पंजाब के सीएम चरणजीत सिंह चन्नी का एक विडियो वायरल हो रहा है जिसमें वो पंजाब के मतदाताओं से अपील कर रहे हैं कि यूपी-बिहार के भैया को पंजाब में न घुसने दें. बगल में खड़ी कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी भी पंजाब के सीएम के इस महान बयान पर खुश होकर ताली बजातीं नजर आ रही हैं. यह हो सकता है कि सीएम चन्नी की मंशा यूपी और बिहार वालों को बेइज्जत करने की न रही हो. इसके साथ ही उनके व्यक्तित्व में ऐसी बात दिखती भी नहीं है कि वो किसी का अपमान करने की चाहत रखते हों. पर इतना तो तय है कि देश भर के दूसरे नेताओं की तरह उनकी आंखों में भी यूपी-बिहार वाले खटकते जरूर होंगे, इसलिए जबान पर बात आ गई.
दरअसल इसके पहले भी दक्षिण से लेकर उत्तर भारत तक के नेताओं के निशाने पर यूपी बिहार के लोग आते रहे हैं. हमारे देश के कई हिस्सों के नेताओं ने पिछले कई सालों में कभी बेरोजगारी, कभी गंदगी तो कभी हॉस्पिटल के बेडों की कमी की समस्या के लिए आसान निशाना बनाया है यूपी और बिहारी समुदाय को. सवाल यह उठता है कि क्या इसका कारण गरीबी और पिछड़ापन है तो इसका उत्तर है शायद नहीं. क्योंकि गरीबी और पिछड़ापन ही अगर टार्गेट होने का कारण होता तो उड़ीसा, बंगाल जैसे कई राज्यों में यूपी और बिहार जैसी ही गरीबी है. राजस्थान और मध्यप्रदेश की तस्वीर भी यूपी और बिहार जैसी ही है. पर इन प्रदेशों के लोगों को कभी आसान निशाना बनते नहीं देखा गया है. दरअसल यूपी-बिहार का राजनीतिक रूप से समृद्ध होना और यहां के लोगों में जन्मजात नेतृत्व गुण हमेशा से दूसरे प्रदेश वालों की आंख में खटकता रहा है.
यूपी-बिहार के नेता कभी किसी राज्य के बारे में बोल के तो देखें
जरा सोचिए कि यूपी या बिहार के किसी मंत्री ने तमिल या मराठी या पंजाबी समुदाय के बारे में कोई ऐसी बात कही होती तो अब तक क्या होता? पुतले फूंके जाते, सरकारी संपत्तियां आग के हवाले होतीं, यूपी और बिहार के लोगों पर हमले होते. दरअसल यूपी और बिहारी समुदाय इस तरह की बातों को तवज्जों नहीं देता इसलिए ही बार-बार टार्गेट होता है? चन्नी से पहले भी कई नेताओं ने संवैधानिक पदों पर रहते हुए इस तरह की डेरोगेटरी बातें कहीं हैं पर कभी भी उनका विरोध इस लेवल पर नहीं हुआ कि आगे से कोई बोलने की हिम्मत ही नहीं करे.
दूसरे किसी राज्य के बारे में अगर यूपी या बिहार के किसी नेता ने बोलने की हिमाकत की होती तो अब तक ऐसा बयान देने वाले मंत्री से इस्तीफे की डिमांड हो गई होती. आश्चर्य नहीं होना चाहिए कि अभी तक यूपी और बिहार के किसी बड़े नेता ने चन्नी के इस बयान पर ऐतराज भी जताया हो. यूपी और बिहार के नेता तभी बोलेंगे जब पत्रकार पंजाब के इस वाकये पर वर्जन लेने पहुंचेंगे. वह भी बचते बचाते. शायद यही कारण है कि देश भर में आए दिन यूपी बिहार के लोगों के बारे में कोई भी कुछ बोलने की हिम्मत कर लेता है.
