घातक कीटनाशकों पर देश में जल्द ही लगेगा पूर्ण प्रतिबंध
दुनिया भर में सबसे घातक रसायनों की श्रेणी में आने वाले कीटनाशकों पर भारत में भी पूरी तरह से प्रतिबन्धित करने पर केंद्र सरकार विचार कर रही है। ये 27 प्रकार के घातक कीटनाशक हैं, जिसका प्रयोग देश के हर राज्य के किसान खुलकर करते हैं। हालांकि तमाम स्वास्थ्य संगठनों की ओर से इन कीटनाशकों को न सिर्फ पर्यावरण के लिए अपितु मानव जीवन के लिए भी बेहद खतरनाक बताया गया था।
यही कारण है कि यूरोप समेत कई अमेरिकी एवं एशियाई देशों में ये घातक रसायनिक कीटनाशक प्रतिबन्धित हैं। भारत में भी इन कीटनाशकों को प्रतिबन्धित करने और इनके निर्माण, बिक्रय, आयात, परिवहन, वितरण एवं उपयोग पर पूर्ण प्रतिबन्ध की मांग लम्बे समय से होती चली आ रही है।
अत्यधिक नुकसानदेह होने के कारण इसे बैन करने के लगातार पड़ रहे दबावों के बाद और इससे होने वाली क्षति के आंकलन के पश्चात केंद्र सरकार ने भी इन सभी 27 रसायनिक कीटनाशकों को देश से विदा करने का संकल्प ले लिया है। यह भी कहा जा रहा है कि देश में जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए भी रसायनों के उपयोग को हतोत्साहित करने के लिए केन्द्र सरकार ने यह कदम उठाया है।
इसी परिप्रेक्ष्य में केन्द्रीय कृषि एवं किसान मंत्रालय ने इन सभी 27 रसायनिक कीटनाशकों को प्रतिबन्धित करने के लिए मसौदा तैयार कर 18 मई को अधिसूचना जारी कर दी है ताकि उस पर किसी की कोई आपत्ति या सुझाव हो तो अधिकतम 45 दिनों के भीतर वह आपत्ति अथवा सुझाव दे सकें।
इन रसायनिक कीटनाशकों पर देश में पूर्ण प्रतिबन्ध का है प्रस्ताव
खेती में कीटों के नियंत्रण के लिए पूरे देश में प्रयोग होने वाली इन 27 कीटनाशकों में ऐसफेट, अलट्राजाइन, बेनफुराकारब, बुटाक्लोर, कैपटन, कारबेनडेजिम, कार्बोफ्यूरान, क्लोरप्यरिफास, 2,4-डी, डेल्टामेथ्रीन, डिकोफॉल, डिमेथोट, डाइनोकैप, डयूरोन, मालाथियॉन, मैनकोजेब, मिथोमिल, मोनोक्रोटोफोस, आक्सीफलोरीन, पेंडिमेथलिन, क्यूनलफोस, सलफोसूलफूरोन, थीओडीकर्ब,थायोफनेट मिथाइल, थीरम, जीनेब तथा जीरम के नाम शामिल हैं।
इन रसायनों का कीटों अथवा फंगस के नियंत्रण के लिए होता है इस्तेमाल
मसौदे में उक्त सभी 27 कीटनाशकों के इस्तेमाल से पर्यावरण एवं मानव जाति को होने वाली हानि के बारे में भी विस्तार से बताया गया है। साथ ही यह भी जानकारी दी गई है कि कौन सी रसायन कितने देशों में कब से प्रतिबंधित है तथा उसका दुष्प्रभाव मानव जाति पर कितना अधिक है। इसके अलावा जैव विविधता को यह रसायन कितना प्रभावित कर रहा है इसके बारे में विस्तार से बताया गया है।