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वन्दे गौ मातरम: गोवंश संरक्षण से बढ़ रही अर्थव्यवस्था

मृत्युंजय दीक्षित


सनातन के ध्वज वाहक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री, “वन्दे गौ मातरम” भाव का अनुसरण करते हुए वर्ष 2017 में सरकार बनने के बाद से ही गोवंश संरक्षण पर विशेष ध्यान दे रहे हैं जिसका परिणाम अब स्पष्ट दिखाई देने लगा है। गोवंश के माध्यम से अर्थव्यवस्था को भी बल मिल रहा है। योगी सरकार का पहला बड़ा कदम अवैध बूचड़खानों को बंद करके उनका जीवन संरक्षण था। इसके पश्चात गौ को ग्रामीण अर्थव्यवस्था का आधार बनाकर युवाओ और महिलाओ के लिए रोजगार के नए अवसर उत्पन्न किए गए। सरकार की योजनाओं से अब गोशालाएं भी आत्मनिर्भर हो रही हैं तथा गौ माता किसानों की आय भी दोगुनी करने में भी सहयोग दे रही हैं। वर्ष 2017 से पूर्व गोवंश की स्थिति ही एकदम उलट थी, प्रदेश में गोवंश संरक्षण के लिए सरकारी स्तर पर कोई योजना नहीं थी। गौमाता और गौवंश को कसाईयों के हाथों बेचा जाता था, अवैध बूचड़खानों में उनका रक्त बहता था और वह दर्द से कराहती रहती थीं। वर्तमान योगी सरकार गोवंश संरक्षण के लिए संकल्पनवान है क्योंकि न केवल प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ वरन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी गौ भक्त हैं।

पूर्व की सपा सरकार के दौर में प्रदेश में केवल 100 गो आश्रयस्थल थे और पशु टीकाकरण अभियान भी अत्यंत सीमित था। अब योगी जी की अगुआई वाले उत्तर प्रदेश में 717 गो आश्रय स्थल हैं जिनमें 12.52 लाख गोवंश संरक्षित हैं। इनके भरण- पोषण के लिए सरकार प्रतिदिन 50 रुपए प्रति गोवंश के हिसाब से 7.5 करोड़ रुपए खर्च कर रही है। 2017 से पूर्व डेयरी मिशन का कोई अस्तित्व ही नहीं था, योगी सरकार आने के बाद युवाओं के लिए पशुपालन और डेयरी सेक्टर में अवसरों के नए द्वार खुले हैं। गो आधारित ग्रामीण अर्थव्यवस्था का यूपी माडल अब देशभर के लिए अनुकरणीय सिद्ध हो रहा है। सरकार स्वदेशी गौसंवर्धन, नस्ल सुधार और कृत्रिम गर्भाधान पर ध्यान केन्द्रित कर रही है। पहली बार कृषक और पशुपालक परिवारों को एक-एक गाय व 1500 रुपए प्रतिमाह दिए जाने की व्यवस्था की गई है। नंदिनी कृषक समृद्धि योजना के अंतर्गत 25 दुधारू गोवंश की इकाइयां स्थापित कर 50 प्रतिशत महिलाओं को लाभान्वित किया गया है।

प्रदेश में पहली बार व्यापक पशु टीकाकरण अभियान चलाया जा रहा है और अब तक 14.50 करोड़ से अधिक पशुओं का टीककारण लम्पी रोग से बचाव और नियंत्रण के लिए किया जा चुका है। आठ वर्षो में 2022 पशु चिकित्सालयों के अतिरक्ति 39 नए चिकित्सालय और 2,575 पशु सेवा केंद्र स्थापित किये गये हैं। सड़क दुर्घटनाओें आदि से चोटिल गोवंश व बीमारी से ग्रस्त गोवंश की सुरक्षा के लिए पहली बार 520 मोबाइल वेटनरी यूनिट्स ने 15.93 लाख पशु पालकों के 32.34 लाख पशुओं को चिकित्सा सुविधा प्रदान की है। सड़क दुर्घटना में गोवंश के बचाव हेतु रेडियम बेल्ट लगाने की प्रक्रिया आरम्भ हुई।यूपी देश का ऐसा पहला राज्य बना जहां निःशुल्क पशु चिकित्सकीय सहायता हेतु टोल फ्री नंबर1962 उपलब्ध है।

उपरोक्त प्रयासों से प्रदेश में गोवंश की मृत्यु दर देश में सबसे कम हो गई है। गोवंश के कृत्रिम गर्भाधान को बढ़ावा देने के लिए 3.08 लाख गर्भाधान निःशुल्क किये गये। प्रदेश में पहली बार चारा नीति को व्यवस्थित किया गया और 230 हेक्टेयर भूमि पर नेपियर घास का उत्पादन शुरू हुआ जिसके अंतर्गत 1.73 लाख क्विंटल चारा उत्पादन का लक्ष्य रखा गया।प्रदेश में 1372.35 क्विंटल उन्नत चारा बीज का निःशुल्क वितरण किया गया है। पशुधन बीमा योजना में 1.60 लाख पशुओं का बीमा किया जा चुका है।मुख्यमंत्री स्वदेशी गो सवंर्धन योजना और नंदिनी कृषक समृद्धि योजना के अंतर्गत स्वदेशी नस्लों जैसे साहीवाल , गिर और थारपारकर के पालन को प्रोत्साहन दिया जा रहा है।इन सभी येजनाओं में 40 से 50 प्रतिशत अनुदान ओैर 10 से 15 हजार रुपए का पुरस्कार डीबीटी के माध्यम से 6500 से अधिक गौपालको को दिया गया है।

