।
घुटने घुमाना: घुटनों को मोड़कर और सीधा करके, फिर गोल-गोल घुमाना।
पैर के पंजों को घुमाना: पैरों को ऊपर-नीचे और गोल-गोल घुमाना।
सक्ष्म क्रियाओं को नियमित रूप से करने से शरीर में ऊर्जा का संचार होता है, मांसपेशियों और जोड़ों को आराम मिलता है, और शरीर लचीला बनता है।