उत्तर प्रदेशलखनऊ

कैनवास पर सहेजा प्रकृति की खूबसूरती को

  • प्रकृति के चितेरे चित्रकार किशोर साहु की एकल कला प्रदर्शनी सराका कला वीथिका में शुरू

लखनऊ। प्रकृति के चितेरे चित्रकार किशोर साहू के चित्रों की एकल कला प्रदर्शनी ‘रंगमय क्षितिज‘ राजधानी लखनऊ स्थित सराका आर्ट गैलरी में रविवार से शुरू हुई। प्रदर्शनी का उद्घाटन देश के जाने-माने वरिष्ठ रंगकर्मी एवं नाट्य निर्देशक पद्मश्री राज बिसारिया ने किया। इस प्रदर्शनी की क्यूरेटर वरिष्ठ चित्रकार वंदना सहगल हैं।

प्रदर्शनी की क्यूरेटर वंदना सहगल ने बताया कि किशोर की प्रकृति के चितेरे हैं। भू-दृश्य, वन, उद्यान, प्रकृति-दृश्य में व्यस्तता उनके कार्यों में दिखाई देती है। उनके कैनवस जंगल को न केवल वृहद स्तर पर जीवंत करते हैं, बल्कि सूक्ष्मतम विवरण भी देते हैं। वह अपने सभी कैनवस में पैमाने के साथ खेलते हैं। एक तरफ, क्षितिज का विशाल विस्तार दूरी की गहराई के माध्यम से कब्जा कर लिया जाता है और दूसरी तरफ, शाखाओं, पत्तियों, तितलियों, पक्षियों आदि के विवरण को भी प्राथमिकता दी है।

इनकी शैली काफी प्रभावशाली है। रंगों में उनकी पसंद मुख्य रूप से पेस्टल है, लेकिन हमेशा चमकीले लाल, सूर्यास्त पीले, लाल गुलाबी, पन्ना हरे और आसमानी नीले रंग के साथ जुड़ा हुआ है और विषय लगभग हमेशा प्रकृति है… पृष्ठभूमि में पेड़ों के एक चरित्र विकसित करते हैं जो कलाकार की इच्छा पर निर्भर है।

वदंना सहगल कहती हैं कि यहां प्रकृति चित्रकार की कल्पना से निकली हुई है। किशोर भूदृश्य रचते हैं जो कि प्रकृति से प्रेरित है। यहां किशोर की स्वयं की शैली है और खुद की मौलिकता है। इनके चित्रों में विभिन्न रंगों की पत्तियां, अलग-अलग किस्म के अलग अलग रंगों के पेड़-पौधे, फूल और डालियां जो अपनी ओर आकर्षित करती हैं।

कोऑर्डिनेटर भूपेंद्र अस्थाना ने बताया कि वैसे तो चित्रकार किशोर साहू छत्तीसगढ़ के मूल निवासी हैं लेकिन काफी समय से नई दिल्ली में रहते हुए सृजन कार्य कर रहे हैं। इन्होंने कला में स्नातक और स्नातकोत्तर खैरागढ़ पूरी की। अनेकों सामूहिक कला प्रदर्शनियों, शिविरों, कार्यशाला में भाग ले चुके हैं। ललित कला अकादमी के फेलोशिप भी प्राप्त है। इन्होंने अबतक चार एकल प्रदर्शनी लगाई है। किशोर को कई पुरस्कार और सम्मान भी प्राप्त है। देश और विदेशों में इनके चित्रों के संग्रह भी हैं।

चित्रकार किशोर कहते हैं कि मेरी कृतियों में प्रकृति के सभी तत्वों के गहन वर्गीकरण को देखा जा सकता है। घने-घने जंगल, पेड़ पौधे आदि। ये सारे मेरे कल्पनाओं का एक प्रकटीकरण है। जब मैं पेंटिंग की प्रक्रिया में होता हूँ तो प्रकृति के रूप में मुझे जो भावना और विचार उत्पन्न होते हैं उनकी अभिव्यक्ति के साथ साथ रचनात्मकता को पूरे पैमाने पर देखा जा सकता है। मुझे विभिन्न माध्यमों जलरंग, ऑयल, ऐक्रेलिक और रेखांकन में काम करना पसंद है। भूपेंद्र ने बताया कि प्रदर्शनी चार जुलाई तक कला प्रेमियों के अवलोकनार्थ लगी रहेगी।

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