प्रदेश में दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए उत्तर प्रदेश दुग्धशाला विकास और उत्पाद प्रोत्साहन नीति लागू की गई है। दुग्ध संघों के सृदृढ़ीकरण हेतु 220 समितियों का गठन और 450 समितियों का पुर्नगठन किया गया। प्रदेश को दुग्ध उत्पादन में अग्रणी बनाये रखने के लिए 1,000 करोड़ की लागत से नंद बाबा दुग्ध मिशन प्रारंभ हुआ। मेरठ में 4 लाख लीटर प्रतिदिन दुग्ध उत्पादन क्षमता का नवीन ग्रीन फील्ड प्लांट पूर्ण हो चुका है। प्रदेश सरकार के अथक प्रयत्नों से देश के कुल दुग्ध उत्पादन में यूपी की हिस्सेदारी 16.21 प्रतिशत हो चुकी है।

गोबर और गोमूत्र बना ग्रामीण अर्थव्यवस्था का आधार- उत्तर प्रदेश ने गोवंश संरक्षण को एक सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक क्रांति में तो बदला ही है साथ ही इसके माध्यम से पर्यावरण संरक्षण को भी बढ़ावा देने का अभिनव प्रयास किया जा रहा है। अब गोशालाओं में गोपाष्टमी की धूम रहती है। प्रदेश की गोशालाओं को सजाया संवारा जाता है। गोबर और गोमूत्र आधारित उत्पादों ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त किया है। पशुपालकों के लिए गोबर व गो -मूत्र को आय का साधन बनाया है। गो आश्रयस्थलों को स्वावलंबी बनाने हेतु गो उत्पाद जैसे गोबर पेंट, गोबर के लट्ठे, राख व मूर्तियों आदि का निर्माण हो रहा है। गो उत्पाद पंचगव्य का निर्माण हो रहा है जो स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभकारी है ।इससे किसानों व ग्रामीण महिलाओं की आय में प्रत्यक्ष वृद्धि हो रही है।वर्मी कम्पोस्ट, गमले, गो दीपक, गोकाष्ठ, धूपबत्ती, जीवामृत और घनामृत जैसे उत्पादों का प्राथमिकता के आधार पर निर्मांण व बिक्री का प्रबंध किया जा रहा है जिससे ग्रामीण युवाओं व महिलाओं की आर्थिकी मजबूत हो रही है।

प्रदेश की गोशालाएं अब पर्यावरण संरक्षण का भी केंद्र बन रही है। प्रदेश सरकार ने गोपाल वनों की स्थापना करने का निर्णय लिया है । इस मानसून में प्रदेश की सभी गोशालाओं में गोपाल वन स्थापित करने का अभियान चलाया गया। योगी सरकार यूपी के ग्रामीण क्षेत्रों को आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से एक अभिनव योजना भी प्रारंभ करने जा रही है जिसके अंतर्गत किसान एक से चार गोवंश को गोद ले सकेंगे। इससे गोवंश के संरक्षण के साथ ही गो आधरित अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी। योजना के अंतर्गत जिन किसानों को गोवंश मिलेगा उनके आवासीय परिसर में ही मनरेगा के अंतर्गत व्यक्तिगत कैटल शेड बनाए जएंगे। वहीं छोटी बायोगैस यूनिट भी लगाई जाएगी। महिला स्वयं सहयता समूहों और नवयुवकों को इसमें विशेष रूप से अवसर दिया जायेगा। इस योजना को एकीकृत ग्रामीण विकास मॉडल के रूप में स्थापित किया जा रहा है, जिसमें गोवंश संरक्षण, जैविक खेती, ऊर्जा उत्पादन और सामाजिक स्वावलंबन जैसे पक्ष सम्मिलित हैं।

यद्यपि प्रदेश सरकार गोवंश को संरक्षित व विकसित करने के लिए संकल्पवान है तथा प्रदेश में गोवध काफी हद तक थमा है किंतु अभी भी स्थानीय कारकों की वजह से व चोरी छिपे गोवध व गो तस्करी जारी है। प्रदेश में आए दिन गो तस्करों की पुलिस से मुठभेड़ हो रही है। 2017 के पहले ही अपेक्षा अब प्रदेश पुलिस गोवध व तस्करी की घटनाओं की गंभीरता से पड़ताल कर रही है और अपराधियों को न्याय के कठघरे में ले जाने का प्रयास कर रही है।

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