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‘कंगना रनौत का दिमाग क्यों खराब हो जाता है, इसका पता NCB के समीर वानखेड़े ही लगा सकते हैं’, शिवसेना सांसद संजय राउत का हमला

‘कंगना बेन का सिर सुन्न हो गया है, ऐसा वरुण गांधी कहते हैं. किस कारण से वे बहरी हुई हैं, यह एनसीबी के वानखेड़े ही खोज सकते हैं! परंतु मोदी सरकार का सिर भी उसी कारण से बहरा नहीं हुआ होगा तो इस देशद्रोह के लिए कंगना बेन के सभी राष्ट्रीय पुरस्कार वे वापस लेंगे. वीरों की, स्वतंत्रता का अपमान देश कभी बर्दाश्त नहीं करेगा!’  इन शब्दों में शिवसेना सांसद संजय राउत ने कंगना रनौत और बीजेपी पर ज़ोरदार हमले किए हैं.

शिवसेना के मुखपत्र सामना के संपादकीय में लिखा गया है, ‘कंगना बेन रनौत ने एक बम फोड़ा है. इससे बीजेपी का नकली राष्ट्रवाद बिखर गया. कंगना बेन ने एलान किया है कि साल 1947 में हिंदुस्तान को आजादी नहीं मिली थी, बल्कि भीख मिली थी. देश को वास्तविक आजादी साल 2014 में मिली (मतलब मोदी के प्रधानमंत्री बनने पर). कंगना बेन के इस बयान पर देशभर में तीव्र प्रतिक्रिया सामने आई है. हिंदुस्तानी स्वतंत्रता संग्राम के क्रांतिकारियों का इतना भयंकर अपमान कभी किसी ने नहीं किया था.’

‘कंगना रनौत को पद्मश्री सम्मान, वीरों का अपमान’

सामना में लिखा गया है, ‘कंगना बेन को हाल ही में सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘पद्मश्री’ से सम्मानित किया गया. इससे पहले ये सम्मान हिंदुस्तानी स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लेनेवाले वीरों को मिला है. उन्हीं वीरों का अपमान करनेवाली कंगना बेन को भी ऐसे ही सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार से सम्मानित किया जाना, यह देश का दुर्भाग्य है. कंगना बेन ने इससे पहले महात्मा गांधी का भी अपमान किया था. उनका नाथूराम प्रेम उबाल मारता रहता है. उनके चिल्लाने की ओर आमतौर पर कोई ज्यादा ध्यान नहीं देता है. एक आने की भांग पी ली तो ढेरों कल्पनाएं सूझने लगती हैं, ऐसा एक बार तिलक ने कहा था. कंगना बेन के मामले में तिलक की बातें शत-प्रतिशत सही सिद्ध होती हैं.’

‘कंगना बेन का सर्वोच्च राष्ट्रीय पुरस्कार, वापस ले मोदी सरकार’

इसके बाद सामना के संपादकीय में सांसद संजय राउत ने कंगना रनौत से पद्मश्री पुरस्कार वापस लेने की मांग की है. सामना में लिखा है, ‘साल 1947 में आजादी मिली ही नहीं, बल्कि भीख मिली, परंतु उस भीख मांगने की प्रक्रिया में कंगना के वर्तमान राजनीतिक पूर्वज कहीं भी नहीं थे. खून, पसीना, आंसू आदि त्यागों से मिली हमारी आजादी को ‘भीख’ कहकर संबोधित करना राष्ट्रद्रोह का ही मामला है. ऐसे व्यक्ति को देश के राष्ट्रपति ‘पद्मश्री’ पुरस्कार देते हैं. उस समारोह में प्रधानमंत्री मोदी उपस्थित रहते हैं और स्वतंत्रता को भीख की उपमा देनेवाली कंगना बेन की आंखें भरकर सराहना करते हैं. स्वतंत्रता और क्रांतिकारियों के बलिदान के प्रति थोड़ी-सी भी श्रद्धा होगी तो इस राष्ट्रद्रोही वक्तव्य के लिए कंगना बेन का सर्वोच्च राष्ट्रीय पुरस्कार वापस लेना चाहिए.’

कंगना के इस देशद्रोह पर गुजरात में सरदार पटेल की दुनिया की सबसी ऊंची प्रतिमा बहा रही आंसू

सामना संपादकीय में आगे संजय राउत ने लिखा है, ‘शिवसेना ने राष्ट्रवाद, हिंदुत्व गिरवी रख दिया है, ऐसा बयान भाजपा वाले देते रहते हैं. महाराष्ट्र की सत्ता गंवाने के बाद वे जले-भुने रहते हैं, परंतु उनकी कंगना बेन ने तो भगत सिंह से वीर सावरकर तक सभी पर अफीम-गांजे के नशे में गरारा करते हुए उन्हें भिखारी ठहरा दिया है. कंगना बेन का ये दिवालिया बयान सुनकर गुजरात में सरदार पटेल की दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा भी आंसू बहा रही होगी. भाजपाई सांसद वरुण गांधी ने कंगना बेन के दिवालिए बयान का धिक्कार किया है. देश-द्रोह करार दिया है. अनुपम खेर ने भी शरमाते हुए कंगना का निषेध किया है, परंतु भाजपा के प्रखर राष्ट्रवादी अभी तक खामोश क्यों हैं?’

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