दीपावली: गंगा की पवित्र मिट्टी से बनी मूर्तियां बन रहीं पहली पसंद, बंगाल से आई मूर्तियां लुभा रही राजधानी का बाजार

दीपावली के अवसर पर लखनऊ के बाजारों में गणेश-लक्ष्मी की पारंपरिक मूर्तियों की बजाय बंगाल की मिट्टी से बनी विशेष मूर्तियां इस बार आकर्षण का केंद्र बनी हुई हैं।
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गंगा की पवित्र मिट्टी से बनी और टेराकोटा तकनीक से तैयार ये मूर्तियां भक्तों को आध्यात्मिक सुख के साथ-साथ स्वदेशी शिल्पकला की गौरवगाथा भी सुना रही हैं। सूक्ष्म कलाकारी और आधुनिक श्रृंगार का अनोखा संगमकोलकाता से आयातित इन मूर्तियों की कीमत 500 रुपये से शुरू होकर 50,000 रुपये तक जाती है।
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इन्हें पूरी तरह मिट्टी से तैयार कर पकाया जाता है, जिससे ये पर्यावरण के लिए अनुकूल भी होती हैं। बाजार में इनकी मांग तेजी से बढ़ी है और मूर्ति मंडी में इनकी हिस्सेदारी अब 8 से 10 प्रतिशत तक पहुंच चुकी है।
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व्यापारियों के अनुसार इन मूर्तियों की लोकप्रियता का कारण बंगाल के कारीगरों की सूक्ष्म कलाकारी है, जो पारंपरिक सौंदर्य और आधुनिक श्रृंगार का अनूठा संगम प्रस्तुत करती है।
स्वदेशी अपनाओ की भावना को दे रही बढ़ावा
आईटी स्थित मूर्ति विक्रेता महेश बताते हैं कि जैसे-जैसे श्रृंगार बढ़ता है, कीमत भी उसी हिसाब से बढ़ती है। वहीं व्यवसायी अमित के अनुसार कोलकाता की मूर्तियां टिकाऊ, सुंदर और पूरी तरह पर्यावरण-अनुकूल होती हैं,
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जिनमें गंगा की मिट्टी की पवित्रता समाहित रहती है। दीपावली के इस पर्व पर ये मूर्तियां न केवल श्रद्धा का प्रतीक बनी हैं, बल्कि ‘स्वदेशी अपनाओ’ की भावना को भी मजबूती से आगे बढ़ा रही हैं।