बार-बार निशाना बनता रहा है यूपी-बिहार
महाराष्ट्र से शुरू हुआ बिहारी समुदाय के प्रति नफरत भरे बयानों वाली राजनीति धीरे-धीरे पूरे देश में फैल रही है. शिवसेना और उसके बाद बनी महाराष्ट्र नव निर्माण सेना की राजनीति का आधार ही उत्तर भारतीयों और दक्षिण भारतीयों का विरोध रहा है. बिहारी समुदाय के लिए यहां कई बार गलत बयानी की गई है. बिहारी अपने साथ बीमारी और लड़ाई लेकर आते हैं, एक बिहारी सौ बीमारी जैसी बातें कहकर बार-बार अपमानित किया गया. मूल कारण यही रहा कि बिहारी मराठियों का रोजगार हड़प रहे हैं. जबकि बिहारी मजदूर नहीं रहते तो मुंबई देश की आर्थिक राजधानी नहीं बनती.
दिल्ली में एक बार तत्कालीन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने यह कह कर बिहारी समुदाय का तिरस्कार किया था कि यूपी बिहार से होने वाले पलायन के कारण दिल्ली के इनफ्रास्ट्रक्चर पर भारी दबाव है. एक बार वर्तमान मुख्यमंत्री केजरीवाल ने भी बिहारी समुदाय पर टिप्पणी करने का दुस्साहस दिखाया था. उन्होंने एक बार कहा था कि बिहार का एक आदमी 500 रुपये का टिकट लेकर ट्रेन से दिल्ली आता है और 5 लाख का इलाज फ्री में करवाकर चला जाता है.
आईआईटी की तैयारी करने के लिए यूपी-बिहार से बड़ी संख्या में छात्र कोटा जाते हैं. वहां छात्रों की लड़ाई जैसी छोटी सी बात पर एक बीजेपी नेता ने बिहारी समुदाय को टार्गेट पर ले लिया. इस नेता ने कहा कि बिहार के छात्र शहर का माहौल खराब कर रहे हैं, उन्हें निकाल बाहर करना चाहिए. मध्यप्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भी एक बार कहा था कि मध्यप्रदेश में बेरोजगारी का असली कारण बिहारी लोग हैं. उनका कहना था कि उत्तर प्रदेश और बिहार से लोग आते हैं और मध्यप्रदेश के लोगों को रोजगार नहीं मिल पाता है.
यूपी-बिहार से जलने के और भी कारण हैं
यूपी-बिहार का राजनैतिक इतिहास बहुत समृद्ध रहा है. प्राचीन काल से बिहार और यूपी देश का नेतृत्व करते रहे हैं. धर्म , शिक्षा, सैनिक शक्ति , मजबूत राजवंशों का इतिहास दुनिया भर को आकर्षित करती रही है. अपने समय का सबसे मशहूर विश्वविद्यालय नालंदा हो या मगध साम्राज्य दुनिया के लिए आज भी अचरज रहे हैं. सिकंदर को यहीं आकर हार माननी पड़ी थी. आज दुनिया भर में करोड़ों लोगों को रास्ता दिखा रहे गौतम बुद्ध , महावीर जैन और गुरु गोविंद सिंह की धरती बिहार में रही है. यूपी में स्थित काशी-मथुरा और अयोध्या से प्राचीन काल से ही देश के लिए खास रहा है. आजादी के बाद से देश के 90 प्रतिशत पीएम यूपी के ही रहे हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी पीएम बनने के लिए यूपी के वाराणसी में ही आना पड़ा.
यूपी देश का ग्रोथ इंजन बन रहा है तो बिहार सबसे अधिक आईएएस दे रहा है
उत्तर प्रदेश इस समय देश की जीडीपी के ग्रोथ रेट के हिसाब से दूसरे नंबर का राज्य बन चुका है. इसके साथ ही सबसे बड़े इकॉनमी वाला राज्य बनने की ओर अग्रसर है. देश में सबसे अधिक विदेशी निवेश कराने वाला राज्य भी उत्तर प्रदेश बन चुका है. बिहार के लोगों की शिक्षा पर हर कोई सवाल उठा देता है, लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि बिहार आज देश में सबसे ज्यादा IAS/IPS देने वाले राज्यों में दूसरे नंबर पर है. IAS/IPS बनने वालों में बिहारियों की संख्या आज से नहीं बहुत पहले से बढ़ रही है. 1997 से 2006 के बीच देश के 1588 IAS अधिकारियों में से 108 IPS अधिकारी बिहार से थे. वहीं 2007 से 2016 के बीच देश के कुल 1664 IAS अधिकारियों में से 125 बिहार से थे. इसी तरह से ग्रेजुएशन करने वाले स्टूडेंट्स में भी बिहार की स्थिति और राज्यों के मुकाबले काफी बेहतर है.