स्थानान्तरण नीति से लटकी फाइलों ने पकड़ी रफ्तार
लखनऊ। लखनऊ विकास प्राधिकरण (एलडीए) में स्थानान्तरण नीति के कारण जून माह में हटाये गये बाबूओं, छोटे व बड़े अधिकारियों से लम्बे समय से लटकी पड़ी फाइलों ने रफ्तार पकड़ ली है। इससे एलडीए में अपने कार्य के लिए दौड़ने वाले लोगों ने राहत की सांस ली है।
एलडीए के मुख्य अभियंता इंदु शेखर सिंह के पद से हटने के बाद प्राधिकरण भवन में दूसरा दिन चर्चाओं से भरा रहा। प्राधिकरण की नई बिल्डिंग के तमाम मंजिल पर बैठने वाले अधिकारियों के बीच इंदु शेखर सिंह के चले जाने की कहानियां जोर-शोर से चलीं, जो जहां पर बैठा था, आज दिनभर यही चर्चा करता हुआ मिला।
मुख्य अभियंता के पद पर रहे इंदु शेखर सिंह के प्रभाव से भी कई फाइलें रुकी थीं। मुख्य अभियंता के हटते ही फाइलों ने रफ्तार पकड़ ली है और वरिष्ठ अधिकारियों तक इसकी जानकारी पहुंच गई है। वैसे तीन वर्ष से ज्यादा समय से अपनी कुर्सी पर जमे हुए 116 लिपिकों को जून माह में उनके स्थान से दूसरे स्थान किया गया, तब भी सैकड़ों की संख्या में रुकी फाइलें तेजी से आगे बढ़ी हैं।
बाबू के प्रभाव में भी फाइलें दबायी जाती रही हैं और इससे प्राधिकरण में अपने काम लेकर आने वाले लोगों को खासा दिक्कतें उठानी पड़ती हैं। जोन छह के अंतर्गत दो दर्जन से अधिक फाइलें प्रभावित थीं, जिसको रफ्तार मिली है। जोन एक और तीन में फाइलों पर कार्यवाही ने तेजी पकड़ी है। मानचित्र विभाग, नजूल, व्यावसायिक भूखण्ड के तहत हटाए गए बाबुओं के नीचे बहुत सारी फाइलों ने दम तोड़ दिया था, जिन पर एक बार फिर से काम शुरू हो गया है।
बता दें कि एलडीए की पुरानी बिल्डिंग जहां से पूरे प्राधिकरण का संचालन होता है। वहां पहली एवं दूसरी मंजिल पर भी कई बाबू ऐसे रहे हैं, जिनके नाम भी गड़बड़ी के कारण चर्चाओं में आ जाते हैं। प्राधिकरण के बाबुओं के कारनामे वर्षभर चर्चा में रहते हैं और कारनामों के खुलने पर उस पर कार्यवाही भी होती रही है।