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चंडीगढ़ पुलिस ने IPS पूरन कुमार मामले में परिवार की मानी मांग, अब आजीवन जेल में सड़ेगा दोषी व्यक्ति

हरियाणा के सीनियर IPS अधिकारी वाई पूरन कुमार की गोली मारकर आत्महत्या मामले में पीड़ित परिजनों की एक मांग को मान लिया गया है। चंडीगढ़ पुलिस ने देर रात IPS वाई पूरन कुमार के परिवार की एक मांग को मानते हुए एफआईआर में लगाए गए SC/ST एक्ट में धारा 3(2)(वी) को जोड़ दिया है। परिवार लगातार ये धारा जोड़ने की मांग कर रहा था। परिवार का कहना था कि एफआईआर में SC/ST एक्ट तो लगाया गया है लेकिन उसके सख्त सेक्शन नहीं लगाए गए हैं।

जानिए क्या है ये धारा?

SC/ST एक्ट की धारा 3(2)(वी) के प्रावधान को तब लागू किया जाता है, जब किसी अनुसूचित जाति या जनजाति के व्यक्ति को उसकी जाति के आधार पर गंभीर चोट या मृत्यु का सामना करना पड़ता है।

जानिए इस धारा के तहत मिलती है कौन सी सजा?

एफआईआर में जोड़ी गई इस नई धारा में प्रावधान ये है कि अगर किसी अनुसूचित जाति या जनजाति के व्यक्ति के साथ उसकी जाति के कारण ऐसा अपराध किया जाए, जिससे उसकी गंभीर चोट या मृत्यु हो जाए तो दोषी को आजीवन कारावास और जुर्माने की सजा हो सकती है। पहले दर्ज की गई धाराओं में अधिकतम सजा 5 साल तक थी, जबकि इस नई धारा में आजीवन कारावास का प्रावधान है।

गोली मारकर की आत्महत्या

बता दें कि हरियाणा कैडर के 2001 बैच के IPS अधिकारी वाई. पूरन कुमार (52) ने 7 अक्टूबर को चंडीगढ़ के सेक्टर-11 स्थित अपने आवास के बेसमेंट में अपनी सर्विस रिवॉल्वर से खुद को गोली मार ली थी। घटना के बाद पुलिस ने उनके पास से 9 पेज का सुसाइड नोट बरामद किया था, इसमें उन्होंने 12 सीनियर IAS व IPS अधिकारियों पर जातिगत भेदभाव, मानसिक उत्पीड़न, सार्वजनिक अपमान और प्रशासनिक उत्पीड़न का गंभीर आरोप लगाया था।

SIT कर रही इस मामले की जांच

पूरन कुमार की पत्नी, IAS अधिकारी अमनीत पी. कुमार ने पोस्टमॉर्टम से इनकार करते हुए न्याय की मांग की थी। चंडीगढ़ पुलिस ने SC/ST एक्ट के तहत FIR दर्ज की है। मामला संवेदनशील होने के कारण SIT का गठन कर दिया गया है।

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