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क्या सनातन का विरोध और अपमान ही सेक्युलर राजनीति है?

मृत्युंजय दीक्षित


भारत विभाजन के साथ मिली स्वाधीनता से कोई सबक न लेते हुए भारत की राजनीति आज तक तुष्टिकरण के आधार पर चलती रही है। मुस्लिम वोट बैंक को प्रसन्न करने के लिए तथाकथित समाजवादी लालू ने सम्मानित नेता आडवाणी जी को जेल में डाल दिया और एक कदम आगे बढ़ते हुए मुलायम सिंह ने निहत्थे रामभक्तों को गोलियों से भुनवा दिया, कांग्रेस साम्प्रदायिक हिंसा बिल ले आई वो तो भला हो उस समय विपक्ष में होने के बाद भी भाजपा ने इसे पारित होने से बचा लिया। मुस्लिम तुष्टिकरण के कारण ही पाकिस्तान को सटीक उत्तर देने की जगह अमन का तमाशा किया जाता रहा। मात्र इतना ही नहीं मुस्लिम तुष्टिकरण के लिए भारत की सनातन संस्कृति को अनेकानेक प्रकार से चोट पहुंचाई जाती रही । वर्ष 2014 में केन्द्रीय नेतृत्व प्रदान करते हुए नरेन्द्र मोदी जी ने तुष्टिकरण के कारण सनातन संस्कृति को हुई क्षति की भरपाई करने के प्रयास किए हैं।

बिहार विधानसभा चुनाव परिणामों के बाद एक बार फिर मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति करने वाले दल और अधिक कटु होकर सनातन हिंदू धर्म पर प्रहार कर रहे हैं । रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन को उनकी दो दिवसीय भारत यात्रा के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद मोदी ने श्रीमद्भगवद्गीता का रूसी अनुवाद भेंट किया। इसको देखकर कांग्रेस और वामपंथी दलों ने न केवल प्रधानमंत्री वरन श्रीमद्भगवद्गीता के प्रति आपत्तिजनक शब्दों का उपयोग करते हुए इसका विरोध किया। कांग्रेसियों ने गीता के लिए माल शब्द का प्रयोग किया जो एक अक्षम्य अपराध है।

वर्ष 2026 में पश्चिम बंगाल व तमिलनाडु में विधानसभा चुनाव हैं अतः इन दो प्रान्तों में सनातन प्रतीकों तथा हिन्दू समाज को अपमानित करने का कार्य भी सबसे अधिक और सबसे तेजी से हो रहा है। पश्चिम बंगाल में वहां के तृणमूल विधायक हुमायूं कबीर ने गुलामी की मानसिकता से ग्रसित होकर बाबर के नाम की एक मस्जिद की आधारशिला रखी और प्रशासन चुपचाप खड़ा रहा क्योंकि इस हरकत को मुख्यमंत्री का मौन समर्थन था। उसकी देखादेखी बिहार और तेलंगना में भी कुछ कट्टरपंथी मौलानाओं ने बाबरी नाम की मस्जिद व स्मारक बनाने का ऐलान करके साप्रंदायिक तनाव बढ़ाने का काम आरम्भ कर दिया है। इस बाबरी भूत को वह सभी दल प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से समर्थन दे रहे हैं जिनकी राजनीति मुस्लिम तुष्टिकरण से चलती है और जो संविधान की किताब हाथ में लेकर घूमते हैं।

उत्तर प्रदेश में सपा मुखिया सपरिवार शौर्य दिवस को सलीम चिश्ती की दरगाह पर चादर चढ़ाकर हिन्दुओं को चिढ़ाते दिखे । सपा मुखिया का तुष्टिकरण में संलिप्त यह कृत्य जनता समझ रही है। सपा मुखिया समय समय पर ऐसे बयान देते रहते हैं जिससे सनातन हिन्दू समाज आहत हो। महाकुंभ से लेकर लेकर अयोध्या के दीपोत्सव तक उन्होंने हिन्दू परम्पराओं का उपहास करते हुए उन्हें ढोंग बताया। वहीं कांग्रेस ने तो हिदू सनातन आस्था के सभी केन्द्रों का अपमान करने की सुपारी ही ले रखी है। कर्नाटक में तो मुस्लिम तुष्टिकरण का खुला खेल चल ही रहा है। हिमाचंल प्रदेश कि कांग्रेस सरकार मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह “सुक्खू “ को हिंदू बच्चों के राधे -राधे बोलने पर आपत्ति है।

तेलंगाना के कांग्रेस मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी लगातार सनातन और हिंदुओं के विरुद्ध आग उगल रहे हैं। रेवंत रेड्डी ने हिंदुओं पर आपत्तिजनक टिप्पणी करते हुए कहा कि हर व्यक्ति और हर काम के लिए एक अलग भगवान होता है। एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा हिंदू कितने भगवानों को मानते हैं ? तीन करोड़ हैं, इतने सारे क्यों हैं? जो लोग अविवाहित हैं उनके लिए एक भगवाण है हनुमान, जो लोग दो शादी करते हैं उनके लिए अलग भगवान हैं और जो लोग शराब पीते हैं व मुर्गी खाते हैं उनके लिए अलग भगवान हैं। हर ग्रुप का अलग भगवान है। रेड्डी के बयान से हिंदुओं की भावनाओं का आहत होना स्वाभाविक था । हिंदू संगठनों ने मुख्यमंत्री से माफी मांगने को कहा किंतु मुस्लिम परस्त रेवंत रेड्डी अपने बयान पर कायम हैं ।

उधर तमिलनाडु में भगवान मुरुगन के मंदिर में दीप जलाने को लेकर द्रमुक सरकार मुस्लिम तुष्टिकरण के लिए न्यायालय की भी अवहेलना कर रही है। तमिलनाडु से ही हिन्दू और सनातन समाज को डेंगू -मलेरिया जैसे रोगों की संज्ञा दी जाती रही है। आश्चर्य की बात ये है कि सनातन हिन्दू धर्म का अपमान करने वाली इस राजनीति को “सेक्युलर” कहा जाता है। छद्म धर्मनिरपेक्षता का ये खेल लम्बा चल चुका है अब इसे समाप्त होना ही होगा।

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