उत्तर प्रदेशलखनऊ

‘मैं आदित्यनाथ योगी ईश्वर की शपथ लेता हूं’; इस लाइन के साथ ही टूट जाएंगे ये बड़े मिथक

उत्तर प्रदेश में योगी सरकार-2.0 की शुरुआत होने जा रही. आज लखनऊ के इकाना स्टेडियम में योगी आदित्यनाथ अपने मंत्रिमंडल के साथ शपथ लेने जा रहे हैं. वहीं योगी आदित्यनाथ के दोबारा मुख्यमंंत्री बनते ही उत्तर प्रदेश में दशकों से चले आ रहे कई मिथक भी टूटेंगे. दरअसल 2017 में मुख्यमंत्री पद संभालने के बाद योगी आदित्यनाथ कई बार मिथकों से अलग हटकर अपना काम करते नजर आए. साथ ही सार्वजनिक मंचों से भी उन्होंने कई बार इन मिथकों को न मानने की बात भी कही.

मिथक1- जो सीएम नोएडा गया, उसकी कुर्सी छिन गई

नोएडा (Noida Myths) को लेकर उत्तर प्रदेश की सियासत में एक अंधविश्वास पिछले 35 सालों से चलता रहा है कि जो भी मुख्यमंत्री यहां आता है उसकी कुर्सी चली जाती है और दोबारा उस पार्टी की सरकार भी नहीं बनती. वहीं दूसरी तरफ सीएम योगी (CM Yogi) ने इस मिथक को तोड़ते हुए 2017 में मुख्यमंत्री बनने के साथ ही 16 महीने में 75 जिलों का दौरा कर डाला. कुछ जिलों में तो वो कई-कई बार गए. 16 महीनों में चार बार नोएडा भी आए थे.

कैसे बना मिथक

दरअसल नोयडा का यह मिथक 1988 में जब तत्‍कालीन मुख्यमंत्री वीर बहादुर सिंह नोएडा आए और अगला चुनाव हार गए. इसके बाद एनडी तिवारी सीएम बने. वहीं 1989 में उन्होंने नोएडा में नेहरू पार्क उद्घाटन किया और कुछ और कुछ दिन बाद ही सीएम की कुर्सी चली गई. इसके बाद कल्‍याण सिंह और मुलायम सिंह यादव के साथ भी ऐसा ही हुआ. लगातार ऐसी घटनाओं ने यूपी की सियासत में नोयडा का खौफ पैदा कर दिया. मायावती ने भी नोएडा में पार्क बनवाया और दोबारा सत्ता में नहीं आईं.

सीएम रहते हुए अखिलेश यादव नहीं आए नोयडा

नोएडा मिथक के कारण ही अखिलेश यादव  सीएम रहते यहां कभी दौरे पर नहीं आए. हालांकि इसके बावजूद भी 2017 में उनकी पार्टी को हार का सामना करना पड़ा. अखिलेश यादव ने चुनाव के दौरान सार्वजनिक मंच से यह माना भी कि वह इस मिथक की वजह से ही नोयडी नहीं गए. उन्होंने यह भी कहा था कि सीएम योगी नोयडा गए इसलिए भाजपा की सरकार इस बार नहीं बन रही है. हालांकि भनकी बात गलत साबित हो गई और भाजपा ने बहुमत हासिल किया बल्कि योगी फिर मुख्यमंत्री (CM Yogi) बन गए.

मिथक 2- पितृपक्ष में कराई मंत्रियों की शपथ

हिंदू धर्म में ऐसी मान्यता है कि किसी भी नए काम की शुरुआत पितृपक्ष से नहीं की जाती है. कोई भी शुभ कार्य हिंदुओं में पितृपक्ष में करना प्रतिबंधित होता है. लेकिन योगी आदित्यनाथ ने एक महंत होते हुए भी इस मिथक को भी तोड़ा और अपने नए मंत्रियों को पितृपक्ष में शपथ दिलाई.

मिथक 3- सर्किट हाउस में रुकने पर कुर्सी जाने का डर

योगी आदित्यनाथ के सीएम बनते ही आगरा का भी एक बड़ा मिथक टूट गया. दरअसल कहा जाता हा कि जो भी मुख्यमंत्री यहां रुकता है, उसकी कुर्सी चली जाती है. सीएम की कुर्सी जाने के डर से न तो मायावती और न ही अखिलेश यादव यहां के सर्किट हाउस में कभी रुके. वहीं जनवरी 2018 में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आगरा के सर्किट हाउस में रुके, जिसकी चर्चा पूरे प्रदेश में हुई. 16 साल के बाद ऐसा हुआ था कि कोई मुख्यमंत्री आगरा के सर्किट हाउस में रुका था.

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