उत्तर प्रदेशलखनऊ

उपभोक्ता परिषद ने बिजली दरों को कम करने की मांग की

  • राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवेधश ने विद्युत नियामक आयोग को सौंपा ज्ञापन

लखनऊ। प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं की बिजली दरों में कमी कराने को लेकर उपभोक्ता परिषद ने लामबंदी शुरू कर दी है। आज नियामक आयोग चेयरमैन आरपी सिंह व सदस्य बीके श्रीवास्तव से की मुलाकात और सौंपा। इसके साथ ही कहा कि लोक महत्व में बिजली दरों में कमी की जाए।

मंगलवार को उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने विद्युत नियामक आयोग के चेयरमैन आरपी सिंह व सदस्य बीके श्रीवास्तव से मुलाकात कर एक लोक महत्व जनहित प्रत्यावेदन सौंपा। उन्होंने यह मांग उठाई कि जब प्रदेश की बिजली कंपनियों पर प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं का सरप्लस पैसा लगभग 20596 करोड़ निकल रहा है। ऐसे में आयोग का नैतिक दायित्व बनता है और कानूनन प्राविधान भी है कि सरप्लस निकलने पर उसका लाभ प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं को दिया जाएगा।

ऐसे में उपभोक्ता परिषद द्वारा दाखिल याचिका पर जिस पर विद्युत नियामक आयोग द्वारा पावर कारपोरेशन से 2 सप्ताह में सितंबर 2021 में जवाब मांगा गया था, आज तक दाखिल नहीं किया गया। जो बहुत ही गंभीर मामला है। जब उपभोक्ताओं को लाभ देने का मामला सामने आता है, तो बिजली कंपनियां चुप्पी साध लेती है। विद्युत नियामक आयोग प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं को राहत दिलाने की दिशा में अविलम्ब कदम उठाएं ।

आज वही एक नए घटनाक्रम के तहत विद्युत नियामक आयोग द्वारा पावर कारपोरेशन के रेगुलेटरी अफेयर्स यूनिट को आज पुनःएक पत्र भेजकर प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं का बिजली कंपनियों पर निकल रहे रुपया 20596 करोड के एवज में उपभोक्ता परिषद की दाखिल याचिका पर बिजली दरों में कमी कराने की मांग पर अभिलंब एक विस्तृत रिपोर्ट तलब की गई है ।

उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने कहा उत्तर प्रदेश सरकार का भी नैतिक दायित्व बनता है। सरकार प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं की बिजली दरों में कमी कराने के लिए आगे आए। विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 108 के तहत विद्युत नियामक आयोग को भी जनहित में निर्देश देकर बिजली दरों में कमी कराने का रास्ता साफ करें। इससे प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं की लंबे समय से लंबित बिजली दरों में कमी की याचिका पर निर्णय हो सके और प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं को उसका लाभ मिल सके ।

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