हाईकोर्ट का बड़ा फैसला : मेरठ विकास प्राधिकरण के कर्मियों को नियमित करने का दिया आदेश

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मेरठ विकास प्राधिकरण (एमडीए) के पांच दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों को बड़ी राहत देते हुए राज्य सरकार को उनके पदों के नियमितीकरण के लिए अतिरिक्त पद सृजित करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा कि 1991 से लगातार कार्यरत कर्मचारियों को अब अस्थायी स्थिति में रखना “अनुचित और असंवैधानिक” है। उक्त आदेश न्यायमूर्ति जे.जे मुनीर की एकलपीठ ने वीरेंद्र कुमार चौबे व अन्य की याचिका को स्वीकार करते हुए पारित किया।
याचियों यानी विरेंद्र कुमार चौबे, राजकुमार शर्मा, गया प्रसाद, चंद्र प्रकाश और जहीर अहमद ने 1991 से एमडीए में माली और कार्यालय सहायक के रूप में कार्य किया है। कोर्ट ने पाया कि इनकी सेवा निरंतर रही है और कार्य स्वभावतः स्थायी था। कोर्ट ने कहा कि सरकार और प्राधिकरण के बीच 2016 के नियम अपनाने में देरी से नियमितीकरण टलता रहा, जबकि अब एमडीए बोर्ड ने इन्हें अंगीकृत कर लिया है।
ऐसे में राज्य सरकार आठ सप्ताह के भीतर सुपरन्यूमेररी पद सृजित करें और एमडीए चार सप्ताह में नियमितीकरण की कार्यवाही पूरी करे। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि वित्तीय संकट का हवाला देकर वर्षों से श्रमिकों से नियमित कार्य लेना “न्याय और निष्पक्षता के सिद्धांतों के विपरीत” है। कोर्ट ने कहा कि सार्वजनिक संस्थान “संवैधानिक नियोक्ता” हैं और उन्हें अस्थायी अनुबंधों के दुरुपयोग से बचना चाहिए।



