महाराष्ट्र की महाविकास आघाडी सरकार में मतभेद साफ दिखाई दे रहा है. पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा संसद में दिए गए भाषण से महाराष्ट्र के कथित अपमान के खिलाफ कांग्रेस राज्य भर में आंदोलन कर रही है. इसी कार्यक्रम के तहत सोमवार को विपक्षी नेता देवेंद्र फडणवीस के मुंबई स्थित सागर बंगले के बाहर कांग्रेस द्वारा आंदोलन और प्रदर्शन करने का आह्वान किया गया था. यह आह्वान कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष नाना पटोले की ओर से किया गया था. लेकिन सुबह थोड़ी ही देर बाद उन्हें यह आंदोलन स्थगित करना पड़ा. दरअसल पुलिस ने देवेंद्र फडणवीस के घर की ओर जाने वाले दोनों रास्ते बंद कर दिए. महाराष्ट्र में गृह विभाग एनसीपी के खाते में है. गृहमंत्री दिलीप वलसे पाटील हैं. शाम तक एनसीपी प्रवक्ता नवाब मलिक की नाराजगी भी सामने आ गई. नवाब मलिक ने कांग्रेस के प्रोटेस्ट की आलोचना की.
नवाब मलिक ने कहा, ‘नेता के घर के बाहर आंदोलन करना या किसी पार्टी के कार्यालय के बाहर आंदोलन करना उचित नहीं है. इससे अलग-अलग पार्टियों के कार्यकर्ताओं के बीच झडप की नौबत आती है. पुलिस प्रशासन पर बेवजह दबाव बढ़ता है. लोकतंत्र में विरोध और प्रदर्शन का सबको अधिकार है लेकिन इसके लिए सही जगह होनी चाहिए, अनुमति लेनी चाहिए.’
कांग्रेस के अंदर भी हैं फूट और मतभेद, बीजेपी दिख रही मजबूत और एक
सवाल सिर्फ महाविकास आघाडी में मतभेद का नहीं है. कांग्रेस में अंदरुनी मतभेद का भी है. रविवार को नाना पटोले ने अपने आह्वान में यह स्पष्ट किया था कि मुंबई में कांग्रेस के प्रदर्शन का नेतृत्व मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष भाई जगताप करेंगे. लेकिन महाराष्ट्र प्रदेशाध्यक्ष की बातों को मुंबई प्रदेशाध्यक्ष ने कितनी गंभीरता से लिया, इसी बात से पता चलता है कि मुंबई कांग्रेस के कार्यकर्ता सड़कों पर उतरे ही नहीं. गिने-चुने कांग्रेस के कार्यकर्ताओं से निपटने के लिए बीजेपी की पूरी फौज सड़कों पर उतरी थी. नाना पटोले के घर के बाहर बीजेपी कार्यकर्ताओं द्वारा विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व मुंबई बीजेपी के अध्यक्ष मंगल प्रभात लोढा़ कर रहे थे. कांग्रेस को जवाब देने के लिए बीजेपी के प्रसाद लाढ, आशिष शेलार, कृपाशंकर सिंह, राजहंस सिंह, मनोज कोटक जैसे नेता देवेंद्र फडणवीस के घर पहुंच गए थे.
आघाडी में अलग-थलग होने की बात समझ आती है, कांग्रेस में ही नाना की क्यों नहीं चल पाती है?
यह बात कोई ढंकी छुपी नहीं रह गई है कि महाविकास आघाडी सरकार में एनसीपी और शिवसेना मिलकर कई फैसले ले लिया करती हैं और कांग्रेस से राय तक नहीं ली जाती है. काफी समय से कांग्रेस के कई सीनियर नेता इन बातों को दोहरा चुके हैं. यही वजह है कि कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष नाना पटोले भी ‘एकला चलो रे’ का राग अलापते रहे हैं. शिवसेना और एनसीपी नेता कांग्रेस को जब चर्चाओं में शामिल करते भी हैं तो अपनी सुविधा के हिसाब से वे बालासाहेब थोरात से बात करते हैं. थोरात इन दोनों से सुर मिला कर चलते हैं.
एनसीपी और शिवसेना कांग्रेस को हाशिये में धकेलना चाहेंगी, यह बात तो समझ आती है, लेकिन सवाल यह है कि अपनी ही पार्टी में नाना की कितनी चल पाती है? और क्यों नहीं चल पाती है? मुंबई कांग्रेस और महाराष्ट्र कांग्रेस के सुर अलग लग रहे हैं. क्यों ना लगें? बिना कारण बताए नाना पटोले ने कांग्रेस प्रवक्ता सचिन सावंत को हटा दिया अपने करीबी अतुल लोंढे को प्रवक्ता बना दिया. यह बात बीजेपी विधायक आशिष शेलार ने सोमवार को पत्रकारों से बातचीत में कही.
बीजेपी के बाद कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी, एक विपक्ष में है तो दूसरी किनारे लगाई जाती
कमाल की बात है कि राज्य की चौथे नंबर की पार्टी शिवसेना से राज्य के सीएम चुने गए हैं, तीसरे नंबर की पार्टी एनसीपी के डिप्टी सीएम हैं, कांग्रेस दूसरे नंबर पर रहकर सरकार में बस शामिल है. पहले नंबर की पार्टी बीजेपी सरकार से बाहर है. कांग्रेस अगर चुपचाप एनसीपी और शिवसेना के साथ हां में हां मिलाती रही तो राज्य में धीरे-धीरे हाशिये पर चली जाएगी. इसलिए आक्रामक कहे जाने वाले प्रदेशाध्यक्ष नाना पटोले आंदोलन-प्रदर्शन-धरना वगैरह करके पार्टी को जीवंत बनाए रखने और अलग पहचान बनाए रखने की कोशिशों में लगे रहते हैं. दूसरी तरफ खास तौर से शरद पवार की पार्टी एनसीपी कांग्रेस को निगल जाने के मूड में लगी रहती है. इस पृष्ठभूमि में सोमवार को एक बार फिर सीएम उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महाविकास आघाडी सरकार में मतभेद साफ दिखाई दे गया.