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बसपा ने फिर दिखाई ताकत; समाजवाद को हुआ तनाव

मृत्युंजय दीक्षित


उत्तर प्रदेश में आगामी पंचायत चुनाव से लेकर वर्ष 2027 के विधानसभा चुनावों तक की चहल-पहल दिखने लगी है। इसी क्रम में बसपा सुप्रीमो बहिन मायावती ने मान्यवर कांशीराम की पुण्यतिथि के अवसर पर शक्ति प्रदर्शन करते हुए कई राजनैतिक संदेश दिए। बहिन मायावती ने अपनी जनसभा में एक ओर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सराहना करके राजनैतिक विश्लेषकों को हैरान किया तो दूसरी ओर अगले विधानसभा चुनावों में बिना किसी गठबंधन के उतरने की घोषणा भी कर दी है।

बसपा के शक्ति प्रदर्शन को देखकर अनुमान लगाया जा रहा है कि आगामी विधानसभा चुनावों में बसपा की बढती ताकत से समाजवादी पार्टी को नुकसान होने जा रहा है। बहिन मायावती ने न केवल यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की प्रशंसा की अपितु यह भी कहा कि यदि आत्मनिर्भर भारत और स्वदेशी जुमला न साबित हुआ तो वह पूरी तरह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ खड़ी होंगी।

बहिन मायावती अपनी 2007 की रणनीति को अपनाते हुए पुनः सामाजिक न्याय को आधार बनाकर ही चुनावी मैदान में उतरेंगी ऐसा संकेत उनकी रैली से मिलता है। उन्होंने अपनी रैली मे भीड़ जुटा कर यह संदेश दे दिया है कि उनका कोर वोटबैंक जाटव व दलित अभी भी उनके साथ है, भले ही इस समय उनके पास विधानसभा में केवल एक विधायक और मात्र 9 प्रतिशत वोट है। बहिन मायावती अपनी रैली में भाजपा के प्रति नरम व सपा तथा कांग्रेस के प्रति गरम दिखाई पड़ीं।

उन्होंने अपनी रैली में कांग्रेस व सपा पर जमकर हमला बोलते हुए कहा कि कांग्रेस संविधान पर नाटकबाजी कर रही है। कांग्रेस ने देश पर आपातकाल लगाकर बाबा साहब के बनाए संविधान का अपमान किया था। कांग्रेस ने बाबा साहब का कभी भी सम्मान नहीं किया।उन्होंने केंद्र सरकार में रहने पर उन्हें आयकर और सीबीआई की जांच में फंसाने की कोशिश की ताकि डा. आंबेडकर और कांशीराम के कारवां को रोका जा सके। अब उसी कांग्रेस के लोग संविधान की प्रति हाथ में लेकर नाटकबाजी कर रहे हैं। सपा पर तीखा हमला बोलते हुए बहिन मायावती ने कहा कि सपा की सराकर में दलितों व पिछड़ों का सर्वाधिक उत्पीड़न हुआ। उन्होंने सपा सरकार की अराजकता पर हमला किया।

बसपा रैली में बहिन मायावती के भतीजे आकाश आनंद की लॉन्चिंग के साथ- साथ मायावती के सबसे करीबी माने जाने वाले नेता सतीशचंद्र मिश्रा के बेटे कपिल मिश्रा की भी लॉन्चिंग हो गई है। मायावती ने उनके कामकाज की प्रशंसा भी की। जातीय समीकरण साधने के लिए सतीशचंद्र मिश्र के अलावा उमाशंकर सिंह को भी मंच पर जगह दी गई। प्रशंसनीय बात है कि इस रैली की तैयारी बहिन मायावती और उनके कार्यकता बहुत ही शांत व अनुशासित तरीके से कर रहे थे।

बसपा व बहिन मायावती अपने वोटर्स के मध्य बहुत समझदारी के साथ संपर्क बनाती हैं और यही कारण है कि उनका वोटबैंक काफी सीमा तक सुरक्षित रहा है; यद्यपि 2017 के बाद जाटव मतदाता में सेंघ लग चुकी है जिसे फिर से भरोसा दिलाकर वापस लाना बहिन जी के लिए एक कठिन चुनौतीहै। लंबे समय से बहिन जी का नाम तथा आवाज़ केंद्रीय राजनीति से दूर रहने के कारण दलित राजनीति में चंद्रशेखर “रावण“ जैसे लोगों का उभार हुआ है जो बसपा के परम्परागत वोटबैक पर दावा ठोंक रहे हैं।

बसपा सुप्रीमो ने भले ही जोर देकर कहा है कि आगामी चुनावों में प्रदेश में बसपा की सरकार बनाने के लिए पूरी ताकत लगा दी जाएगी किंतु यह फिलहाल संभव नहीं प्रतीत हो रहा हें क्योकि बसपा का जो राजनैतिक समीकरण हे उस आधार पर उन्हें सत्ता प्राप्त करने के लिए कम कम के कम 30 प्रतिशत मतों की आवश्यकता होगी और वह अभी मात्र 9 प्रतिशत ही है। प्रदेश की वर्तमान परिस्थितियों में बसपा कार्यकर्ताओं की धरातल पर कड़ी मेहनत के बाद यह मत प्रतिशत 15 -20 पहुँच सकता है।

बहिन जी ने खुले मंच से जिस प्रकार से योगी जी की प्रशंसा की वह बसपा के लिए नुकसानदायक भी हो सकता है क्योंकि संभव है इससे प्रदेश का मुस्लिम मतदाता सपा गठबंधन के साथ जाना पसंद करे। भले ही बसपा नेत्री मायावती का 2027 में अपने बलबूते पर सरकार में आने का दावा अतिशयोक्ति हो किन्तु इससे 2027 में सपा -बसपा गठबंधन की चर्चाओं को विराम लग गया है। साथ ही बहिन जी के दावे से सपा गठबंधन के लिए गहरा तनाव और भाजपा के लिए राहत की सूचना आ गई है।

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