डा.सूर्यकान्त ने प्रधानमंत्री को लिखा पत्र, तम्बाकू पर लगे प्रतिबन्ध
लखनऊ। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के रेस्परेटरी मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष डाॅ.सूर्यकान्त ने पत्र लिखकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को आठ वर्ष के कार्यकाल पूर्ण होने की बधाई दी है और तम्बाकू पर पूर्ण प्रतिबन्ध लगाने की मांग की है।डाॅ.सूर्यकान्त ने पत्र में लिखा है कि 16वीं शताब्दी में अकबर के शासनकाल में पुर्तगाली पहली बार तम्बाकू लेकर भारत आए थे।
जहांगीर के शासनकाल में इसके उपभोग को नियंत्रित करने के लिए इस पर भारी मात्रा में कर लगाये गये लेकिन सदियां बीत गयीं, तम्बाकू व्यापार और उपभोग पर लेश मात्र भी अंकुश नहीं लग पाया। तम्बाकू के धुएं से 7000 हानिकारक रासायनिक पदार्थ निकलते हैं, जिनमें निकोटीन और टार प्रमुख हैं। इसके धुएं में लगभग 150 ऐसे तत्व पाये जाते हैं जो कि कैंसर के कारक हैं। इससे 40 तरह के कैंसर हो सकते हैं। बीड़ी, सिगरेट व तम्बाकू से कैंसर के अतिरिक्त 25 तरह की अन्य बीमारियाँ भी हो सकती हैं।
बीड़ी या सिगरेट का धुआं उसको पीने वाले के फेफडे़ में 30 प्रतिशत जाता है व आस-पास के वातावरण में 70 प्रतिशत रह जाता है। इससे परिवार के लोग और उसके मित्र प्रभावित होते हैं, इसे हम परोक्ष धूम्रपान कहते हैं। इस परोक्ष धूम्रपान से यदि गर्भवती प्रभावित होती है तो गर्भ में पल रहे शिशु का विकास रुक सकता है तथा गर्भ के अन्दर शिशु की मृत्यु भी हो सकती है। विश्व भर में होने वाली मृत्यु में 50 प्रतिशत मौत का कारण तम्बाकू व धूम्रपान है।
इस वर्ष ”विश्व तम्बाकू निषेध दिवस” 31 मई को मनाया गया। इस वर्ष की थीम “तम्बाकूः पर्यावरण के लिए खतरा“ है। आंकड़ों के अनुसार तम्बाकू और सिगरेट बनाने के लिए एक ओर जहां 60 करोड़ पेड़ पौधे प्रतिवर्ष काट दिये जाते हैं, तो वहीं दूसरी ओर 2200 करोड़ लीटर पानी की बर्बादी होती है, जबकि इसी पानी से लगभग दो करोड़ लोगों की प्यास बुझाई जा सकती है।
इसके अलावा धूम्रपान से 84 करोड़ टन कार्बनडाई ऑक्साइड निकलती है, जिसकी वजह से ग्लोबल वार्मिग बढ़ रही है। इन्हीं सब तथ्यों एवं कारणों से प्रधानमंत्री को अवगत कराते हुए डाॅ.सूर्यकान्त ने तम्बाकू की खेती, इसका उत्पादन एवं क्रय-विक्रय पर पूर्ण प्रतिबन्ध लगाने की मांग प्रधानमंत्री से की है।