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Bihar Elections : बिहार में ‘यूपी मॉडल’ दोहराने की तैयारी, BJP ने UP के नेताओं को दी बड़ी जिम्मेदारी

पटना। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने बिहार विधानसभा चुनाव में अपने प्रचार अभियान को धार देने के लिए उत्तर प्रदेश से संगठनात्मक रूप से मजबूत नेताओं को बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है। इस कदम को पार्टी के उस प्रयास के रूप में देखा जा रहा है, जिसके तहत वह अपनी चुनावी संभावनाओं को बेहतर बनाने की कोशिश कर रही है।

भाजपा सूत्रों का कहना है कि यह उस ‘‘उत्तर प्रदेश मॉडल’’ को दोहराने की तैयारी है, जिसके अंतर्गत बूथ प्रबंधन, जातिगत समीकरणों के संतुलन और सूक्ष्म स्तर पर चुनावी रणनीति तैयार की जाती है तथा इसका लक्ष्य गैर-यादव पिछड़ी जातियों में अपनी पकड़ मजबूत करना और राजद के यादव-आधारित सामाजिक समीकरण को जमीनी स्तर पर चुनौती देना है।

उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य को बिहार चुनाव का सह-प्रभारी बनाया गया है, जबकि प्रदेश के कैबिनेट मंत्री और पूर्व भाजपा प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह को आरा लोकसभा क्षेत्र का प्रभारी नियुक्त किया गया है। कुर्मी समुदाय से आने वाले सिंह अपने आक्रामक संगठन कौशल के लिए जाने जाते हैं। उन्हें आगामी एक महीने तक बिहार में रहकर पार्टी संगठन को सक्रिय करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है।

आरा लोकसभा क्षेत्र में सात विधानसभा सीटें संदेश, बड़हरा, आरा, अगिआंव, तरारी, जगदीशपुर और शाहपुर शामिल हैं। यह लोकसभा सीट वर्तमान में भाकपा (माले) के सुधामा प्रसाद के पास है, जिन्होंने 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री आरके सिंह को पराजित किया था। इसी तरह, केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी को पश्चिम चंपारण लोकसभा क्षेत्र का प्रभारी बनाया गया है। इस लोकसभा सीट से भाजपा नेता संजय जायसवाल सांसद हैं।

पश्चिम चंपारण में नौतन, चनपटिया, बेतिया, रक्सौल, सुगौली और नरकटिया जैसी विधानसभा सीटें शामिल हैं। फतेहपुर सीकरी के सांसद राजकुमार चाहर को शिवहर लोकसभा सीट की जिम्मेदारी दी गई है, यहां की सांसद जनता दल यूनाइटेड की लवली आनंद है। इस क्षेत्र में मधुबन, चिरैया, ढाका, शिवहर, रीगा और बेलसंड विधानसभा सीटें आती हैं।

इनमें से शिवहर और बेलसंड सीटें 2020 के विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के खाते में गई थीं, जबकि बाकी सीटें भाजपा के पास हैं। भाजपा ने उत्तर प्रदेश के अन्य नेताओं को भी बिहार के विभिन्न संसदीय क्षेत्रों की जिम्मेदारी सौंपी है।

अलीगढ़ के सांसद सतीश गौतम को बक्सर, गौतम बुद्ध नगर के सांसद महेश शर्मा को औरंगाबाद, भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रेखा वर्मा को पटना साहिब, उत्तर प्रदेश इकाई के उपाध्यक्ष मोहित बेनीवाल को किशनगंज, पूर्व विधायक उपेंद्र तिवारी को दरभंगा, पूर्व सांसद संगम लाल गुप्ता को मुजफ्फरपुर, विनोद सोनकर को सीवान और सुभ्रत पाठक को उजियारपुर को दायित्व दिया गया है।

भाजपा सूत्रों का कहना है कि उत्तर प्रदेश के नेताओं की तैनाती भाजपा के उस प्रयास का हिस्सा है, जिसके तहत वह बिहार में ‘‘उत्तर प्रदेश मॉडल’’ को दोहराना चाहती है। यह मॉडल बूथ प्रबंधन, जातिगत समीकरणों के संतुलन और सूक्ष्म स्तर पर चुनावी रणनीति के लिए जाना जाता है। इसके जरिये भाजपा का लक्ष्य गैर-यादव पिछड़ी जातियों में अपनी पकड़ मजबूत करना और राजद के यादव-आधारित सामाजिक समीकरण को चुनौती देना है।

भाजपा चुनाव समिति के सदस्य और प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल ने बताया, ‘‘ उत्तर प्रदेश के भाजपा नेताओं को बिहार विधानसभा चुनाव में संसदीय क्षेत्र का प्रभारी बनाना,कोई नई बात नहीं है। भाजपा में यह परंपरा रही एक राज्य के नेताओं को दूसरे राज्य में होने वाले चुनाव में जिम्मेदारी दी जाती है। बिहार के विधानसभा चुनाव के लिए सात राज्यों के नेता आए हुए हैं, उन्हें अलग अलग क्षेत्रों की जिम्मेदारी दी गई है। ’’

राजनीतिक विश्लेषक इंद्रभूषण का कहना है, ‘‘भाजपा का यह कदम न केवल संगठनात्मक मजबूती की दिशा में है, बल्कि यह पार्टी के भीतर जातिगत संतुलन साधने की रणनीति का हिस्सा भी है। उत्तर प्रदेश के भाजपा नेता जमीनी स्तर पर जनसंपर्क और केंद्र सरकार की योजनाओं के प्रचार के लिए जाने जाते हैं।बिहार की राजनीतिक संस्कृति उत्तर प्रदेश की तरह ही है।यहां की भी राजनीति जाति-आधारित है। नेताओं को उनकी जाति को देखकर उस जाति के प्रभाव वाले क्षेत्रों की जिम्मेदारी दी गई है।’’

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