अखिलेश यादव के आरोप पर मायावती का पलटवार, कहा- सपा के चरित्र में राजनीतिक ईमानदारी का साहस नहीं

लखनऊ। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से नजदीकियां बढ़ाने के समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष अखिलेश यादव के आरोप का जवाब देते हुये बहुजन समाज पार्टी (बसपा) सुप्रीमो मायावती ने गुरुवार को कहा कि उनकी पार्टी ने स्मारकों के रखरखाव पर टिकटों से प्राप्त धनराशि खर्च किये जाने पर मौजूदा सरकार का आभार प्रकट किया जिसका विरोधियों को पसंद नहीं आना लाजिमी है क्योंकि उनके स्वाभाव और चरित्र में राजनीतिक ईमानदारी का साहस नहीं है।
पार्टी की प्रदेश इकाई की विशेष बैठक को संबोधित करते हुये उन्होने 2027 में होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारी में सभी कैडरों को पूरे तन, मन, धन के साथ लग जाने की अपील की और पार्टी संगठन के गठन को लेकर शेष बचे कार्यों को अविलम्ब पूरा करने के निर्देश दिये। बैठक में उत्तराखण्ड स्टेट के पार्टी पदाधिकारी भी शामिल रहे।
उन्होने कहा कि सपा सरकार में उपेक्षित रहे बसपा सरकार द्वारा लखनऊ में निर्मित भव्य स्थल, स्मारक,पार्क से टिकट की बिक्री से प्राप्त धन को उन्हीं स्मारकों के रख-रखाव पर खर्च करने की मांग मान लेने पर प्रदेश की वर्तमान सरकार का आभार प्रकट करने की बसपा की राजनीतिक ईमानदारी भी विरोधियों को अच्छा नहीं लगना स्वाभाविक है, क्योंकि उनके चरित्र में स्वस्थ्य राजनीतिक ईमानदारी का साहस नहीं है।
बसपा अध्यक्ष ने सपा अध्यक्ष के एक अन्य आरोप का भी जवाब देते हुये कहा कि नौ अक्टूबर को कांशीराम जी के परिनिर्वाण दिवस के अवसर पर महा-आयोजन में पार्टी के लोग प्राइवेट बसों व ट्रेनों पर अपना खर्च करके तथा अपने खुद के छोटे-मोटे साधनों से व पैदल भी चलकर आये थे तो फिर सरकारी बसें बीच में कहां से आ गई है, जिनका कुछ विरोधी लोग खिसियानी बिल्ली खम्बा नौचे की तरह, अनाप-सनाप व बेतुकी बातें कर रहें है, तो उनमें रत्ती भर भी कोई सच्चाई व दम नहीं है।
उन्होने कहा कि अगर सपा सरकार ने अपने कार्यकाल में बसपा सरकार द्वारा बहुजन समाज में जन्मे महान संतों, गुरुओं व महापुरुषों के आदर-सम्मान में बनाये गये नये जिले, यूनिवर्सिटी, कालेज, अस्पताल व अन्य संस्थानों आदि के अधिकांशः नाम बदलने के साथ-साथ, इन वर्गों के आरक्षण की तरह ही, विभिन्न जनकल्याणकारी योजनाओं को निष्क्रिय व निष्प्रभावी नहीं किया होता तो उनका नाम दो जून 1995 की स्टेट गेस्ट हाऊस काण्ड की तरह ही, इतिहास के काले पन्नों में दर्ज होने से बच सकता था, लेकिन अभी भी इसका पछतावा व पश्चाताप नहीं होना राजनीतिक द्वेष, छलावा व बेईमानी नहीं तो और क्या है।
बसपा सुप्रीमो ने कहा कि साम, दाम, दण्ड, भेद जैसे हथकण्डों के साथ-साथ अन्दरुनी मिलीभगत आदि के लिए किसी स्तर तक गिर जाना बसपा का स्वाभाव नहीं है, बल्कि बसपा की राजनीति खुली किताब व पूरे तौर से पाक-साफ है तथा नीले आसमान के नीचे खुल कर समर्थन या विरोध की ‘सर्वजन हिताय व सर्वजन सुखाय’ की राजनीति पसंद है, जो कि जग-ज़ाहिर है।
मायावती ने कहा कि बसपा दूसरी पार्टियों की तरह बड़े-बड़े पूंजीपतियों व धन्नासेठों के सहारे व इशारे पर चलने वाली केवल लाभ के पूंजीवादी स्वभाव वाली पार्टी नहीं है, बल्कि जनकल्याणकारी सोच की एकमात्र अम्बेडकरवादी पार्टी होने के नाते यहाँ सर्वसमाज के करोड़ों ग़रीबों में से ख़ासकर दलितों, आदिवासियों, पिछड़ों, मुस्लिम व अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों के हित व कल्याण तथा उनके जान-माल व मज़हब आदि की सुरक्षा का संवैधानिक हक दिलाने के लिए ईमानदार के साथ समर्पित है।
उन्होने कहा कि बसपा इन्हीं करोड़ों ग़रीबों, शोषितों-पीड़ितों के ख़ून पसीने के सहयोग के बल पर चलने वाली पार्टी है और बसपा की चार बार रही सरकार में व्यापक जनहित व जनकल्याण के बड़े-बड़े कार्य, दूसरी पार्टियों की तरह, वोट के राजनीतिक स्वार्थ की खातिर नहीं बल्कि पूरे सेवा, समर्पण भाव व ईमानदारी के साथ जन व देशहित में किये गये है। सुश्री मायावती ने कहा कि बसपा की सर्वजन हितैषी आत्म-सम्मान व स्वाभिमान की राजनीति की मजबूती के लिये लोग 15 जनवरी को उनके जन्मदिन पर आर्थिक सहयोग की परंपरा को जारी रखें।





