BHU की इन पुरातन छात्रा की पेंटिंग से कीजिए आध्यात्मिक नगरी काशी के दर्शन…

आध्यात्मिक काशी का अद्भुत नजारा…। गंगा की लहरों की अठखेलियां और नाव चलाते मल्लाह। बनारस की दिलकश सुबह के दर्शन। धुंध चीरते सूरज की किरणे गंगाजल पर तरंगों सी प्रतीत होती हैं। फ्रेम के उस हिस्से पर नजर ठहर जाती-पक्षी गंगा पार करते हुए अपने घरौंदों के लिए वापस लौट रहे हैं। ढलते सूरज की लालिमा भावविभोर कर देती।

आध्यात्मिक नगरी काशी का ये सजीव चित्रण डॉ. चंद्रावती मिश्रा की पेंटिंग्स में झलकता है। डॉ. चंद्रावती मिश्रा, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के फैकल्टी ऑफ विजुअल आर्ट्स की छात्रा रही हैं। बनारस के अद्भुत रंगों ने उन्हें प्रकृति के इतनी करीब ला दिया। सोमवार को लखनऊ स्थित राज्य ललित कला अकादमी में उनकी एकल चित्रकला प्रदर्शनी लगी।
उत्तर प्रदेश डिजाइन एवं अनुसंधान संस्थान की अध्यक्ष क्षिप्रा शुक्ला ने प्रदर्शनी का उद्घाटन किया। डॉ. चंद्रावति मिश्रा, जोकि पिछले दो दशकों से नोएडा में एक शिक्षिका के तौर पर सेवाएं दे रही हैं-उनके प्रयासों की सराहना की। डा. चंद्रावति मिश्रा की पेंटिंग्स में प्रकृति के अनोखे रंग नजर आते हैं। उनकी पेंटिंग्स में काशी की आध्यात्मिका स्पष्ट झलकती है। प्रकृति से गहरा जुड़ाव और काशी की रचनात्मकता नजर आती है।

उनकी पेंटिंग्स प्रकृति और प्राचीन नगरी काशी के माध्यम से एक आत्मिक खोज का भ्रमण कराती हैं। इस दौरान राज्य ललित कला अकादमी के उपाध्यक्ष गिरीश चंद्र मिश्रा, निदेशक अमित अग्निहोत्री उपस्थित रहे। राज्य ललित कला अकादमी के अध्यक्ष डॉ. सुनील कुमार विश्वकर्मा का आभार व्यक्त किया। डॉ. गरिमा रानी की संस्था, धागा-द प्योरिटी ऑफ हेरिटेज द्वारा प्रदर्शन का आयोजन किया गया।





