यूपी में पैदल चल रहे प्रवासी मजदूर रोके गए, फिर ट्रकों से भेज दिए

गोरखपुर। प्रवासी मजूदरों के अपने घरों के लिए पैदल ही निकल जाने की स्थिति को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सख्त निर्देशों के बाद प्रशासन इसे लेकर सतर्क हो गया है। शनिवार दोपहर पैदल ही चल रहे करीब दो हजार प्रवासी मजूदरों को गोरखपुर में प्रवेश की सीमा कालेसर के पास रोका गया। वहां से प्रशासन ने उनके आगे जाने के लिए इंतजाम किया।
रोडवेज बसें बुलाई गईं। फिर पता चला कि बसें, श्रमिक स्पेशल से आ रहे यात्रियों को उनके घरों तक पहुंचाने के लिए लगी हैं। बसों के आने में देरी और कालेसर में मजदूरों की बढ़ती भीड़ को देखते हुए मजदूरों को ट्रकें बुलवाकर वहां से उनके घरों के लिए रवाना किया गया। मजदूरों के साथ बड़ी संख्या में महिलाएं और बच्चे भी थे। एक जगह जमा होने और ट्रकों पर सवार होने के दौरान सोशल डिस्टेसिंग बुरी तरह टूट गई। लेकिन अधिकारी और पुलिस कर्मी सोशल डिस्टेंसिंग बनाने की कोशिश में लगे रहे।
प्रवासी मजदूरों को प्रशासन ने अपनी ओर से चप्पलें, पीने का पानी और भोजन भी मुहैया कराया। ट्रकों पर सवार हो जाने की होड़ में भी सोशल डिस्टेंसिंग नहीं हो सकी। पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों के सामने ही सामान से लदे ट्रकों के तिरपाल के ऊपर बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूर बैठते रहे। उनकी भीड़ और हड़बड़ी के बीच थोड़ी देर के लिए सारी व्यवस्था खत्म हो गई। ट्रक पर जिसे जहां जैसे जगह मिली वैसे सवार होकर अपने गंतव्य की ओर बढ़ गए। लोग इतना भी नहीं सोच सके खुद उनके लिए कितना खतरनाक हो सकता है।
कालेसर में मजदूरों को रोके जाने के दौरान वहां संयुक्त मजिस्ट्रेट अनुज मलिक, तहसीलदार लालजी सिंह, नायब तहसीलदार और अन्य अधिकारी तैनात रहे। वहां जुटे मजदूरों और उनके परिवारीजनों को अपने हाथ से चप्पलें और पीने का पानी देते हुए भी कुछ अधिकारी मौजूद रहे। सूचना पर एडीजी गोरखपुर जोन दावा शेरपा, कमिश्नर जयंती नर्लिकर, डीआईजी राजेश मोदक भी मौके पर पहुंचे। उन्होंने मातहतों को मजदूरों की सुरक्षा का ध्यान रखने का निर्देश दिया।