
पंजाब के एडवोकेट जनरल एपीएस देओल ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. बताया जा रहा है कि एपीएस देओल ने सोमवार को मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह को अपना इस्तीफा सौंपा है. नवजोत सिंह सिद्धू देओल को एडवोकेट जनरल बनाए जाने के सीएम चरणजीत सिंह चन्नी के फैसले से नाराज चल रहे थे.
सूत्रों ने कहा है कि देओल ने दोपहर में इस्तीफा दे दिया था, लेकिन उनका इस्तीफा चरणजीत सिंह चन्नी सरकार ने अभी तक स्वीकार नहीं किया है. देओल की नियुक्ति के तुरंत बाद, पंजाब कांग्रेस प्रमुख नवजोत सिंह सिद्धू ने उनकी और पुलिस महानिदेशक इकबाल प्रीत सिंह सहोता की नियुक्ति की आलोचना करते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया था.
वहीं इस मामले पर कांग्रेस नेता नवजोत कौर सिद्धू का भी बयान सामने आया था. उन्होंने कहा था कि पूर्व डीजीपी सुमेध सिंह सैनी के लिए पेश हुए थे. वह हमारा प्रतिनिधित्व नहीं कर सकते. इसलिए अटॉर्नी जनरल को बदलना पड़ेगा.”
#WATCH | "…Attorney General (APS Deol) had appeared for (former DGP Sumedh Singh) Saini. He (who represented accused in 2015 sacrilege case) can't represent us. Attorney General had to be changed…:" said Congress leader Navjot Kaur Sidhu in Amritsar pic.twitter.com/bba9ADG3YR
— ANI (@ANI) November 1, 2021
नियुक्ति पर क्यों खड़ा हुआ विवाद
दरअसल 61 वर्षीय देओल इस साल की शुरुआत में तब सुर्खियों में आए थे, जब उन्होंने पूर्व पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) सुमेध सिंह सैनी की रिहाई हासिल की थी, जिन्हें 2020 के आपराधिक मामले में सतर्कता ब्यूरो द्वारा गिरफ्तार किया गया था. देओल अन्य आरोपियों सहित सैनी की ओर से 2015 में बेअदबी के मामलों में पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में पेश हुए थे.
यही उनकी नियुक्ति के बाद सरकार की आलोचना का कारण बना. तर्क दिया जा रहा था कि सैनी और बेअदबी के मामलों के आरोपियों का बचाव करने वाले व्यक्ति को महाधिवक्ता नहीं बनाया जाना चाहिए था। कई सिख संगठनों ने भी उनकी नियुक्ति का विरोध किया था.
जानकारी के मुताबिक सिद्धू ने भी उनकी नियुक्ति की आलोचना करते हुए कहा था कि नियुक्ति का फैसला लेने से पहले उनसे सलाह-मशविरा नहीं किया गया. विवादास्पद समझी गई निुक्तियों में भी उन्हें दरकिनार कर दिया गया. बताया जा रहा है कि उनका ये भी मानना था कि ये नियुक्तियां भ्रष्टाचार से लड़ने के उनके मकसद के आड़े आएंगी.