उत्तर प्रदेशलखनऊ

कृषि कानूनों से नाराज जाटों को मनाने में कामयाब रही बीजेपी, मुजफ्फरनगर दंगे, कानून व्यवस्था समेत इन मुद्दों का लिया सहारा

जब भारत के सबसे अधिक आबादी वाले और राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण राज्य उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव 7 फरवरी को पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जिलों से शुरू हुए, तो बीजेपी को जाटों के गुस्से के रूप में महत्वपूर्ण प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना कर रही थी. जो तीन कृषि कानूनों के खिलाफ 14 महीने तक दिल्ली के बॉर्डर पर बैठे किसान आंदोलन से प्रेरित था. 10 मार्च को चुनाव नतीजों के अनुसार बीजेपी चुनावों से तीन महीने से अधिक समय पहले कानूनों को निरस्त करके क्षेत्र में गुस्से को बेअसर करने में सक्षम रही. इसी के साथ बीजेपी ने साल 2013 के मुजफ्फरनगर दंगों से प्रभावित क्षेत्र में कानून-व्यवस्था पर ध्यान केंद्रित किया.

जाटों के गुस्से की दबाने और अन्य समुदायों के समर्थन से बीजेपी इस असर को कम करने में कामयाब रही. जबकि समाजवादी पार्टी-राष्ट्रीय लोक दल (सपा-रालोद) गठबंधन ने उन क्षेत्रों में कुछ सेंध लगाई, जहां किसानों का गुस्सा सबसे ज्यादा था.पहले दो चरणों में हुए मतदान में कुल 136 सीटों में से भाजपा ने 93, सपा-रालोद ने 43 सीटों पर जीत हासिल की. जनवरी तक, जाटों के रालोद के इर्द-गिर्द होने की संभावना को देखते हुए, भाजपा को अपने नुकसान को रोकने के लिए इस क्षेत्र में अपने अभियान को तेज करना पड़ा. बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि गृह मंत्री अमित शाह के कैराना में घर-घर जाकर प्रचार करने के बाद अभियान की शुरुआत तेज हो गई. उस कदम के प्रभाव ने कैडर को उत्साहित किया और जाट समुदाय के गुस्से को शांत करने में भी मदद की.

गृह मंत्री ने कैरान से शुरू किया अभियान

कैराना को शाह के अभियान के लिए शुरुआती बिंदु के रूप में चुना गया था. इसे पार्टी को इलाके में उभर रही समस्या से निपटने के लिए एक कदम के रूप में माना गया था. कैराना 2017 में तब सुर्खियों में आया था जब भाजपा के तत्कालीन सांसद हुकुम सिंह ने क्षेत्र से हिंदू परिवारों के पलायन का आरोप लगाया था. शाह ने इनमें से कुछ परिवारों से मुलाकात की, जो उस क्षेत्र में कथित सांप्रदायिक तनाव के बाद बाहर चले गए थे, जिसमें 17 लाख मतदाता हैं, जिनमें 300,000 से अधिक मुसलमान शामिल हैं. बीजेपी नेता ने कहा कि भाजपा ने राज्य में बेहतर कानून-व्यवस्था पर ध्यान केंद्रित किया; अपराध दर कैसे गिर गई और अपराधियों के खिलाफ कितनी तेजी से कार्रवाई की गई. यह एक ऐसा मुद्दा है जो हर जाति और वर्ग को प्रभावित करता है. इस तरह बीजेपी ने सपा-रालोद गठबंधन को इलाके सेंध लगाने से रोका.

खबरी अड्डा

Khabri Adda Media Group has been known for its unbiased, fearless and responsible Hindi journalism since 2019. The proud journey since 3 years has been full of challenges, success, milestones, and love of readers. Above all, we are honored to be the voice of society from several years. Because of our firm belief in integrity and honesty, along with people oriented journalism, it has been possible to serve news & views almost every day since 2019.

संबंधित समाचार

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button