उत्तर प्रदेशलखनऊ

मझवार आरक्षण पर घड़ियाली आंसू ना बहाये समाजवादी पार्टी : डॉ संजय निषाद

  • जातिगत जनगणना होनी चाहिये, किन्तु विसंगतियों के दूर होने के बाद

लखनऊ। विधानसभा में गुरुवार को नेता प्रतिपक्ष अखिलेश यादव द्वारा जातिगत जनगणना पर निर्बल इंडियन शोषित हमारा आम दल (निषाद पार्टी) के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं मत्स्य विभाग के कैबिनेट मंत्री डॉ संजय कुमार निषाद ने पलटवार किया है। डॉ निषाद ने अखिलेश की राय पर कहा कि निषाद पार्टी का गठन ही सामाजिक समरसता के लिए किया गया है। उन्होंने कहा कि निषाद पार्टी शुरू से ही जातिगत जनगणना के पक्षधर में रही है, बस जातियों की विसंगतियों को दूर करने के बाद ही जातिगत जनगणना होनी चाहिए।

उन्होंने कहा कि पहले यह तय हो जाना चाहिए कि राष्ट्रपति द्वारा जारी सेंसस मेनुअल 1961 के आधार पर मछुआ/मझवार समाज अनुसूचित का हकदार है। किंतु पूर्व की सपा, बसपा, कांग्रेस की सरकारों ने मछुआ समाज को केवल वोट बैंक की तरह इस्तेमाल किया गया है। पूर्व की सरकारों ने अपने केवल एक वर्ग विशेष का ध्यान और उत्थान करने लिए मझवार आरक्षण के नाम पर मछुआ समाज को फुटबॉल की तरह समझकर बरगलाने का कार्य किया। आज बिहार राज्य की सरकार भी यही कर रही है।

डॉ संजय ने कहा कि बिहार सरकार को यह स्पष्ट कर देना चाहिए कि बिहार के निषाद/मछुआ समाज को अनुसूचित में गिनने का कार्य करेंगे या फिर पिछड़े वर्ग में, क्योंकि जातिगत जनगणना तभी सफल होगी जब संबंधित सभी जातियों को सेन्सस मेनुअल 1961 के आधार पर गिना जाए। उन्होंने कहा कि 1931 से लेकर 1991 तक मछुआ समाज को अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र मिलता रहा है लेकिन पूर्व की धोखेबाज सरकारों ने 1991 में मझवार के पुकारू नाम को निकालकर ओबीसी में डाल दिया। मझवार आरक्षण को परिभाषित करने का मामला है ना कि शामिल करने का है।

डॉ निषाद ने कहा कि सपा के ही राज्यसभा सांसद विशम्भर निषाद मझवार आरक्षण को सदन में उठाते हैं, तो समाजवादी के सांसद बॉयकॉट कर देते हैं। सपा, बसपा के सहयोग से 2004 से 2014 तक केंद्र सरकार चली है, दिखाने के लिए तो मझवार आरक्षण का प्रस्ताव दिल्ली भेजा जाता था लेकिन बैकडोर से वापस भी मंगवा लिया जाता था। उन्होंने कहा कि सपा जानते हुए भी की राज्य सरकार के पास अधिकार ही नहीं किसी जाति को अनुसूचित में शामिल करने का, तब भी मछुआ आरक्षण पर घड़ियाली आंसू बहाकर आरक्षण देती थी और बसपा कोर्ट से स्टे लेने का कार्य करती थी।

उन्होंने नेता प्रतिपक्ष अखिलेश यादव द्वारा मंत्री पद का कटाक्ष करने पर भी अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा निषाद पार्टी और निषाद पुत्र कभी किसी मोहमाया और लालच में नहीं फसते हैं। निषाद पुत्र अपनी जान को जोखिम में डाल कर ना जाने प्रतिदिन कितने लोगों को जीवन दान देते हैं। उन्होंने कहा कि समाज के हित के लिए मंत्री नहीं, दुनिया के सभी सुखों का त्याग करने के लिए तैयार हैं। कहा कि पहले अपने समाज को वो विकास की मुख्यधारा से जोड़ ले, फिर अखिलेश से सवाल पूछेगें की कितने निषाद पुत्रों का उन्होंने अपने 04 शासनकाल में जोड़ने का काम किया।

उन्होंने कहा कि सामाजिक हित में अखिलेश के शासनकाल में फर्जी 302 का मुकदमा लगाया गया था। 07 जून 2015 को निषाद पार्टी अपने समाज के हक हकूक के लिए रेल रोको आंदोलन कर रही थी और रेलवे पर केंद्र का अधिकार होता है राज्य सरकार का नहीं, अगर आप निषाद समाज के पक्षधर थे तो गोली चलवाने का आदेश क्यों दिया? हमारा एक भाई पुलिस फायरिंग में शहीद हो गया, उन्होंने कहा कि अखिलेश समेत सभी नेता निषाद समाज की चिंता करना छोड़ दें, उसके लिए निषाद पार्टी और डॉ संजय हैं।

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