लखनऊ विश्वविद्यालय ने नागरिकता की पहचान का बनाया नया यंत्र, जानें क्या है खासियत

लखनऊ: आधार की जरूरत हमारी नगरिकता की पहचान के लिए के साथ-साथ कई और कामों में भी होती है. बैंक संबंधी कामों में, किसी सरकारी योजना के लाभ के लिए और भी कई कामों में आधार का इस्तेमाल किया जाता है. लेकिन अब आधार के अलावा हमारी नागरिकता की पहचान के लिए राष्ट्रीय पहचान कोड (एनआइसी) सिस्टम विकसित किया गया है. यह कोड लखनऊ विश्वविद्यालय के कामर्स विभाग के वरिष्ठ प्रोफेसर सोमेश शुक्ला व उनकी टीम ने पहचान के लिए विकसित किया है.
क्या है इस राष्ट्रीय पहचान कोड (एनआइसी) सिस्टम की खासियत
इस कोड में दोनों हाथ की सबसे छोटी उंगली (बांए एवं दांए हाथ की तर्जनी) की नस को डिवाइस में टच करके सारी जानकारी आपके सामने होगी. इसके लिए एक यूनिक नंबर दिया जाएगा. यह नंबर गाडियों, ड्राइविंग लाइसेंस, इन्श्योरेंस समेत कई और कामों के उपयोग में आएगा.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेजा गया है प्रारूप
फिलहाल इस नए सिस्टम का प्रोटोटाइप (सैंपल) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेजा गया है. यहां से अनुमति मिलने के बाद ही इस प्रकिया को आगे काम में लाया जाएगा. विश्वविद्यालय में स्थापित भावराऊ देवरस शोध पीठ के निदेशक एवं कामर्स विभाग के शिक्षक प्रो. सोमेश शुक्ला ने जानकारी देते हुए बताया कि अभी इस पहचान कार्ड को देश में सिर्फ लोगों की नागरिकता की पहचान के लिए बनाया है. अभी एनआइसी प्रणाली (राष्ट्रीय सूचना-विज्ञान केन्द्र) विकसित की गई है. जिसमें पर्सनल जानकारी के साथ-साथ, सरकारी रिकॉर्ड में भी इसकी जानकारी रखी जाएगी. सरकार इस सूचना का उपयोग विभिन्न क्षेत्रों में नागरिकों को सुरक्षित सेवाएं देने के लिए करेगी. इस सिस्टम में कोई फर्जी डाटा नहीं बनाया जा सकता.
लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रो. शुक्ला का कहना है कि अगर सरकार इसे लागू करने की अनुमति देती है, तो इसका उपयोग हर किसी के लिए विभिन्न क्षेत्रों में सेवाओं को एकीकृत करने में किया जा सकेगा. आप इसमें अपना डाटा खुद ही भर सकेंगे. प्रो. शुक्ला के मुताबिक इस विकसित प्रणाली का कॉपीराईट उनकी टीम के ही पास है. इस टीम में ख्वाजा मुइनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफेसर डा. सुमन मिश्रा और शकुंतला मिश्रा विश्वविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफेसर शोभित शुक्ला हैं.
स्वास्थ्य संबंधी मेडिकल का रिकॉर्ड भी है शामिल
इसमें आपका स्वास्थ्य संबंधी मेडिकल का रिकॉर्ड भी शामिल होगा है. अगर भविष्य में कोई दुर्घटना होती है तो इस एनआइसी के यूनिक नंबर से उसका पिछला रिकॉर्ड पता चल जाएगा और इलाज में आसानी होगी.